‘रमजान के पवित्र महीने में’ भी आतंकवादियों द्वारा ‘रक्तपात और हिंसा जारी’

Thursday, Jun 15, 2017 - 09:39 PM (IST)

इस्लाम के अनुयायियों के लिए रमजान का महीना एक पवित्र एवं इबादत का महीना होता है। सच्चा मुसलमान इस महीने में किसी प्राणी को हानि पहुंचाने की सोच भी नहीं सकता पर इसके विपरीत गत कुछ वर्षों से रमजान के महीने में भी आतंकियों के हमले व रक्तपात की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं जो अपने ही भाइयों के खून से अपने हाथ रंग रहे हैं। वर्ष 2016 में भारत तथा अन्य देशों में रमजान के महीने में आतंकवादी हमलों में 350 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई और इस वर्ष भी इंगलैंड, ईरान, ईराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व भारत में यह सिलसिला जारी है। 

26 मई को रमजान की पूर्व संध्या पर दक्षिणी काहिरा में नकाबपोश बंदूकधारियों ने 29 लोगों को मार डाला। 30 मई, 2017 को बगदाद में एक आइसक्रीम पार्लर के बाहर तथा एक अन्य इलाके में आई.एस.आई.एस. के हमलों में 31 लोगों की मृत्यु हो गई। 31 मई को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के राजनयिक इलाके में जर्मन दूतावास के निकट विस्फोटकों से लदे टैंकर में भीषण धमाके में कम से कम 150 से अधिक लोगों की मृत्यु और 350 से अधिक लोग घायल हो गए। इस धमाके में लगभग 50 वाहन और एक दर्जन इमारतों को भी क्षति पहुंची। मृतकों में अधिकांश स्थानीय नागरिक थे। 03 जून को काबुल में एक अफगान नेता के बेटे के अंतिम संस्कार के दौरान हुए धमाकों में कम से कम 6 लोग मारे गए और 87 घायल हुए। 

04 जून को लंदन में 3 आत्मघाती हमलों में 7 लोग मारे गए और 30 से अधिक घायल हो गए। बताया जाता है कि घटना के समय हमलावर कह रहे थे कि ‘‘यह अल्लाह के लिए है।’’ 06 जून को अफगानिस्तान के हेरात शहर में एक मस्जिद के बाहर विस्फोट में 7 लोगों की मृत्यु और 15 अन्य घायल हो गए। 07 जून को ईरानी संसद तथा देश के क्रांतिकारी संस्थापक खुमैनी के मकबरे पर आतंकवादियों द्वारा गोलीबारी में 17 लोग मारे गए। आई. एस.आई.एस. द्वारा ईरान में किया गया यह पहला हमला था। 09 जून को ही करबला में आतंकी गिरोह आई.एस.आई.एस. द्वारा किए गए आत्मघाती बम हमले में कम से कम 30 व्यक्ति मारे गए। 

09 जून को पाकिस्तान के अशांत कबायली इलाके ‘फाटा’ के महमूद तहसील इलाके में बम विस्फोट से कम से कम 7 लोग घायल हो गए। और अब 15 जून को सोमालिया की राजधानी मोगादिशू के एक लोकप्रिय रेस्तरां पर अलशबाब नामक इस्लामी आतंकवादी गिरोह द्वारा किए गए कार बम विस्फोट में मारे गए लोगों की संख्या 31 हो गई है तथा 40 से अधिक लोग घायल हो गए। यह धमाका इतना शक्तिशाली था कि रेस्तरां तथा इसके आसपास की कई इमारतों की छतें तक उड़ गईं। उक्त घटनाओं के अलावा भारत के जम्मू-कश्मीर में भी विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा किए जा रहे हमलों में सुरक्षाबलों के सदस्यों के अलावा स्थानीय लोगों के जान-माल की क्षति लगातार जारी है जिससे उनके रमजान संबंधी सभी कार्यक्रम अस्त-व्यस्त होकर रह गए हैं। 

आतंकियों ने आई.एस.आई.एस. द्वारा कुछ समय पूर्व किए गए ‘खूनी रमजान’ के आह्वान पर अमल करते हुए देश-विदेश में रक्तपात जारी रखा हुआ है जिससे स्पष्ट है कि आतंकवादियों के लिए शांति की कोई अहमियत नहीं है और न ही उनके दिल में इंसानी जिंदगी का कोई मोल है। उल्लेखनीय है कि रमजान के लगभग आधे महीने में ही आतंकवादी अनेक हत्याएं कर चुके हैं जबकि अभी लगभग आधा महीना बाकी है। स्पष्ट है कि आतंकियों का कोई दीन, ईमान, धर्म और आदर्श नहीं, लिहाजा उनके साथ उतनी ही कठोरता से निपटना चाहिए जितनी बेरहमी से वे उन निर्दोषों का खून बहा रहे हैं जिनकी रूहें शायद इनसे पूछ रही हों :किया किस जुर्म में तूने मुझे कत्ल, जरा सा तू दिल में शर्माया तो होता।—विजय कुमार  

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