सुविधाओं के अभाव में लोग लगाने लगे ‘सरकारी स्कूलों को ताले’

Saturday, Sep 22, 2018 - 01:07 AM (IST)

हालांकि लोगों को सस्ती और स्तरीय शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा, लगातार बिजली और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाना हमारी सरकारों की जिम्मेदारी है परंतु वे इसमें असफल सिद्ध हो रही हैं। जहां तक शिक्षा का संबंध है हमारे सरकारी स्कूलों के बुरी तरह अव्यवस्था एवं अध्यापकों आदि की कमी का शिकार होने के कारण, जिसके चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं, वहां लोग अपने बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते। यहां तक कि सरकारी स्कूलों के अध्यापक भी अपने बच्चों को वहां नहीं पढ़ाते :

27 अगस्त को भीखी के गांव हमीरपुर ढैपई के सरकारी स्कूल में तैनात डी.पी. मास्टर द्वारा स्कूल खेल मुकाबले में की गई कथित लापरवाही को लेकर रोष में आए गांववासियों ने स्कूल को ताला लगाकर रोष जताया। 29 अगस्त को हरियाणा में रेवाड़ी के गांव चिलहड़ में अध्यापकों के अभाव में गुस्साए ग्रामीणों ने सरकारी स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया।

02 सितम्बर को मध्यप्रदेश के सैकेंडरी स्कूल भद्रसी में ग्रामीणों ने स्कूल के मुख्य दरवाजे पर ताला लगाकर चेतावनी दी कि स्कूल में अध्यापकों की कमी पूरी किए जाने तक ताला नहीं खोला जाएगा। अधिकारियों द्वारा शिक्षकों की अविलंब व्यवस्था किए जाने के बाद ही ग्रामीणों ने ताला खोला।

12 सितम्बर को मध्यप्रदेश के ‘सीधी’ में अव्यवस्थाओं से घिरे मेंंढकी स्थित सरकारी स्कूल के गेट पर नाराज ग्रामीणों ने ताला जड़ दिया। उनका कहना था कि जब बच्चों को बकरियां ही चरानी हैं तो स्कूल किस काम के। 14 सितम्बर को मानसा के साहनेवाली स्थित आदर्श स्कूल में प्रदर्शनकारियों ने 25 अध्यापकों और अन्य स्टाफ मैंबरों को स्कूल के अंदर बंद कर दिया। प्रदर्शनकारी स्कूल के पिं्रसीपल को हटाने और एक पी.टी.आई. अध्यापक को बहाल करने की मांग कर रहे थे।

14 सितम्बर को हरियाणा में नांगल चौधरी के गांव मूसनोता के सीनियर सैकेंडरी स्कूल में स्टाफ की कमी और अध्यापकों द्वारा छात्र-छात्राओं को पढ़ाई न करवाने को लेकर ग्रामीणों ने स्कूल को ताला जड़ दिया। 17 सितम्बर को संगरूर के गोविंदगढ़ खोखर स्थित सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में अध्यापकों की कमी के विरुद्ध 3 गांवों के लोगों ने स्कूल के गेट को ताला लगा दिया। इस स्कूल में अध्यापकों के 5 पद खाली हैं। इससे पूर्व 13 सितम्बर को भी उन्होंने स्कूल को ताला लगा दिया था।

18 सितम्बर को हिमाचल में जिला कांगड़ा के उपमंडल इंदौरा की एक पंचायत के ग्रामीणों ने प्राइमरी स्कूल ‘चाबियां’ की एक अध्यापिका पर दुव्र्यवहार का आरोप लगाते हुए उसके तबादले की मांग पर बल देने के लिए स्कूल में तालाबंदी कर दी। 19 सितम्बर को जम्मू-कश्मीर के कालाकोट में गलहान स्थित सरकारी हाई स्कूल में अध्यापकों की कमी को लेकर अभिभावकों ने स्कूल में ताले जड़ कर जोरदार प्रदर्शन किया और शिक्षा विभाग के विरुद्ध नारेबाजी की।

20 सितम्बर को राजस्थान के भरतपुर जिले के ‘सीकरी झंझार’ गांव के सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में ग्रामीणों ने नए प्रिंसीपल की नियुक्ति के विरुद्ध भारी प्रदर्शन किया और स्कूल में छुट्टी करवा दी।

ग्रामीणों का आरोप है कि इस व्यक्ति ने 2001 में पंचायत के सरकारी सैकेंडरी स्कूल बुडली में तैनाती के दौरान 2 अन्य अध्यापकों के साथ विद्यालय की छात्रा से छेड़छाड़ की थी। 20 सितम्बर को ही राजस्थान में जैसलमेर स्थित एक सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में लम्बे समय से चल रही अध्यापकों की कमी के विरुद्ध छात्रों ने प्रदर्शन किया और मुख्य गेट पर ताला जड़ कर धरने पर बैठ गए।

सरकारें भले ही अपने-अपने प्रदेश में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के दावे करती नहीं थक रहीं परंतु अध्यापकों के अभाव व अन्य अनियमितताओं के कारण छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। समय-समय पर ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों को स्थिति से अवगत करवाने के बावजूद सरकारी स्कूलों में व्याप्त त्रुटियों को दूर नहीं किया गया और शिक्षा विभाग छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

एक ओर सरकारी स्कूल तरह-तरह की अनियमितताओं और त्रुटियों से जूझ रहे हैं तो दूसरी ओर सरकारें भारी-भरकम तथा अव्यावहारिक शर्तें लगाकर प्राइवेट स्कूलों को चलने नहीं दे रहीं जबकि प्राइवेट स्कूल टीचरों को नौकरी पर रख कर न सिर्फ बेरोजगारी दूर कर रहे हैं बल्कि अपने इलाके के बच्चों को सुरक्षित वातावरण में शिक्षा भी प्रदान करके समाज की भारी सेवा कर रहे हैं।     —विजय कुमार 

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