महाराष्ट्र के नए दागी मंत्रियों से जन समस्याओं के निवारण की उम्मीद कितनी!

Saturday, Aug 13, 2022 - 03:04 AM (IST)

राजनीति को व्यवसाय न बनाकर जनता के प्रति जवाबदेह और स्वच्छ आचरण करने वाला जनप्रतिनिधि ही अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निष्ठा और ईमानदारी पूर्वक निभा सकता है। इसीलिए 11 सितम्बर, 2020 को चुनाव आयोग ने कहा था कि प्रत्येक चुनावी उम्मीदवार को अपने आपराधिक रिकार्ड की जानकारी टी.वी. और समाचार पत्रों में 3 बार प्रकाशित करवानी होगी परंतु इस गाइडलाइन का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा जिससे अधिकांश लोगों को उनके बारे में सही जानकारी ही नहीं मिल पाती। 

यही कारण है कि संसद और राज्यों की विधानसभाओं में दागी और आपराधिक पृष्ठभूमि के सदस्य पाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र की नवगठित ‘एकनाथ शिंदे’ सरकार के 20 मंत्रियों में से 3 दागी हैं। इन दागी मंत्रियों में ‘एकनाथ शिंदे’ खेमे के अब्दुल सत्तार और संजय राठौर तथा भाजपा के विजय कुमार गाविद शामिल हैं। 

भाजपा नेता चित्रा बाग के अनुसार,‘‘पुणे में ‘सोशल मीडिया स्टार’ पूजा चौहान की मौत के बाद फरवरी, 2021 में संजय राठौर को पद छोडऩे के लिए विवश होना पड़ा था।’’ इसी प्रकार अब्दुल सत्तार के परिवार के सदस्य का नाम टी.ई.टी. घोटाले की चल रही जांच में सामने आया है जबकि भाजपा के विजय कुमार गाविद का नाम 2002 और 2006 के बीच आदिवासी विभाग में कथित रूप से 6,000 करोड़ रुपए के घोटाले में सामने आया था। 

सत्ता में दागियों की भागीदारी सरकार और देश की जागरूक जनता के लिए गहरे आत्ममंथन का विषय है, अत: लोगों को चुनावी उम्मीदवारों के बारे में अच्छी तरह जांच-पड़ताल करके ही उन्हें वोट देना चाहिए। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियां भी बेदाग लोगों को ही टिकट दें और चुने जाने के बाद मंत्री बनाएं क्योंकि जो पहले ही दागी हैं, उनसे स्वार्थ रहित होकर अपनी जिम्मेदारी निभाने की आशा करना व्यर्थ ही होगा।—विजय कुमार

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