हाल-ए-सरकारी अस्पताल चूहे कुतर रहे उपचाराधीन रोगियों के अंग ‘पी रहे ग्लूकोज’ और ‘खा रहे प्रोटीन’

punjabkesari.in Saturday, Aug 06, 2022 - 04:27 AM (IST)

वैसे तो लोगों को सस्ती व स्तरीय चिकित्सा एवं शिक्षा उपलब्ध करवाना सरकार का कत्र्तव्य है परंतु सरकारी अस्पतालों में इतनी अव्यवस्था है कि वहां इलाज करवाने के लिए लोग जाना ही नहीं चाहते जबकि प्राइवेट अस्पतालों में इलाज अत्यंत महंगा है जो आम लोगों के वश से बाहर है। 

न सिर्फ सरकारी अस्पतालों के वार्डों की हालत दयनीय है बल्कि वहां चूहों तथा अन्य कीड़े-मकौड़ों की भी भरमार है जो वहां इलाज करवाने आए रोगियों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। कई जगह तो चूहों ने रोगियों के बिस्तरों के गद्दों तक को कुतर डाला है : 

*  31 मार्च को वारंगल (तेलंगाना) के  सरकारी ‘महात्मा गांधी मैमोरियल अस्पताल’ में चूहों ने वहां उपचाराधीन एक रोगी के टखने और एडिय़ों को कुतर डाला जब वहां रात को उसकी निगरानी के लिए तैनात अटैंडैंट सो रहे थे। इसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। 
* 2 अप्रैल को हनमकोंडा (तेलंगाना) के सरकारी  ‘निजाम्स इंस्टीच्यूट आफ मैडीकल साइंसेज (निम्स) में भर्ती करवाए गए एक रोगी के शरीर के विभिन्न अंगों को चूहे ने कुतर दिया जिससे उसकी जान चली गई।
* 2 मई को गिरिडीह (झारखंड) के सरकारी अस्पताल में 3 दिन की नवजात बच्ची को चूहों ने बुरी तरह कुतर डाला जिससे उसकी हालत गंभीर हो जाने के कारण उसे धनबाद के ‘शहीद निर्मल महतो मैडीकल कालेज अस्पताल’ में भर्ती करवाना पड़ा। 

* 18 मई को सरकारी अस्पताल, कोटा (राजस्थान) के आई.सी.यू. में उपचाराधीन एक लकवाग्रस्त महिला की आंख को ही चूहों ने कुतर डाला जिससे उसकी पलक के 2 टुकड़े हो गए। 
* 19 मई को इंदौर (मध्य प्रदेश) के एक सरकारी अस्पताल में उपचाराधीन गंभीर रूप से बीमार मात्र 23 दिन आयु के एक नवजात शिशु का पैर चूहों ने कुतर दिया जिससे उसकी हालत और भी खराब हो गई।
* 6 जून को बदायूं (उत्तर प्रदेश) के जिला अस्पताल के शवगृह में पोस्टमार्टम के लिए रखे मुर्दे की एक आंख ही चूहे खा गए। 

* 24 जुलाई को बिहार में गया स्थित ‘मगध मैडीकल कालेज’ के शवगृह में पोस्टमार्टम के लिए रखे एक बुजुर्ग के शव को चूहों ने बुरी तरह कुतर डाला। 
* 29 जुलाई को बस्तर (छत्तीसगढ़) के ‘बलिराम कश्यप स्मृति सरकारी अस्पताल’ के एक वार्ड का वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ चूहे एक रोगी को ग्लूकोज के लगाए हुए पाइप कुतर कर उसमें से ग्लूकोज पीते हुए तथा एक अन्य चूहा अस्पताल की छत में बने सुराख में से ड्रिप के स्टैंड पर चलता हुआ दिखाई दे रहा था। 

उल्लेखनीय है कि चूहों के उत्पात से तंग आकर लगभग 700 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित उक्त अस्पताल के प्रशासन ने चूहों को मारने के लिए एक कम्पनी को लगभग 12 लाख रुपए का ठेका दिया है। इस कम्पनी ने लगभग 6 लोगों की एक टीम बनाई है जो प्रतिदिन लगभग 50 चूहे पकड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार इस अस्पताल में 1200 चूहे मारे जा चुके हैं। 

वहां उपचाराधीन रोगियों के लिए रखी गई ग्लूकोज की बोतलों को कुतर कर चूहों के उनमें से ग्लूकोज पी जाने के कारण अस्पताल के स्टोर में रखी ग्लूकोज की बोतलें बड़ी संख्या में खाली मिली हैं।
* 1 अगस्त को भिवंडी (महाराष्ट्र) स्थित ‘इंदिरा गांधी उप जिला अस्पताल’  के एच.आई.वी. पीड़ित रोगियों के लिए एच.आई.वी. विभाग में रखे प्रोटीन पाऊडर के पैकेटों को कुतर कर प्रोटीन पाऊडर खा जाने का मामला भी प्रकाश में आया जिस पर अपनी लापरवाही छिपाने के लिए अस्पताल के संबंधित कर्मचारियों ने इसके डिब्बे बाहर फैंक दिए। 

देश के विभिन्न राज्यों में चूहों के उत्पात से स्पष्ट है कि आज देश के सरकारी अस्पताल किस कदर कुप्रबंधन के शिकार हैं जहां उपचाराधीन रोगी तो एक ओर, शव गृहों में रखे शव भी सुरक्षित नहीं हैं। आज जब देश अनेक क्षेत्रों में तरक्की की छलांगें लगा रहा है, इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है ताकि दवाओं की कमी और इलाज में लापरवाही के साथ-साथ चूहों और अन्य जीव-जंतुओं के कारण अस्पतालों में इलाज के लिए आने वालों की जान न जाए।—विजय कुमार


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