‘आइस-एक खतरनाक नशा’ जो देश के युवाओं का सत्यानाश कर रहा है

Saturday, Jun 04, 2016 - 01:26 AM (IST)

पंजाब में इन दिनों नशों को लेकर एक भारी बहस छिड़ी हुई है और एक आकलन के अनुसार राज्य में 30 प्रतिशत से अधिक लोग विभिन्न प्रकार के जानलेवा नशों की लपेट में आ चुके हैं। 

दिमाग के आसपास के तंतुओं को उत्तेजित करके किसी को नींद या ‘मस्ती’ की हालत में ला देने वाले रसायन को ड्रग्स या नार्कोटिक्स कहा जाता है। डाक्टर कुछ नार्कोटिक्स का इस्तेमाल इलाज के लिए करते हैं लेकिन अब लोग इनका इस्तेमाल ‘मस्ती’ के लिए करने लगे हैं।

 
नशे की अनेक किस्में हैं। सुल्फा, अफीम, शराब, भुक्की, भांग, स्मैक, हैरोइन, आइस आदि नशों के अलावा खांसी के सिरप कोरैक्स, फैंसीडिल आदि को मैडीकल नशों में गिना जाता है। 
 
नशा लोग आमतौर पर शराब से शुरू करते हैं और जब शराब नहीं खरीद पाते तो सस्ते नशों भांग और कफ सिरप आदि का इस्तेमाल करने लगते हैं और फिर धीरे-धीरे चरस, अफीम, गांजा, ब्राऊन शूगर आदि लेने लगते हैं। 
 
इनके अलावा कुछ असामान्य नशे भी हैं जिनमें जोड़ों के दर्द में प्रयुक्त ‘आयोडैक्स’ नामक मरहम को डबल रोटी पर या किसी अन्य खाद्य पदार्थ पर लगाकर खाना और छिपकली की पूंछ आदि का सेवन प्रचलित हैं। 
 
एफेड्रीन तथा सूडोफेड्रीन जिन्हें सामान्यत: ‘आइस’ के नाम से बेचा जाता है, ऐसे 2 सिंथैटिक नशे हैं जिनकी कोई काट नहीं है अर्थात एक बार लग जाने के बाद इन नशों के आदी की इनसे मुक्ति का कोई रास्ता नहीं रह जाता। 
 
नवम्बर, 2013 में पूर्व अर्जुन अवार्ड विजेता पहलवान तथा पंजाब पुलिस के बर्खास्त डी.एस.पी. जगदीश भोला को बड़ी मात्रा में ‘आइस’ के साथ पकड़ा गया था, जो बाद में इस अवैध धंधे का किंगपिन निकला। 
 
इसके बाद पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग को उक्त दोनों नशों के शरीर पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों से निपटने के लिए निर्देशावली तैयार करने का आदेश दिया था।
 
 इसके अनुरूप पंजाब सरकार द्वारा गठित की गई डाक्टरों की समिति के सदस्यों, जिनमें भारत के अग्रणी संस्थान ‘पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीच्यूट आफ मैडीकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पी.जी.आई.एम.ई.आर)’ के वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं, के अनुसार कालेज के छात्र व ट्रक ड्राइवर इन नशों के ‘कारगुजारी बढ़ाने वाले प्रभाव’ के कारण इनका सर्वाधिक इस्तेमाल करते हैं। 
 
इनके खतरनाक साइड इफैक्ट्स के कारण इन नशों से पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इससे शरीर में बेकाबू कम्पन, लगातार जी मिचलाना, उल्टी आना तथा मानसिक उन्माद के दौरे पडऩे शुरू हो जाते हैं। पंजाब में लगभग सवा दो लाख लोग इन नशों का शिकार बताए जाते हैं। 
 
अवैध दर्द निवारक दवाओं अथवा डिजाइनर पार्टी ड्रग्स में इस्तेमाल किए जाने वाले मिलावटी और खतरनाक कैमीकल्स का भारी मात्रा का उत्पादन चूंकि भारत में ही किया जाता है और ये कैमिस्टों की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हैं इसलिए देश में इनका इस्तेमाल अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
 
हालत इस कदर बिगड़ चुकी है कि 15-15 साल के बच्चे ड्रग्स ले रहे हैं इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है कि माता-पिता अपने बच्चों को नशों के सेवन के दुष्परिणामों के संबंध में सचेत करें तथा उन पर कड़ी नजर रखें और यदि जरूरत हो तो पुलिस विभाग को भी इस संबंधी कानूनों को कठोरतापूर्वक लागू करना चाहिए। 
अंग्रेजों ने 1800 के पूर्वाद्र्ध में चीनियों को गुलाम बनाने के लिए उन्हें अफीम के नशे का लती बना दिया था, उसी प्रकार अब शत्रु ताकतों द्वारा भारत में बड़े पैमाने पर नशों की तस्करी करवाई जा रही है।  
 
कुछ समय पहले तक तो मुख्यत: शराब ही लोगों के घर उजाड़ रही थी, अब सिंथैटिक और दूसरे हानिकारक नशों ने भी तेजी से अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए हैं और इनके सेवन के कारण भी काफी मौतें हो रही हैं। 
 
ये मुख्यत: भारत की उसी युवा पीढ़ी को अपना निशाना बना रहे हैं जिन पर देश का भविष्य टिका है। ऐसे में इन नशे के व्यापारियों पर लगाम लगाने के जितने भी प्रयास किए जाएं कम हैं।
 
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