‘इमरान सरकार की हालत डावांडोल’ ‘पाकिस्तान में कभी भी धमाका संभावित’

Thursday, Dec 17, 2020 - 03:22 AM (IST)

इन दिनों पाकिस्तान से जो खबरें आ रही हैं उनसे वहां की अत्यंत निराशाजनक तस्वीर सामने आ रही है। ऐसा लगता है कि वहां पर किसी भी समय कोई बड़ा धमाका हो सकता है तथा आंतरिक असंतोष, भ्रष्टाचार, कमरतोड़ महंगाई, लाकानूनी आदि समस्याओं से जूझ रही इमरान खान की सरकार कभी भी धराशायी हो सकती है। यद्यपि अमीर वर्ग से संबंधित लोगों को तो हर चीज आसानी से उपलब्ध है परन्तु देश में व्याप्त कमरतोड़ महंगाई के कारण देश की बड़ी आबादी, जो बहुत ज्यादा गरीब है, अनिवार्य जीवनोपयोगी वस्तुओं के लिए तरस रही है और उसका जीना दूभर हो गया है। 

वहां अदरक 1000 रुपए किलो, शिमला मिर्च 200 रुपए किलो, दूध 135 रुपए लीटर, डबल रोटी 150 रुपए, गेहूं 60 रुपए, चीनी 81 रुपए, चावल 200 रुपए, सेब 250 रुपए, टमाटर 200 रुपए, प्याज 90 रुपए किलो तथा पानी की बोतल 80 रुपए तक में बिक रही है। ढाबों पर एक रोटी 30 रुपए में मिलती है। देश में अराजकता जैसी स्थिति के कारण लूटपाट तथा दमन जारी है। इसी कारण इन दिनों वहां इमरान सरकार को सत्ताच्युत करने के लिए 11 विपक्षी दलों ने  मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में ‘पाकिस्तान डैमोक्रेटिक मूवमैंट’ (पी.डी.एम.) का गठन कर राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज)’ (पी.एम.एल.-एन) की अध्यक्ष और उनकी बेटी मरियम नवाज तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टों भी शामिल हैं। 

इमरान खान की हालत का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अपने विरुद्ध बढ़ रहे जनअसंतोष के कारण 2018 में सत्ता ग्रहण करने के बाद से अब तक वह चार बार अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर चुके हैं। हाल ही में किए फेरबदल में इमरान ने उस बड़बोले शेख रशीद अहमद को गृहमंत्री नियुक्त किया है जिसका उनके साथ ‘36’ का आंकड़ा रहा है और जो अतीत में रेल मंत्री के रूप में उल्टे-पुल्टे बयान देकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान की किरकिरी करवा चुका है। सेना और गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. की शह पर हो रहे भारी अत्याचारों के चलते अवैध रूप से कब्जाए गए गिलगित-बाल्तिस्तान, बलूचिस्तान, सिंध और ‘फाटा’ आदि में आजादी की मांग उठ खड़ी हुई है और प्रदर्शन जारी हैं। इसी के लिए सिंध में लम्बे समय से ‘जीए सिंध’ आंदोलन जारी है। 

वास्तव में पंजाब को छोड़ कर सभी राज्य पाकिस्तान से अलग होकर अपना स्वतंत्र देश बनाना चाहते हैं। सीमा (एल.ओ.सी.) के पार पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के विरुद्ध लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। वहां से पलायन करके भारत में आए लोगों का कहना है कि उस नरक से निकलने के बाद भारत आकर उनकी जिंदगी संवर गई है और वे सुखी हो गए हैं। हालत यहां तक पहुंच गई है कि अपने पाले हुए जिन आतंकवादियों की सहायता से पाकिस्तानी सेना भारत में हिंसा करवा रही है वही आतंकवादी अब बेकाबू होकर अपने ही देश में धमाके करके लोगों को मार रहे हैं और पाकिस्तान के सबसे बड़े दोस्त चीन के नागरिकों पर भी हमले करने लगे हैं। ऐसे ही एक आतंकी हमले में 15 दिसम्बर को चीनी नागरिक बाल-बाल बचे। अब तो पाकिस्तान में सेना पर भी हमले होने लगे हैं और 16 दिसम्बर को ही कराची में सेना के वाहनों पर हमले में 2 सैनिक घायल हो गए। 

आर्थिक तौर पर भी पाकिस्तान सरकार बुरी तरह कंगाल हो चुकी है और इसके शासकों को अपने सिर पर चढ़ा कर्ज उतारने के लिए भी दूसरे देशों से कर्ज लेना पड़ रहा है। इसी वर्ष अगस्त में चीन ने पाकिस्तान को 1.5 बिलियन डालर का कर्ज दिया है ताकि वह सऊदी अरब का कुछ कर्ज उतार सके। हालांकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ भारत के साथ सम्बन्ध मधुर बनाना चाहते थे परन्तु पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने उनके प्रयासों को तारपीडो कर दिया और तब से अब तक भारत तथा पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध सामान्य नहीं हो सके हैं। 

जहां तक भारत का संबंध है सी.डी.एस. जनरल बिपिन रावत के अनुसार भारत किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है और सीमा पर 15 दिनों तक चल सकने वाले युद्ध के लिए गोला-बारूद जमा करने को हरी झंडी दे दी है। ऐसे में यदि भारत में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रहा तो भारत मुंह तोड़ जवाब दे सकता है। इसी प्रकार के हालात को देखते हुए 5 में से 4 पाकिस्तानियों का विश्वास है कि देश गलत दिशा में जा रहा है तथा राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इमरान सरकार अब चंद दिनों की ही मेहमान रह गई है।—विजय कुमार  

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