देश में लगातार हो रही पुल दुर्घटनाओं से बढ़ रही मौतें

Thursday, Sep 06, 2018 - 02:49 AM (IST)

लगभग प्रति वर्ष देश में पुराने और जर्जर पुलों के साथ-साथ निर्माणाधीन पुलों आदि के दुर्घटनाग्रस्त होने से बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं। कुछ वर्षों से यह सिलसिला लगातार बढ़ता चला जा रहा है और इस दौरान होने वाले बड़़े पुल हादसे निम्र में दर्ज हैं : 

21 जुलाई, 2001 को केरल के कोझीकोड जिले में कादालंदी नदी पर बने रेल पुल के गिरने से 53 लोगों की मृत्यु हो गई। 10 सितम्बर, 2002 को बिहार के औरंगाबाद जिले में रफीगंज का रेल पुल टूटने के परिणामस्वरूप 130 लोग मारे गए। 29 अक्तूबर, 2005 को आंध्र प्रदेश के वेलीगोड़ा में रेलवे पुल गिरने के परिणामस्वरूप 114 लोगों को जान गंवानी पड़ी। 10 दिसम्बर, 2006 में बिहार के भागलपुर जिले में पैदल पुल गिरने से 30 लोगों की मौत हो गई। 

09 सितम्बर, 2007 को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद जिले के पुंजागुट्टा में फ्लाई ओवर गिरने के परिणामस्वरूप 20 लोग मारे गए। 01 अक्तूबर, 2008 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में निर्माणाधीन पुल गिरने व उसके मलबे में दबने से 6 लोगों को जान गंवानी पड़ी। 25 दिसम्बर, 2009 को राजस्थान के कोटा में चंबल नदी का पुल गिरने से 9 लोगों की मौत और 45 लापता हो गए। 25 मई, 2012 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में निर्माणाधीन पुल गिरने के परिणामस्वरूप 6 लोग मारे गए। 10 जून, 2014 को गुजरात के सूरत में फ्लाई ओवर गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई। 

25 अगस्त, 2015 को बिहार के नवादा में फ्लाई ओवर गिरने से 4 लोगों को जान गंवानी पड़ी। 31 मार्च, 2016 को कोलकाता के बड़ा बाजार में निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाई ओवर दुर्घटना में 27 लोगों की मौत तथा 80 से अधिक लोग घायल हुए। 02 अगस्त, 2016 को महाराष्ट्र की सावित्री नदी पर बने पुल के टूटने से 28 लोगों की मृत्यु हो गई। 18 मई, 2017 को गोवा में संवोर्दम नदी का पुल गिरने से 2 लोगों की मृत्यु और 20 लापता हो गए। 16 मई, 2018 को वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने के परिणामस्वरूप 18 लोगों की मृत्यु और अनेक घायल हो गए। 

और अब 4 सितम्बर को मूसलाधार वर्षा के बाद कोलकाता के भीड़भाड़ वाले इलाके अलीपुर के तारातल्ला में 40 साल पुराने पुल का लगभग 200 से 250 फुट का हिस्सा गिर जाने से ओवरब्रिज से गुजर रही हाईकोर्ट के जज की कार समेत अनेक वाहन उसके नीचे दब गए। इसके परिणामस्वरूप कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई तथा 20 अन्य घायल हो गए जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। यह संपादकीय लिखे जाने तक कई लोग पुल के टूटे हिस्से के नीचे दबे हुए थे। पुल टूटने से बज-बज-सियालदा रेल लाइन को भी कुछ क्षति पहुंची तथा रेल सेवाएं रोकनी पड़ीं। 

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले तक हमारे जनप्रतिनिधि रेल और सड़क मार्ग से भी यात्रा कर लिया करते थे जिससे उन्हें रेल सेवाओं और सड़क परिवहन की त्रुटियों का पता चलता रहता था परन्तु इन दिनों उनके पास रेलों और बसों में यात्रा करने का समय न होने के कारण इन सेवाओं में घर कर गई कमजोरियों का पता ही नहीं चल पाता।

इसी प्रकार अंग्रेजों द्वारा निर्मित पुलों आदि पर उनकी आयु लिखी जाती थी जिसके बाद उनका प्रयोग बंद कर देना वांछित होता था परन्तु हमारे देश में इसका पालन नहीं किया जा रहा और यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल कर नाकारा हो चुके पुलों पर भी रेलगाडिय़ां और बसें चलाई जा रही हैं। इस समय मोदी सरकार देश में सामान्य रेलगाडिय़ों की रफ्तार बढ़ाने के अलावा बुलेट ट्रेनें चलाने की योजना तो बना रही है परंतु इससे पूर्व सरकार को पुलों और रेल पटरियों आदि को सुधारने की ओर ध्यान देना चाहिए। ऐसा करके ही पुलों पर से सब प्रकार का परिवहन सुचारू और सुरक्षित रूप से चल सकेगा।—विजय कुमार 

Pardeep

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