आई.आई.टी. छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामले चिंताजनक

Monday, Sep 04, 2023 - 04:08 AM (IST)

दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) में बी.टैक अंतिम वर्ष का 21 वर्षीय छात्र अनिल कुमार 1 सितम्बर शाम को अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाया गया। पुलिस नियंत्रण कक्ष को शाम 6 बजे एक फोन द्वारा उसकी मृत्यु की सूचना दी गई। कैम्पस के छात्र संगठन ‘अंबेडकर फुले पेरियार स्टूडैंट सर्कल’ ने एक बयान में कहा, ‘‘अनुसूचित जाति का एक और छात्र विंध्यांचल छात्रावास में मृत पाया गया।’’ यह भी पता चला है कि मृतक गणित और कम्प्यूटिंग में बी.टैक (2019-2023) कर रहा था। वह होस्टल में 6 महीने के एक्सटैंशन पर था क्योंकि वह कुछ विषय क्लीयर नहीं कर पाया था। पुलिस ने इस मामले में किसी तरह की गड़बड़ी से इन्कार किया है और जांच कर रही है। 

आई.आई.टी. जैसे संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के सुसाइड के मामले ङ्क्षचताजनक हैं। आई.आई.टी. दिल्ली में यह आत्महत्या की दूसरी तथा  इस वर्ष विभिन्न आई.आई.टी.में  इंजीनियरिंग छात्रों की आत्महत्या की छठी घटना है। फरवरी में आई.आई.टी. बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी ने होस्टल की सातवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली तथा इसके बाद आई.आई.टी. मद्रास के 3 छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी। इस तरह की घटनाओं के दृष्टिगत यह प्रश्र उठता है कि क्या यह शिक्षा का दबाव है या अवसाद, अकेलेपन का परिणाम है या इसके पीछे  कोई और कारण हैं? क्या छात्र के माता-पिता  की ओर से दबाव डाला गया या उसके अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखने और आरक्षण आदि के कारण कोई दबाव था? 

कुछ समय पूर्व ये निर्देश दिए गए थे कि किसी छात्र से उसकी फीस आदि के विषय में नहीं पूछा जाएगा ताकि यह पता न चल पाए कि वह अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखता है या सामान्य वर्ग से। जो भी हो, हर हालत में हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को अधिक स्वस्थ बनाने की आवश्यकता है, उसे केवल डाटा ओरिएंटेड ही नहीं बल्कि अधिक अनुकूल  बनाने की जरूरत है। पिछले दिनों सरकार की ओर से कहा गया था कि शिक्षा संस्थानों के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य आदि की जांच की जाया करेगी परंतु अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया गया। 

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