देश में चल रहीं ‘मुन्ना भाई बनाने की फैक्टरियां’

Tuesday, Jun 07, 2016 - 01:23 AM (IST)

वर्ष 2003 में जब फिल्म ‘मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.’ रिलीज हुई थी तब सिने दर्शक यह देख कर हंसते थे कि कभी ऐसा भी हो सकता है कि परीक्षा में बैठे बिना किसी दूसरे से अपने स्थान पर परीक्षा दिलवा कर कोई व्यक्ति डाक्टर बन सकता है लेकिन निर्देशक राजकुमार हिरानी ने आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व भारतीय शिक्षा प्रणाली में आने वाले पतन की जो कल्पना की थी वह आज सच होती दिखाई दे रही है। 

 
आज अन्य क्षेत्रों की भांति शिक्षा में भी धन बल और बाहुबल का दबदबा बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप न सिर्फ नकली डाक्टर बल्कि नकली अध्यापक, नकली टॉपर छात्र और नकली वकील तक सामने आ रहे हैं। 
 
इसी वर्ष मार्च में छत्तीसगढ़ के रायपुर में पहली बार किसी मुन्ना भाई (महिला) द्वारा बोगस एम.बी.बी.एस. की डिग्री लेने का खुलासा हुआ था। पं. नेहरू मैडीकल कालेज, रायपुर की 2008-09 बैच की इस छात्रा ने साढ़े 4 साल कोर्स व एक साल इंटर्नशिप करके अपना भेद खुलने से पूर्व 7 महीने सरकारी अस्पताल के रेडियो डायग्नोस्टिक विभाग में नौकरी भी कर ली।
 
2008-09 की सी.जी.-पी.एम.टी. में इस छात्रा की जगह किसी अन्य ने परीक्षा दी थी। सी.आई.डी. ने इसके सहित तीन सरकारी कालेजों में पढ़ रहे 41 मुन्ना भाइयों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चालान पेश किया। 
 
छत्तीसगढ़ के चिकित्सा शिक्षा संचालक प्रताप सिंह का कहना है कि जब तक इन डाक्टरों का मामला अदालत में है इनकी रजिस्ट्रेशन नहीं होगी और न ही वे प्रैक्टिस कर सकेंगे लेकिन इस छात्रा ने तो बोगस डाक्टरी करके सात महीने प्रैक्टिस भी कर ली। 
 
गत मास गुजरात सैकेंडरी एंड हायर सैकेंडरी एजुकेशन बोर्ड द्वारा 12वीं की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने में लगाए गए अध्यापकों की योग्यता जांचने के लिए चलाए गए ‘गुणोत्सव’ अभियान के अंतर्गत परीक्षा ली गई तो कई ‘मुन्ना भाई’ अध्यापकों का पता चला जिन्हें मामूली रकमों को जोडऩा तथा घटाना भी नहीं आता था। कुछ अध्यापकों ने तो 1+1= 3, 4+3=2, 5+4 = 90 जैसे मूर्खतापूर्ण जवाब देकर अपने निरीक्षकों को चौंका दिया। 
 
इसी प्रकार हाल ही में बिहार शिक्षा बोर्ड के 12वीं कक्षा के घोषित परिणामों में तीन बोगस टॉपर छात्र पाए गए। विशुन राय कालेज, भगवानपुर के उक्त तीनों ही छात्रों ने परिणामों की घोषणा के बाद दिए इंटरव्यू में विभिन्न प्रश्रों के हास्यास्पद उत्तर दिए जिनसे उनका भेद खुला।
 
आटर््स में टॉपर रूबी राय से पूछा गया कि उसने किस-किस विषय की परीक्षा दी थी तो उसका जवाब था, प्रोडिकल (पॉलिटिकल) साइंस, ज्योग्राफी और होम साइंस की। फिर उससे पूछा गया कि पॉलिटिकल साइंस में क्या पढ़ाया जाता है तो उसका जवाब था ‘खाना बनाना’। इसी प्रकार इंटर साइंस के ‘टॉपर’ सौरभ श्रेष्ठï को इलैक्ट्रोन और प्रोटोन के बारे में भी पता नहीं था। 
 
मुन्ना भाई डाक्टरों, अध्यापकों और छात्रों की भांति ही देश में मुन्ना भाई वकीलों की भी अब कमी नहीं रही। सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर देश के सभी राज्यों की बार कौंसिलों द्वारा वकीलों की वैरीफिकेशन प्रक्रिया के दौरान हाल ही में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि राजधानी दिल्ली में ही सबसे ज्यादा 20,000 ‘मुन्ना भाई’ वकील हैं। 
 
बी.सी.आई. के चेयरमैन मनन मिश्रा के अनुसार वकीलों को प्रैक्टिस करने के लिए कौंसिल के सर्टीफिकेट की जरूरत होती है। यह सर्टीफिकेट डिग्री और दस्तावेजों की जांच के बाद दिया जाता है। मिश्रा के अनुसार दिल्ली में अधिवक्ताओं की जांच की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अधिकांश वकील इस प्रक्रिया के विरुद्ध हैं क्योंकि उनके पास फर्जी सर्टीफिकेट हैं। 
 
वास्तव में देश में लगभग प्रत्येक क्षेत्र में नम्बर 2 का धंधा चल रहा है जो इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। अनेक राज्यों में शिक्षा के क्षेत्र में बाकायदा ऐसे सुनियोजित गिरोह सक्रिय हैं जो एक निश्चित रकम के बदले में लोगों को कुछ भी उपलब्ध करवा सकते हैं। देश में कुकुरमुत्तों की भांति उभर रहे बोगस विश्वविद्यालय भी इसमें अपना योगदान डाल रहे हैं जिनके देश भर में फैले एजैंट इस काम में उनका सहयोग दे रहे हैं। 
 
इस ‘माफिया’ की शिनाख्त के बाद जब तक इसे समूल नष्टï नहीं किया जाएगा तब तक देश में इसी प्रकार ‘मुन्ना भाई-बहन’ पनपते रहेंगे और नकली अध्यापक, नकली छात्र, नकली वकील और नकली डाक्टर बनकर लोगों के जीवन एवं भविष्य से खिलवाड़ करते रहेंगे।
 

 

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