भारत की महिलाएं हो रही हैं ‘घरेलू हिंसा’ की शिकार
punjabkesari.in Saturday, Feb 19, 2022 - 06:41 AM (IST)

महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए 2005 में जारी महिला संरक्षण अधिनियम को 26 अक्तूबर, 2006 को कानून का रूप देकर लागू किया गया। इसमें महिलाओं से शारीरिक दुव्र्यवहार, उन्हें शारीरिक पीड़ा पहुंचाने, उनके जीवन या स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने या उनसे लैंगिक दुव्र्यवहार को अपराध माना गया है। कुछ समय पूर्व एक रिपोर्ट में बताया गया था कि विवाहित महिलाओं में लगभग 8 प्रतिशत महिलाएं यौन हिंसा तथा 41 प्रतिशत महिलाएं अन्य विभिन्न प्रकार की हिंसा तथा शारीरिक उत्पीडऩ की शिकार होती हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा 16 दिस बर, 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में देश में हुई 153,052 आत्महत्याओं में से गृहिणियों की सं या 14.6 प्रतिशत थी जिसके लिए मुख्यत: पारिवारिक समस्याओं या विवाह से जुड़ी समस्याओं को जिम्मेदार बताया गया। मनोवैज्ञानिकों डा. ऊषा वर्मा श्रीवास्तव तथा सोमित्र पठारे का कहना है, ‘‘महिलाएं अत्यंत सहनशील होती हैं परंतु सहने की भी एक सीमा होती है। भारत में अधिकांश आत्महत्याएं आवेश में होती हैं। पति घर आता है, पत्नी को पीटता है और वह अपनी जान दे देेती है।’’
महिलाओं की आत्महत्या का एक बड़ा कारण घरेलू हिंसा है। कुछ समय पूर्व करवाए गए एक सरकारी सर्वे के अनुसार 30 प्रतिशत महिलाओं के साथ उनके पतियों, ससुरालियों या अन्य रिश्तेदारों ने विभिन्न रूपों में हिंसा की जिसके मात्र फरवरी माह के ही उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :
* 2 फरवरी को अहमदाबाद की रहने वाली युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई कि शादी के बाद उसका पति उसे पोलैंड ले गया जहां उसे पता चला कि वह महाशराबी व बदचलन है और जब उसने आपत्ति की तो वह उसे मारपीट कर भारत उसके मायके में छोड़कर वापस पोलैंड चला गया।
* 7 फरवरी को उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के करीमगंज में खाना बनाने को लेकर हुए विवाद के चलते अपनी पत्नी को बुरी तरह मारपीट करके घायल कर देने के आरोप में नितिन नामक एक युवक को गिर तार किया गया।
* 11 फरवरी को पश्चिम बंगाल के आसनसोल में कंचन नोनिया नामक युवती को उसके पति सुधीर नोनिया ने किसी बात पर आवेश में आकर जिंदा जलाकर मार डाला। दुर्र्गंध आने पर जब पड़ोसियों ने उसके घर का दरवाजा खटखटाकर पूछा कि किस चीज की बदबू आ रही है तो उसने जवाब दिया कि मैं एक खास तरह का मीट पका रहा हूं।
* 14 फरवरी को फरीदकोट में एक व्यक्ति ने घरेलू कलह के चलते अपनी पत्नी की मारपीट करने के बाद गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी।
* 15 फरवरी को ग्वालियर में ड्यूटी से लौट रही निर्मला केन नामक महिला को रास्ते में घेर कर उसके पति प्रदीप केन तथा उसके जीजा राजेश और मोहन ने न सिर्फ अभद्रता की बल्कि निर्मला के साथ-साथ उसे बचाने आई उसकी बुआ को भी लात-घूंसों से पीट कर लहुलूहान कर दिया।
* 15 फरवरी को ही अहमदाबाद में एक महिला ने एक महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई कि उसके पति ने उसे सिर्फ इसलिए 3 तलाक दे दिया क्योंकि उसने अपने पति को दूध देने से पहले अपने बच्चों को दे दिया था। महिला ने यह भी शिकायत की कि उसके सास-ससुर दहेज के लिए उसे तंग करते और मायके से पैसे लाने के लिए मजबूर करते थे।
* 15 फरवरी वाले दिन ही बेंगलूरू में एक एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह के चलते उससे बदला लेने के लिए उसे नशा खिला कर उसके साथ असुरक्षित सैक्स करने का शर्मनाक मामला सामने आया जिसके विरुद्ध महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।
* 16 फरवरी को लुधियाना के गांव बुलारा में दहेज लोभी ससुरालियों द्वारा अपनी बहू की हत्या कर देने के आरोप में 5 लोगों के विरुद्ध केस दर्ज करके मृतका के पति, ससुर और जेठ को हिरासत में लिया गया।
* 17 फरवरी को 8-9 महीने मायके में रहने के बाद कुछ ही दिन पहले फरीदकोट में ससुराल लौटी अपनी पत्नी की उसके पति ने घरेलू कलह के चलते कस्सी से अंधाधुंध वार करके जान ले ली।
ऐसी ही घटनाओं के दृष्टिïगत घरेलू हिंसा के एक मामले में 30 जनवरी को बॉ बे हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति सारंग वी. कोतवाल ने कठोर टिप्पणी की है कि ‘‘विवाह स्वर्ग में नहीं बल्कि नरक में तय किए जाते हैं।’’
स्पष्ट है कि महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा से निपटने के लिए कानून होने के बावजूद इस पर प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन न होने के कारण महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होने को विवश हैं और जब तक इस कानूनी प्रावधान को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाएगा तब तक महिलाओं पर घरेलू हिंसा और उत्पीडऩ समाप्त होने की संभावना बहुत कम है। —विजय कुमार