पंजाब में अफ्रीकी नशा तस्करों ने पैर जमाए ‘बोलते भी हैं पंजाबी’

Sunday, Sep 23, 2018 - 01:47 AM (IST)

देश में स्थानीय नशा तस्करों के साथ-साथ विदेशी नशा तस्करों का जाल लगातार फैल रहा है। पंजाब में विशेष रूप से नाइजीरिया के नशा तस्करों ने बुरी तरह अपने पैर जमा लिए हैं। इनमें वहां के अधिकांश व्यापारियों से लेकर भारत में इलाज करवाने आए मरीज तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने आए छात्र भी शामिल हैं।

अफगानिस्तान के नशा तस्करों के साथ एक नैटवर्क कायम करके ये पंजाब के विभिन्न हिस्सों में नशीले पदार्थों की सप्लाई कर रहे हैं और दिल्ली के रास्ते पंजाब में नशीले पदार्थ ला रहे हैं। गत वर्ष पंजाब पुलिस ने नशा तस्करी के आरोप में 42 नाइजीरियनों सहित 50 अफ्रीकनों को गिरफ्तार किया था तथा इस वर्ष अभी तक पुलिस ने 18 नाइजीरियनों सहित 24 अफ्रीकनों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 22 किलो हैरोइन तथा 6 किलो अफीम जब्त की है। गिरफ्तार किए गए तस्करों में नाइजीरिया का एक कपड़ा व्यापारी ‘चिनेडू’ तथा युगांडा की ‘रोगैट नामोताबी’ नामक महिला के अलावा एक अन्य अफ्रीकन महिला ‘फेथ’ भी शामिल है जो टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थी।

ये लोग अफगानिस्तान के तस्करों के साथ मिलकर अफ्रीकी और पंजाबी तस्करों का एक नैटवर्क चला रहे हैं। सर्वाधिक ङ्क्षचताजनक बात यह है कि इन लोगों ने पंजाब के अधिकांश गांवों में स्थानीय तस्करों तथा बदनाम नशेडिय़ों के साथ अपने सम्पर्क बना लिए हैं। ये नाइजीरियन पंजाबी बोलते हैं और पकड़े जाने पर जेल से भी अपना नैटवर्क चला लेते हैं। ‘पंजाब काऊंटर इंटैलीजैंस’ के ए.आई.जी. श्री एच.पी.एस. खख के अनुसार पंजाब के गृह विभाग ने इन विदेशियों पर नजर रखने के लिए दिल्ली सरकार को लिखा है। गिरफ्तार किए विदेशियों के दस्तावेजों से पता चलता है कि ये अपने वीजा की अवधि समाप्त हो जाने पर भी यहां टिके हुए हैं। ये नशे की तस्करी द्वारा आनन-फानन में भारी धनराशि कमाते हैं। इस रकम को वे अपनी मौज-मस्ती पर खर्च करते हैं और कुछ रकम अपने घर भी भेजते हैं।

पंजाब पुलिस द्वारा भेजी गई एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में द्वारका के अलावा उत्तम नगर नाइजीरियनों का केंद्र बन चुका है तथा इसे ‘मिनी नाइजीरिया’ कहा जाने लगा है। अनेक नाइजीरियनों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उनकी ‘फारवर्ड चेन’ का तो पता चला है परन्तु उन्हें यह पता लगाने में कोई विशेष सफलता नहीं मिली कि नशे की यह सप्लाई आती कहां से है। इनमें से कुछ नशा इधर से उधर करने वाले मामूली तस्कर ही नहीं बने रहते, वे अपना बड़ा नैटवर्क बना लेते हैं। इस वर्ष अगस्त में गिरफ्तार नाइजीरियन ‘फ्रैंक माॢजन’ का अफगानी, पंजाबी व अफ्रीकन तस्करों का नैटवर्क है। उसे पंजाब में 3.5 किलो हैरोइन व 60 ग्राम आइस के साथ पकड़ा गया था। दिल्ली व पंजाब के तस्करों को नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए वह दिल्ली और अफगानिस्तान में अनेक अफगान नागरिकों के सम्पर्क में था।

कुछ ऐसी ही कहानी ‘माइकल’ नामक तस्कर की है जो नाभा जेल से नशीले पदार्थ सप्लाई करने का धंधा चला रहा था। उसका नाम ‘रोगैट’ नामक युगांडा की एक महिला तस्कर से पूछताछ के दौरान सामने आया। एन.डी.पी.एस. कानून के अंतर्गत गिरफ्तारी के बाद ‘माइकल’ ने मोगा के दोलैवाला गांव में नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए वाहन चलाने में माहिर एक व्यक्ति के साथ अपना नैटवर्क कायम कर लिया था। इस ड्राइवर ने ‘माइकल’ का परिचय कुछ अन्य लोगों से करवाया और जल्दी ही उन्होंने जेल के अंदर रहते हुए दौलेवाला और अन्य स्थानों को नशीले पदार्थों की तस्करी शुरू कर दी और यह धंधा तब तक जारी रहा जब तक उक्त महिला को गिरफ्तार नहीं कर लिया गया।

स्थानीय तस्करों की मिलीभगत से विदेशी तस्करों का पंजाब तथा देश के अन्य राज्यों में पैर जमा लेना सिद्ध करता है कि इन्होंने यहां अपनी कितनी गहरी जड़ें जमा ली हैं। यदि इन्हें कड़ी कार्रवाई द्वारा जड़ से नष्टï न किया गया तो कल्पना की जा सकती है कि ये भारत की अर्थव्यवस्था और युवा पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए कितना बड़ा खतरा सिद्ध हो सकते हैं। विजय कुमार

Yaspal

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