राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने विश्वास मत जीता लेकिन...

punjabkesari.in Saturday, Aug 15, 2020 - 01:36 AM (IST)

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद राहुल और प्रियंका गांधी से उनकी भेंट के बाद अंतत: 11 अगस्त को ‘सुलझ’ गया। जहां उन्होंने पार्टी और सरकार के हित में काम करने की प्रतिबद्धता जताई वहीं सोनिया गांधी ने उनकी शिकायतें दूर करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी और उनकी कुछ मांगें भी स्वीकार कर ली थीं। 

हालांकि अंदरखाने गहलोत गुट के कुछ सदस्यों ने इस सुलह फार्मूले पर नाराजगी भी प्रकट की परंतु अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसा होना कुदरती ही है और यह सब भी सुलझा लिया जाएगा। इसी के अनुरूप 13 अगस्त को गहलोत और पायलट की मुलाकात हुई, जिसके बाद अशोक गहलोत ने अपने निवास पर पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाई जिसमें सचिन पायलट ने अपने सभी समर्थकों के साथ हिस्सा लिया तथा 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने और विश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया। 

इसी के अनुरूप संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने गहलोत सरकार की ओर से विश्वास प्रस्ताव पेश किया जो ध्वनिमत से पारित हो गया और इसके तुरंत बाद सदन की बैठक 21 अगस्त तक स्थगित कर दी गई। इस अवसर पर बोलते हुए शांति धारीवाल ने केंद्र सरकार के इशारों पर मध्य प्रदेश और गोवा में चुनी हुई सरकारों को गिराने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘धन और सत्ता के बल पर सरकारें गिराने की यह कोशिश राजस्थान में सफल नहीं हो पाई।’’ सत्र शुरू होने से पूर्व गहलोत ने ट्वीट कर लिखा ‘सत्यमेव जयते’ और विश्वास मत पर चर्चा करते हुए कहा, ‘‘चुनी हुई सरकारें गिराने की साजिश की जा रही है। नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली।’’ 

सचिन पायलट ने कहा, ‘‘समय के साथ-साथ सब बातों का खुलासा होगा लेकिन मैं इतना कहना चाहता हूं कि जो कुछ कहना था या सुनना था ...हम लोगों को जिस डाक्टर के पास अपना मर्ज बताना था, वह बता दिया...इलाज करवाने के बाद हम सब लोग आज ...लौट आए हैं तो कहने- सुनने वाली बातों से परे हट कर आज वास्तविकता पर ध्यान देना होगा।’’ 

अब जबकि गहलोत सरकार ने विश्वास मत प्राप्त कर लिया है और पायलट ग्रुप की वापसी भी हो गई है, उच्च कांग्रेस नेतृत्व को इतने भर से ही संतुष्टï होकर नहीं बैठ जाना चाहिए बल्कि गहन आत्ममंथन करना चाहिए कि पार्टी में ऐसा क्या हो रहा है जिससे इसमें लगातार और बार-बार असंतोष के स्वर उठ रहे हैं और इन्हें किस प्रकार शांत किया जाए ताकि पार्टी को बचाया जा सके!—विजय कुमार


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