‘अपराधों की राजधानी’ दिल्ली में बढ़े अपराध

Monday, Jan 15, 2018 - 01:14 AM (IST)

कुछ वर्षों से देश की राजधानी दिल्ली को ‘अपराधों की राजधानी’ के नाम से भी पुकारा जाने लगा है। इसकी पुष्टि फिर से होती दिखाई दे रही है क्योंकि गत वर्ष दिल्ली में हुए अपराधों के जारी आंकड़ों के अनुसार इनमें 12 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।

हालांकि, पुलिस अपनेरिकाड्रर्स के आधार पर कह रही है कि वहां बलात्कार तथा हत्या जैसे जघन्य अपराधों की संख्या कम हुई है जबकि गाडिय़ों की चोरी की लगातार बढ़ती घटनाएं उसके लिए भी चिंता का विषय हैं।

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में दर्ज हुए 1,99,110 आपराधिक  मामलों की तुलना में 2017 के दौरान 2,23,075 मामले दर्ज हुए। गत वर्ष प्रति एक लाख लोगों के पीछे भारतीय दंड संहिता के तहत 1263 मामले दर्ज हुए जो 2016 के दौरान 1137 थे।

दिल्ली पुलिस बढ़े अपराधों का कारण राजधानी में प्रवासियों की ज्यादा संख्या, बढ़ती आर्थिक असमानता, परिवारों के लचर नियंत्रण को मानती है।  उसका यह भी कहना है कि अपराध दर्ज होने के आंकड़े बढऩे का एक अन्य कारण इन्हें दर्ज करने में पारदर्शिता , सम्पत्ति की चोरी तथा गाडिय़ों की चोरी की ऑनलाइन एफ.आई.आर. दर्ज करवाने की सुविधा तथा महिलाओं की सभी शिकायतों पर तुरंत एफ.आई.आर. दर्ज करना है।

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने अपराध बढऩे का संबंध सामाजिक- आर्थिक असमानता के साथ जोड़ते हुए कहा, ‘‘समृद्ध वर्ग तथा कम सम्पन्न वर्ग के लोगों के मध्य बढ़ रही सामाजिक- आर्थिक असमानता अपराधों को जन्म देने वाला एक प्रमुख कारक है। परिणामस्वरूप युवाओं में पनपने वाली अधीरता तथा तुरंत अमीर होने की लालसा उन्हें अपराधी बनाने की राह पर डाल देती है।’’

उनके अनुसार सक्रिय अपराधियों की पहचान तथा उन पर कड़ी नजर रखने के साथ ही सड़कों पर पुलिस की ज्यादा मौजूदगी के कारण जघन्य अपराधों की दर कम होकर 23.43 प्रतिशत रह गई है जबकि लूट तथा छीना-झपटी जैसे सड़कों पर होने वाले अपराध 21.05 प्रतिशत कम हुए हैं।

पुलिस कर्मचारियों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए गत वर्ष 59 पुलिस वालों को बर्खास्त तथा 585 को निलंबित किया गया।
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाली राजधानी में गत वर्ष 2049 बलात्कार के मामले दर्ज हुए जिनकी संख्या 2016 में 2064 थी जबकि उत्पीडऩ के मामले 4035 की तुलना में 3273 दर्ज हुए हैं।

यानी जघन्य अपराधों की दर में कमी करने के दिल्ली पुलिस के दावों के बावजूद गत वर्ष प्रतिदिन औसतन 5 बलात्कार के मामले दर्ज हुए। यह भी चिंताजनक है कि अधिकतर मामलों में बलात्कर करने वाले पीड़ितों के जानकार थे।

आंकड़ों के अनुसार 96.63 प्रतिशत मामलों में बलात्कार करने वाले पीड़िताओं के परिचित थे जिनमें से 38.99 प्रतिशत मामलों में दोस्त तथा पारिवारिक मित्र 38.99 प्रतिशत, पड़ोसी 19.08 और रिश्तेदार 14.20 प्रतिशत मामलों में आरोपी थे।

पुलिस का दावा है कि उसने गत वर्ष हथियारों की तस्करी करने वालों पर भी सख्ती की है। उसके अनुसार सही तालमेल बैठा कर की गई कार्रवाइयों की वजह से ही अवैध हथियारों को जब्त किए जाने में 50 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है।

दिल्ली पुलिस के अनुसार राजधानी की जनसंख्या 4 गुणा बढ़ते हुए 1971 में 43 लाख से बढ़ कर 2017 में 2.05 करोड़ हो गई है। इसी के साथ सड़कों पर दौडऩे वाली गाडिय़ों का पंजीकरण भी बढ़ कर 1.08 करोड़ हो चुका है जो 1971 में केवल 2.17 लाख था। इस अवधि में सड़कों में केवल 4 गुणा वृद्धि हुई है जिससे अक्सर ट्रैफिक तथा सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी कई गुणा बढ़ गई है।

गत वर्ष पुलिस ने दो गुणा ज्यादा चालान किए तथा हैल्मेट न पहनने और  सीट बैल्ट न लगाने वालों पर भी सख्ती की। इस कारण 2016 में 7067 दुर्घटनाओं की संख्या की तुलना में गत वर्ष इनकी संख्या 6456 तक कुछ कम की जा सकी है। इसके बावजूद राजधानी में दुर्घटनाओं में मौतों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार अभी भी तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना है।

भले ही दिल्ली पुलिस अपराधों के बढ़े आंकड़ों का कारण इन्हें दर्ज करने में पारदॢशता, सम्पत्ति की चोरी तथा गाडिय़ों की चोरी की ऑनलाइन एफ.आई.आर. दर्ज करवाने की सुविधा तथा महिलाओं की सभी शिकायतों पर तुरंत एफ.आई.आर. दर्ज करना मानती हो इसके बावजूद इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये आंकड़े अत्यधिक हैं और दिल्ली यथापूर्व यहां के लोगों के लिए असुरक्षित बनी हुई है।

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