इमरान खान का ‘शपथ ग्रहण समारोह’ ‘चंद दिलचस्पियां’

Sunday, Aug 19, 2018 - 03:03 AM (IST)

पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता इमरान खान ने 18 अगस्त को सुबह 10.50 बजे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और अपने शपथ ग्रहण के तरीके को लेकर सोशल मीडिया पर जग हंसाई का कारण बने। 

समारोह में राष्ट्रपति ममनून हुसैन द्वारा उन्हें उर्दू में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाने के दौरान इमरान खान को उर्दू बोलने में काफी कठिनाई हुई। लिख कर दी हुई कुरान की आयतों का उच्चारण भी वह सही ढंग से नहीं कर पाए। इमरान खान कई बार अटके, दो बार रुके और मुस्कुराए और उनकी यह मजबूरी देख कर वहां बैठे लोग भी हंसने लगे। सोशल मीडिया पर इस संबंध में टिप्पणियों की बाढ़ आ गई है। 

लोगों का कहना है कि, ‘‘पहले ही दिन उन्होंने विरोधी दलों की आलोचना और पी.एम.एल.एन. पर धमकियों की बौछार कर दी है जिससे नहीं लगता कि उनसे वह आशा पूरी हो सकेगी जो लोगोंं ने उनसे लगा रखी है।’’ ‘‘जिसे देख कर शपथ पढऩा भी नहीं आता वह देश क्या चलाएगा। लगता है कि वह शपथ लेने से ज्यादा अपनी शेरवानी की ओर ध्यान दे रहे थे।’’ 

उल्लेखनीय है कि इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने पाकिस्तान में चुनावों से पूर्व एक पुस्तक लिखी थी जिसमें इमरान खान संबंधी चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन किए गए थे। इस पुस्तक में रेहम खान ने लिखा था कि इमरान खान ज्यादातर समय इंगलैंड में रहे और वहीं के कल्चर से प्रभावित होने के कारण उन्हें उर्दू पढऩी नहीं आती और न ही उन्होंने कभी कुरान पढ़ी है। रेहम खान ने तब यह भी कहा था कि इमरान खान धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं तथा जादू-टोने में विश्वास रखते हैं और सेना जो कहती है, वही करते हैं। रेहम खान ने इमरान पर औरतबाज होने और ड्रग्स लेने का आरोप भी लगाया था। उस समय रेहम खान के इन आरोपों से पाकिस्तान में तूफान आ गया था और इसी कारण इमरान खान ने पाकिस्तान, भारत और बंगलादेश में इस पुस्तक की बिक्री पर प्रतिबंध लगवा दिया था। तब लोगों ने इसे एक नाराज पत्नी का विलाप करार दिया था परंतु 18 अगस्त को शपथ ग्रहण समारोह में इमरान खान के आचरण से उक्त बातें अब सच सिद्ध हो गई लगती हैं।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में बुर्का आम तौर पर नहीं पहना जाता परंतु इमरान खान की वर्तमान पत्नी बुशरा मेनका सफेद बुर्का पहन कर शपथ ग्रहण में आई तो लोगों में कानाफूसी होने लगी कि पाकिस्तान में अब क्या बुर्का युग वापस आएगा जबकि इमरान खान ने नया पाकिस्तान बनाने और देश को आधुनिकीकरण की ओर ले जाने की बात कही है। जहां तक नवजोत सिंह सिद्धू के इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जाने से उठे विवाद का संबंध है, हम समझते हैं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सिद्धू को पाकिस्तान जाने की इजाजत सरकार ने ही दी है। इसका मतलब है कि वह सिद्धू के इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में जाने पर सहमत थी। अतीत में अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान जा चुके हैं। 

पाकिस्तान में राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में तो इमरान के पीछे जो लोग हैं वही फैसला करेंगे अर्थात सेना ही भारत-पाक रिश्तों का भविष्य तय करेगी। जहां तक इमरान द्वारा नया पाकिस्तान बनाने का संबंध है, उन्होंने अगले 5 वर्षों में देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने, आर्थिक दशा सुधारने, भ्रष्टïाचार मिटाने, मंत्रियों की जवाबदेही तय करने, एक करोड़ रोजगार पैदा करने व 50 लाख सस्ते मकान बनाने की बात कही है। 

इमरान खान को बहुत संभल कर चलने की आवश्यकता है। उनके पास बहुमत नहीं है और उन्हें यह सिद्ध करना होगा कि वह सेना की कठपुतली नहीं हैं। उन्हें आतंकवादियों और तालिबान का साथ छोड़ कर और रक्षा बजट घटा कर शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के रास्ते पर चलना होगा। अमरीका तथा रूस की नाराजगी दूर करनी होगी तभी उन्हें उनसे सहायता मिल सकेगी जबकि इस समय पाकिस्तान के पास आय का एकमात्र स्रोत चीन से मिला अनुदान ही है। कुल मिलाकर यह इमरान के लिए एक अच्छा मौका होगा, यदि वह सेना को अमरीका, अफगानिस्तान और भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए राजी कर सकें।—विजय कुमार 

Pardeep

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