‘वर्षा से’ हो रही भारत में जान-माल की ‘भारी तबाही’

Tuesday, Aug 20, 2019 - 03:30 AM (IST)

लगभग समूचे देश में लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा से अनेक स्थानों पर सड़क, रेल एवं हवाई यातायात बाधित होने और जान-माल की भारी क्षति के कारण जन-जीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। अनेक स्थानों पर लोग फंसे हुए हैं व कई जगह लोगों का संपर्क शेष देश से कट गया है। अभी तक समूचे देश में 300 से अधिक लोगों की मृत्यु और हजारों लोगों के बेघर होने के अलावा करोड़ों रुपए की सम्पत्ति नष्टï हो चुकी है। 

18 अगस्त को 16 राज्यों में भारी वर्षा हुई। पंजाब में मात्र 2 दिनों में 8 जिलों में 100 एम.एम. से अधिक वर्षा से छतें गिरने और करंट लगने से 6 लोगों की मौत और अनेक गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो जाने के कारण उन्हें खाली करने के आदेश दिए गए हैं जिनमें से अनेक लोगों ने मकान खाली कर दिए हैं जबकि अनेक गांवों में लोग मकानों की छतों पर बैठे हैं जिन्हें वहां से सुरक्षित निकालने की कोशिश जारी है। भाखड़ा बांध में फ्लड गेटों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के बावजूद इस वर्ष अधिक वर्षा से भाखड़ा का जल स्तर अनुमानित समय से पहले ही खतरे का निशान पार कर गया तथा भाखड़ा से सतलुज दरिया में पानी देर से छोडऩे के कारण 18 अगस्त को सतलुज दरिया का जलस्तर भी खतरे के निशान से पार हो जाने पर रोपड़, लुधियाना और फिरोजपुर जिलों में सैंकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने पिछले 2 दिन से छोड़े जा रहे अतिरिक्त पानी की मात्रा 19000 क्यूसिक से बढ़ा कर 19 अगस्त को 40,000 क्यूसिक कर दी है जिससे नवांशहर और जालंधर, कपूरथला सहित विभिन्न जिलों में बाढ़ के हालात भी बन गए हैं। जालंधर जिले में फिल्लौर, शाहकोट और नकोदर सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। स्वां नदी के साथ सतलुज दरिया में आए पानी ने श्री आनंदपुर साहिब के दर्जनों गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। लुधियाना में 18 अगस्त शाम को देखते ही देखते सतलुज में पानी का स्तर 4 फुट बढ़ गया जिससे लोगों में दहशत फैल गई और उन्होंने घरों को खाली कर दूसरी जगहों पर जाना भी शुरू कर दिया है। इसी बीच रूपनगर हैडवक्र्स से रात 2.30 बजे अचानक पानी छोड़ देने के कारण सतलुज के किनारे बनी लगभग 300 झुग्गियां तबाह हो गईं। 

भाखड़ा बांध से सटी गोबिंद सागर झील में 1988 की बरसात में 3.18 लाख क्यूसिक पानी की मात्रा अब 19 अगस्त को 3.19 लाख क्यूसिक पर जा पहुंची है। भाखड़ा और नंगल डैम से छोड़े जा रहे पानी के कारण समस्त उत्तर भारत पर 1988 जैसी भयंकर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है जिस कारण पंजाब के कई जिलों में रैड अलर्ट घोषित कर दिया गया है। इस समय भाखड़ा बांध में हिम शिखरों से आ रहे पानी से भाखड़ा में पानी का स्तर 1681 फुट पर पहुंच गया है जो खतरे के निशान से भी ऊपर है। गोङ्क्षबद सागर झील में लगातार पहाड़ों से बड़ी मात्रा में पानी आ रहा है। हिमाचल प्रदेश में वर्षा ने पिछले 70 वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है। वहां वर्षा और भूस्खलन से 9 नैशनल हाइवे सहित 887 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं। अनेक सड़कें पानी में कई मीटर तक बह गई हैं। वहां अब तक 25 लोगों की मृत्यु हुई है और 7 लोग लापता हैं। हिमाचल की चोटियों पर अगस्त महीने में 20 वर्ष बाद हिमपात देखा गया है। 

राजस्थान के अनेक जिलों में नदी-नाले उफान पर होने से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं तथा अब तक 11 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं मध्य प्रदेश में 100 से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। आंध्र प्रदेश में 87 गांव तथा सैंकड़ों एकड़ कृषि भूमि बाढ़ की चपेट में है तथा केरल में कम से कम 113 लोगों की मौत हो चुकी है। गंगा और यमुना तथा सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ जाने और हथनीकुंड बैराज पर जल स्तर खतरे के निशान को पार कर जाने से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। 

जम्मू में साम्बा जिले के रामगढ़ क्षेत्र में भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बी.एस.एफ. की 6 चौकियां बाढ़ में घिर गई हैं। उत्तराखंड में कई नदियां उफान पर हैं। वहां बादल फटने से कम से कम 3 लोगों की मौत और 18 से 20 के बीच लोग लापता हैं और दर्जनों मकान बाढ़ में बह गए हैं। इस समय देश में जल प्रलय ने केंद्र और राज्य सरकारों के समक्ष कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है जिसका सही रणनीति बना कर और पूरी ईमानदारी से राहत कार्यों में तेजी लाकर ही सामना किया जा सकता है।—विजय कुमार 

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