इस तरह थमेगा ‘बेहूदा बयानबाजी’ का दौर

Thursday, Dec 30, 2021 - 04:20 AM (IST)

जैसे-जैसे चुनाव निकट आ रहे हैं हमारे नेतागणों ने अपने भाषणों में अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल तेज कर दिया है जिससे माहौल खराब हो रहा है। यहां तक कि चंद धार्मिक नेताओं द्वारा भी ज्ञान देने की बजाय आपत्तिजनक बातें कहने से अनावश्यक विवाद और समाज में कटुता पैदा हो रही है जिसके चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

* 04 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘‘अखिलेश यादव कहते हैं कि भाजपा अपना चुनाव निशान ‘बुलडोजर’ रख ले, मैं कहता हूं कि सपा अपना चुनाव निशान ‘ए.के.-47’ रख ले।’’
* 14 दिसम्बर को अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार फेल हो गई है और इसके दोनों इंजन आपस में टकरा रहे हैं।’’
* 14 दिसम्बर वाले दिन ही विश्व हिन्दू परिषद की नेता साध्वी सरस्वती ने कहा कि ‘‘यदि लोग एक लाख रुपए का मोबाइल खरीद सकते हैं तो उन्हें 1000 रुपए की तलवार खरीद कर अपने घरों में जरूर रखनी चाहिए। अगर इतना भी नहीं कर सकते तो हमें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।’’ 

* 16 दिसम्बर को कर्नाटक के कांग्रेस विधायक रमेश कुमार बोले, ‘‘जब बलात्कार टाला न जा सके तो आपको लेट कर उसका मजा लेना चाहिए।’’
* 22 दिसम्बर को ‘आम आदमी पार्टी’ के सांसद संजय सिंह ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, ‘‘भाजपा में सारे चोर भरे पड़े हैं। करोड़ों लोग प्रभु श्रीराम के मंदिर के निर्माण के लिए चंदा देते हैं और ये उसमें चोरी करते हैं। यू.पी. की योगी सरकार कुशासन की सरकार है। जब भी मैं इनके खिलाफ कुछ बोलता हूं तो बाबा जी (योगी आदित्यनाथ) मेरे विरुद्ध एक मुकद्दमा लिखवा देते हैं।’’
* 24 दिसम्बर को भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह ने सपा सांसद जया बच्चन को नर्तकी बताते हुए कहा, ‘‘पहले तो त्यागी, तपस्वी, साधु और संत ही आशीर्वाद या श्राप दिया करते थे लेकिन अब नर्तकी भी श्राप देने लगी है, यही कलयुग का असली स्वरूप है।’’ 

* 24 दिसम्बर को ही ए.आई.एम.आई.एम. के नेता असदुद्दीन ओवैसी का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वह पुलिस को धमकी भरे लहजे में कहते सुनाई दे रहे हैं कि : 
‘‘हम मुसलमान तुम्हारे जुल्म को भूलने वाले नहीं हैं और अल्लाह तुम्हें अपनी ताकत के जरिए नेस्तनाबूद कर देगा। जब योगी (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) अपने मठ में चले जाएंगे और मोदी (प्रधानमंत्री) पहाड़ों में चले जाएंगे तब कौन तुम्हें बचाने आएगा? हम नहीं भूलेंगे याद रखो।’’ 

* 26 दिसम्बर को रायपुर में आयोजित 2 दिवसीय धर्म संसद के दौरान संत कालीचरण ने कहा, ‘‘इस देश पर वही शासन करेगा जो हिंदू हित की बात करेगा।’’ इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी को देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी हत्या करने के लिए नाथूराम गोडसे को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और फिर धन्यवाद किया। संत कालीचरण के इस बयान पर भारी नाराजगी जताते हुए सम्मेलन में उपस्थित छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदरदास मंच छोड़ कर चले गए। यह बयान देने पर संत कालीचरण के विरुद्ध छत्तीसगढ़ में एक कांग्रेस नेता ने पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई है। संत कालीचरण ने कहा है कि उन्हें महात्मा गांधी को अपशब्द कहने का कोई अफसोस नहीं है, चाहे फांसी पर लटका दें।  

* 26 दिसम्बर को ही भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने बेंगलुरू में कहा, ‘‘केवल भारत के मुसलमानों या ईसाइयों को हिंदू बनाना काफी नहीं बल्कि पाकिस्तान के मुसलमानों को भी हिंदू धर्म में लाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसा करने से पाकिस्तान वापस भारत में शामिल हो जाएगा।’’
* 27 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने दावा किया कि ‘‘आगामी विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में भाजपा की दोबारा सरकार बनने पर ए.आई.एम.आई.एम. के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी जनेऊ धारण करके राम नाम जपते नजर आएंगे।’’ 

* 28 दिसम्बर को आंध्र प्रदेश में भाजपा प्रमुख सोमू वीर राजू ने जनता से वादा किया कि ‘‘यदि एक करोड़ नागरिक भाजपा को वोट देते हैं और भाजपा सत्ता में आएगी तो 70 रुपए में शराब उपलब्ध करवाएंगे और इसके बाद भी यदि राजस्व की बचत हुई तो हम सिर्फ 50 रुपए में शराब उपलब्ध करवाएंगे।’’

* 29 दिसम्बर को हापुड़ में सपा के विधायक असलम चौधरी ने कहा कि ‘‘यदि योगी बाबा को गांजा पीने का इतना ही शौक है तो उत्तराखंड चले जाएं यहां क्या कर रहे हैं।’’

इसी तरह की बयानबाजी को देखते हुए देश के 76 प्रमुख वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना को पत्र लिख कर विभिन्न आयोजनों में नफरत फैलाने वाले भाषणों पर संज्ञान लेने तथा वक्ताओं और आयोजकों पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए न्यायपालिका को तत्काल हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। निश्चय ही वकीलों की उपरोक्त मांग उचित है क्योंकि जिस प्रकार हमारे माननीय अपने बयानों में मर्यादा की सीमाएं लांघते जा रहे हैं, कहीं इनके परिणामस्वरूप किसी समय कोई अप्रिय घटना न हो जाए।—विजय कुमार

Advertising