इमरान खान हटे और शहबाज शरीफ आए अल्लाह जाने आगे क्या होगा!

Wednesday, Apr 13, 2022 - 04:08 AM (IST)

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को सत्ताच्युत करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पी.एम.एल.(एन) की नेता मरियम और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पी.पी.पी.) के नेता बिलावल भुट्टो सहित देश के 11 विरोधी दलों द्वारा चंद महीनों से आंदोलन जारी था। 

अंतत: 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान में इमरान सरकार के गिर जाने के बाद पाकिस्तान में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया और 11 अप्रैल  को पाकिस्तान की संसद में संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार तथा पंजाब प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ निर्विरोध देश के 23वें प्रधानमंत्री चुन लिए गए और इसके तुरंत बाद इमरान की ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ पार्टी (पी.टी.आई.) के सभी सांसदों ने संसद से त्यागपत्र दे दिया। 

‘शरीफ’ बंधुओं नवाज और शहबाज का परिवार मूलत: कश्मीर में अनंतनाग का रहने वाला है जो बाद में पंजाब के अमृतसर जिले के ‘जाति उमरा’ गांव में आ बसा और विभाजन के बाद यहां से लाहौर चला गया। शहबाज बंधुओं की मां मूलत: कश्मीर के पुलवामा की रहने वाली थीं। शरीफ परिवार पाकिस्तान के सबसे अमीर व्यापारिक घरानों में से एक है और दोनों ही शरीफ बंधुओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। शहबाज शरीफ पर 14 अरब रुपए के धन शोधन मामले तथा अन्य आरोपों में केस चल रहे हैं। अब यह देखना होगा कि वह इन केसों से कैसे निपटते हैं। 

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री के रूप में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पहली चुनौती अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर है तथा पाकिस्तान गम्भीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस पर लगभग 7.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है जिसमें प्रतिदिन 1400 करोड़ रुपए की वृद्धि हो रही है। गत 6 महीनों में वहां महंगाई की दर 24.3 प्रतिशत बढ़ी है तथा लोगों को 2 समय के भोजन के भी लाले पड़े हुए हैं। 

2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के संकल्प के साथ सत्ता में आए इमरान ने देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने, करोड़ों रोजगार कायम करने और महंगाई पर नियंत्रण पाने के वायदे किए थे परन्तु इनमें से वह कोई भी वायदा पूरा नहीं कर सके। इमरान द्वारा देशवासियों को दी हुई सुविधाएं और सबसिडी आदि बहाल करने और उनके अधूरे वायदों को पूरा करने की जिम्मेदारी अब शहबाज शरीफ पर आ पड़ी है। ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ (आई.एम.एफ.) द्वारा पाकिस्तान को आतंकवादियों की गतिविधियों पर रोक लगाने तथा एक केंद्रीय बैंक कायम करने तक वित्तीय मदद देने से इन्कार कर देने से उसकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। 

शहबाज के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अपने राजनीतिक समर्थकों को साथ रखने की होगी। प्रेक्षकों के अनुसार शहबाज की पार्टी के पास जादुई आंकड़ा नहीं है। वह पी.पी.पी. तथा अन्य छोटे दलों पर आश्रित हैं। ऐसे में यदि किसी नेता, विशेष रूप से बिलावल भुट्टो की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा जाग उठी तो शहबाज की कुर्सी खतरे में आ सकती है। शहबाज के सामने तीसरी चुनौती सेना को अपने साथ रखने की होगी। इमरान सेना की सहायता से ही सत्ता में आए थे और शहबाज शरीफ भी सेना की सहायता से ही सत्ता में आए हैं। लिहाजा अब अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए उन्हें भी सेना को अपने साथ रखने की कोशिश करनी होगी क्योंकि शरीफ परिवार का सेना के साथ रिश्ता हमेशा अच्छा नहीं रहा। 

अन्य चुनौतियों के अलावा शहबाज के सामने एक चुनौती देश में आतंकवाद पर काबू पाने की भी होगी। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई हैं। नवाज शरीफ के परिवार से भारतीय नेताओं का अच्छा संबंध रहा है और शहबाज से भी ऐसी ही आशा की जाती है। हालांकि उन्होंने अपने शुरूआती भाषण में कश्मीर का राग अलापते हुए कहा है कि, ‘‘हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन कश्मीर मुद्दे के हल के बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता।’’

परन्तु इसे उनका स्थायी बयान न समझ कर देश के कट्टरवादी तत्वों को शांत रखने की रणनीति का हिस्सा ही समझना चाहिए तथा शहबाज शरीफ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें बधाई संदेश भेजने पर उनका शुक्रिया भी अदा किया है। शहबाज शरीफ को मालूम है कि उनके देश को विदेशी सहायता की भारी जरूरत है, ऐसे में भारत के साथ व्यापार उनके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। 

नवाज शरीफ नवम्बर 2019 से लंदन में रह रहे हैं तथा इमरान के अपदस्थ होने के बाद अब उनके ईद के बाद पाकिस्तान लौटने की संभावना है। अत: हो सकता है कि उनके आने के बाद पार्टी में नई जोड़-तोड़ शुरू हो जाए क्योंकि नवाज शरीफ अपनी बेटी मरियम को प्रधानमंत्री बनाने के इच्छुक थे जिनके नेतृत्व में इमरान को सत्ताच्युत करने का आंदोलन चलाया गया। 

यदि ऐसा न भी हो तो भी बार-बार ताव में आकर हाथ लहराने वाले तेज-तर्रार शहबाज शरीफ के पास समय कम और करने वाला काम बहुत ज्यादा है। अत: जितना जोश वह हाथ लहराने में दिखाते हैं वैसा ही जोश उन्हें देश की समस्याएं हल करने में दिखाना होगा। ऐसी भी आशंका है कि देश में चल रही राजनीतिक अस्थिरता के बीच कहीं गृहयुद्ध ही न छिड़ जाए। हालांकि इमरान के समर्थक स्पीकर और अन्य नेताओं तथा सांसदों ने त्यागपत्र दे दिया है परन्तु अभी भी इमरान को पाकिस्तान की संसद के बाहर अपार जन समर्थन मिल रहा है। लोग जल्दी ही इमरान की गलतियां तो भूल जाएंगे परन्तु उनके अधूरे वायदे पूरे न करने पर जन आक्रोश की गाज गिरेगी शहबाज शरीफ पर।—विजय कुमार                                        

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