शिक्षा संस्थानों में बच्चों का यौन शोषण आखिर थमेगा कैसे और कब

Thursday, Dec 19, 2019 - 12:32 AM (IST)

किसी समय बच्चे-बच्चियों के लिए घर और स्कूल को सर्वाधिक सुरक्षित स्थान समझा जाता था जहां वे निरापद वातावरण में निर्भीकतापूर्वक विचरण कर सकते थे परंतु अब ये दोनों ही स्थान उनके लिए सुरक्षित नहीं रहे। जहां घरों में अपनों के ही द्वारा बच्चों के यौन शोषण के समाचार आ रहे हैं वहीं स्कूलों में अध्यापकों तथा अन्य स्टाफ द्वारा ही नहीं बल्कि छात्रों द्वारा भी सहपाठियों का यौन शोषण किया जा रहा है। 

22 नवम्बर को उत्तर प्रदेश में बांदा के एक निजी स्कूल के शौचालय में एक कलियुगी अध्यापक ने 6 वर्षीय मासूम से बलात्कार कर डाला। 29 नवम्बर को गुडग़ांव के एक प्रतिष्ठित स्कूल के एक कर्मचारी ने एक 4 वर्षीय बच्ची को बार-बार गलत तरीके से छुआ और धमकाया कि वह इस बारे अपनी मां को न बताए। 05 दिसम्बर को जबलपुर के सरकारी हाई स्कूल के शौचालय में पांचवीं कक्षा की छात्रा से बलात्कार किया गया। 07 दिसम्बर को ओडिशा में कोरापुट स्थित एक स्कूल की हैडमिस्ट्रैस के पति ने सातवीं कक्षा की छात्रा से बलात्कार कर डाला।

10 दिसम्बर को हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले में हरोली क्षेत्र के गांव में एक अध्यापक को छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में हिरासत में लिया गया। हिमाचल विधानसभा में 11 दिसम्बर को यह मामला उठने पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि भविष्य में छात्राओं के यौन शोषण के दोषी अध्यापक सीधे बर्खास्त कर दिए जाएंगे। 11 दिसम्बर को राजस्थान के  झुंझुनूं जिले के ‘दोरासर’ गांव में चल रहे सैनिक स्कूल में रविंद्र सिंह शेखावत नामक अध्यापक को एक वर्ष में 11 से 14 वर्ष के बीच आयु के 12 नाबालिग छात्रों के साथ कुकर्म करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आरोपी अध्यापक बच्चों को इतना डरा कर रखता था कि कोई भी छात्र उसके विरुद्ध शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। बड़ी मुश्किल से 2 छात्र हिम्मत जुटाकर आगे आए तो यह राज खुला। 

13 दिसम्बर को अमृतसर के निकटवर्ती बाबा बकाला स्थित एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में दूसरी कक्षा की 8 वर्षीय छात्रा के साथ स्कूल के ही 10वीं कक्षा के एक 16 वर्षीय छात्र ने बलात्कार कर डाला जिसके विरुद्ध इलाके में धरने और प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। घटना के समय स्कूल में लगे सभी 150 सी.सी.टी.वी. कैमरे बंद पाए गए। 14 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ में कोरबा के निकट ‘पोडीभाटा’ के सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा की 15 छात्राओं से छेड़छाड़ करने, गलत तरीके से छूने और उन पर अभद्र टिप्पणियां करने के आरोप में एक 56 वर्षीय अध्यापक छेदी लाल शर्मा को गिरफ्तार किया गया। 

16 दिसम्बर को हरियाणा के आदमपुर क्षेत्र में एक गांव के सरकारी स्कूल में पढऩे वाली आठवीं से दसवीं कक्षा तक की 24 छात्राओं की शिकायत पर उक्त स्कूल के एक लैबोरेटरी असिस्टैंट तथा फिजीकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (पी.टी.आई.) को गिरफ्तार किया गया है जबकि तीसरा आरोपी एक कम्प्यूटर टीचर फरार है। छात्राओं ने इन तीनों आरोपियों पर किसी न किसी बहाने उनका यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए थे। इसके लिए वे सी.सी.टी.वी. के दायरे में न आने वाली जगह चुनते और किसी को बताने पर उन्हें शारीरिक दंड देने तथा परीक्षा में फेल करने जैसी धमकियां देते थे। 18 दिसम्बर को राजस्थान में चूरू तहसील के एक सरकारी स्कूल के अध्यापक ‘कुंतक सांखोलिया’ द्वारा 14 बच्चियों को कमरे में बंद करके उनसे गलत हरकतें करने का मामला प्रकाश में आया। 

शिक्षा संस्थानों के स्टाफ द्वारा स्कूलों के ही परिसर में छात्र-छात्राओं के यौन उत्पीडऩ के उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि स्थिति कितनी बिगड़ चुकी है, वहां बच्चे-बच्चियों की सुरक्षा के लिए वातावरण कितना असुरक्षित हो जाने से उनकी सुरक्षा किस कदर दाव पर लग चुकी है। ऐसी घटनाओं से न सिर्फ बच्चों के अभिभावकों का चिंतित होना स्वाभाविक है बल्कि प्रशासन के लिए भी यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि आमतौर पर देखा जाता है कि चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, अधिकांश स्कूलों के प्रबंधन से जुड़े लोग स्कूल में पढऩे वाले बच्चे-बच्चियों की सुरक्षा के प्रति अपेक्षित ध्यान नहीं देते। यदि ऐसा कोई मामला स्कूल प्रबंधन के नोटिस में लाया भी जाता है तो वे दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने की बजाय मामला रफा-दफा करने की ही कोशिश करते हैं। अत: इस मामले में संतोषजनक व्यवस्था करने और बच्चे-बच्चियों की सुरक्षा में ढील बरतने वाले शिक्षा संस्थानों के विरुद्ध उनकी रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसे कठोर पग उठाने की आवश्यकता है। —विजय कुमार 

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