‘जब देश में पुलिस ही सुरक्षित नहीं’ तो अपराध कैसे रुकेंगे!

Tuesday, Sep 07, 2021 - 04:07 AM (IST)

कुछ समय से देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। एक ओर आम लोगों के विरुद्ध हत्या, लूटपाट, बलात्कार जैसे अपराध जोरों पर हैं तो दूसरी ओर पुलिस वाले भी अपराधी तत्वों से सुरक्षित नहीं हैं तथा आए दिन उन पर हमले हो रहे हैं जो निम्र ताजा उदाहरणों से स्पष्ट है : 

* 26 अगस्त को लुधियाना के ढंढारी कलां में तलाशी ले रही पुलिस टीम पर इलाके के नशेडिय़ों ने हमला कर दिया और उनकी वर्दी फाडऩे के बाद जान से मार देने की धमकियां देते हुए फरार हो गए।
* 28 अगस्त को दहेज के एक केस की जांच के सिलसिले में जलालाबाद के थाना वैरोके में पूछताछ के लिए एक महिला सहित बुलाए गए कुछ लोगों ने धक्कामुक्की कर ए.एस.आई. की वर्दी फाड़ दी।
* 28 अगस्त को तरनतारन के गांव घरियाला में बंधक बनाए गए एक युवक को छुड़ाने पहुंची पुलिस पार्टी पर गांव वालों ने हमला करके ए.एस.आई. व पुलिस कर्मियों से धक्का-मुक्की की व उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। 

* 29 अगस्त को लुधियाना के शेरपुर इलाके में 2 गुटों का झगड़ा समाप्त  करने गए नाइट ड्यूटी पर तैनात ए.एस.आई. पर बदमाशों ने हमला करके उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया।
* 4 सितम्बर को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सीमांत इंजीनियरिंग कालेज (एस.आई.टी.) में छेडख़ानी के एक मामले की जांच करने पहुंची पुलिस टीम पर छात्रों ने हमला करके एक पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ दी और 2 महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की। 

* 5 सितम्बर को ही बिहार में वैशाली के महुआ थाना में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस पार्टी पर ग्रामीणों ने तलवारों और लाठी-डंडों से हमला करके थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मियों को लहुलूहान कर दिया तथा ताबड़तोड़ फायरिंग की। 
* 5 सितम्बर को बिहार में औरंगाबाद के ‘सइरा’ गांव में अवैध तरीकों से रेत से लदे ट्रैक्टर पकडऩे गई पुलिस पर ग्रामीणों ने ईंट-पत्थरों और डंडों से हमला करके कई पुलिस कर्मियों को घायल कर दिया। लोगों और देश की रक्षा करने वाले पुलिस कर्मियों पर हमले निश्चय ही अपराधी तत्वों के बढ़ रहे दु:साहस और कानून का डर समाप्त हो जाने का ही परिणाम है। लिहाजा ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कड़े प्रावधानों वाला कानून बनाने की आवश्यकता है ताकि ऐसा करने वालों को कठोरतम दंड मिले और दूसरों को नसीहत।—विजय कुमार 

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