चुनाव नतीजों में हिमाचल में भाजपा को दो तिहाई बहुमत व गुजरात में हुआ कड़ा मुकाबला

punjabkesari.in Tuesday, Dec 19, 2017 - 02:22 AM (IST)

इन दिनों चुनावों का मौसम चल रहा है। सबसे पहले 17 दिसम्बर को आए परिणामों में कांग्रेस ने पंजाब की तीनों नगर निगमों जालंधर, अमृतसर और पटियाला में जीत दर्ज कर इतिहास रचा जबकि 32 नगर परिषदों/पंचायतों के चुनावों में भी 29 पर जीत दर्ज करके अकाली-भाजपा गठबंधन को हराया। 

अकालियों के शासन के दौरान उठा चिट्टे का मुद्दा, सत्तारूढ़ दल के कार्यकत्र्ताओं की मनमानियां, ट्रांसपोर्ट, केबल, शराब, रेत के कारोबार पर कथित कब्जा और 10 वर्षों के अकाली-भाजपा शासन के दौरान प्रापर्टी कारोबार और इंडस्ट्री में आए मंदे के चलते लोगों में नाराजगी ने शिअद-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों की पराजय में बड़ी भूमिका निभाई। जहां तक 18 दिसम्बर को घोषित हिमाचल और गुजरात के विधानसभा परिणामों का प्रश्र है, गुजरात विधानसभा के दूसरे चरण के मतदान के बाद 14 दिसम्बर को आए एग्जिट पोल में लगभग सभी चैनलों ने दोनों ही राज्यों में भाजपा की जीत की भविष्यवाणी कर दी थी जिसका उल्लेख हमने 16 दिसम्बर के संपादकीय ‘भाजपा हिमाचल व गुजरात में चुनाव जीती, कांग्रेस को आगे बढऩे के लिए विपक्ष को साथ लेना होगा’ में किया था। 

हिमाचल प्रदेश के एग्जिट पोल में विभिन्न चैनलों ने 68 सदस्यीय सदन में भाजपा को 38 से 55 तक सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी जबकि कांग्रेस को 13 से 23 तक सीटें तथा अन्य को अधिकतम 3 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई थी और परिणाम भी इसके अनुरूप ही रहा है तथा भाजपा को 44 और कांग्रेस को 21 तथा अन्य को 3 सीटें ही मिल पाई हैं। वैसे भी हिमाचल प्रदेश में 1990 से ही बदल-बदल कर सरकारें आती रही हैं और इस बार सत्ता विरोधी लहर के चलते भाजपा की ही बारी थी। जहां तक 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा का संबंध है विभिन्न चैनलों ने एग्जिट पोल में भाजपा को 113 से 135, कांग्रेस को 47 से 82 और अन्य को अधिकतम 4 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी जबकि भाजपा को 99, कांग्रेस तथा उसकी सहयोगी को 80 तथा अन्य को 3 सीटें ही मिल पाई हैं। 

परंतु गुजरात में कांग्रेस ने एक लम्बे अर्से के बाद भाजपा को कड़ी चुनौती दी है। राहुल गांधी ने पूरे जोर-शोर से कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार किया और कांटे की टक्कर दी परंतु यदि कांग्रेस पूरे विपक्ष को इकट्ठा कर लेती तो वह बेहतर परिणाम दे सकती थी और जीत भी सकती थी। 22 वर्षों के बाद गुजरात में कांग्रेस सरकार बनने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही थी परंतु शंकर सिंह वघेला द्वारा कांग्रेस से इस्तीफे से पार्टी को पहला झटका लगा तथा पाटीदारों में फूट पड़ गई और रही-सही कसर मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कह कर पूरी कर दी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा चुनाव प्रचार में गुजरातियों को भावात्मक रूप से अपने साथ जोडऩे का लाभ भी भाजपा को मिला। जहां राहुल गांधी ने दोनों राज्यों में कांग्रेस की हार को स्वीकार किया है वहीं हार्दिक पटेल ने अनेक स्थानों पर, जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम है, ई.वी.एम. मशीनों में टैम्परिंग किए जाने का आरोप भी लगाया है। 

भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के अनुसार इस समय देश में भाजपा की 14 राज्यों में तथा एन.डी.ए. की 19 राज्यों में सरकार बन गई है जो भाजपा के लिए गर्व की बात हो सकती है। लेकिन भाजपा को यह तथ्य भूलना नहीं चाहिए कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गुजरात में 164 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी जबकि इस बार 99 क्षेत्रों में ही आगे रही। इस बार कांग्रेस का वोट शेयर भी 2014 के 33.45 प्रतिशत से लगभग 8 प्रतिशत बढ़ कर 41.4 प्रतिशत हो गया। जहां तक आम जन का संबंध है इन चुनाव परिणामों का आम लोगों को फायदा होगा। अब भाजपा सतर्क होकर सरकार चलाएगी, लोगों को जी.एस.टी. में अधिक रियायतें और सुविधाएं मिलेंगी, फिजूल की बयानबाजी कम होगी और विकास भी शुरू होगा तथा नरेंद्र मोदी अपने गवर्नैंस के माडल में संशोधन करके इसे और तेजी से आगे बढ़ाएंगे।—विजय कुमार  


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