हरियाणा के बिजली कर्मचारियों की हड़ताल

punjabkesari.in Thursday, Jun 30, 2016 - 02:13 AM (IST)

हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के 23 बिजली सब-डिवीजनों के परिचालन और रख-रखाव की आऊटसोर्सिग व निजीकरण, 485 ठेका कर्मचारियों को हटाने तथा निजी स्रोतों से बिजली खरीदने के निर्णय के विरुद्ध रोष व्यक्त करने तथा राज्य में 30,000 रिक्त पदों को भरने, बिजली वितरण कम्पनियों के घाटे व ऋण में हुई भारी वृद्धि की जांच की मांग पर बल देने के लिए हरियाणा राज्य की बिजली वितरण कम्पनियों के 25,000 से अधिक कर्मचारियों ने इस वर्ष 22 मई को 48 घंटे की हड़ताल की थी।

 
इस पर राज्य सरकार ने अनेक अस्थायी कर्मचारियों की छुट्टी कर दी तो बिजली कर्मियों ने 29-30 जून को पुन: हड़ताल का निर्णय लिया।  इसे टालने के लिए हरियाणा सरकार तथा कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की कई बैठकें हुईं और 5 घंटे चली अंतिम बैठक भी बेनतीजा रही। 
 
इसके बाद हरियाणा संयुक्त कार्य समिति (बिजली) के प्रमुख कंवर सिंह यादव तथा महासचिव सुभाष लाम्बा ने सरकार पर अपनी बैठकों के माध्यम से कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए हड़ताल के निर्णय पर अमल करने की घोषणा कर दी।
 
 ‘सर्व कर्मचारी संघ’ हरियाणा से संबंधित आल हरियाणा पावर कार्पोरेशंज वर्कर यूनियन तथा कर्मचारी महासंघ से संबंधित वर्कर यूनियन के अलावा इस हड़ताल को अनेक कर्मचारी संगठनों का समर्थन प्राप्त है। 
 
हालांकि कर्मचारियों ने सरकार को यह भरोसा अवश्य दिया कि हड़ताल के दौरान बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी और अधिकांश स्थानों पर बिजली आपूर्ति लगभग सामान्य रही परंतु मुरम्मत का कार्य ठप्प रहा।
 
इसके अलावा दफ्तरी काम, बिलों की अदायगी, नए कनैक्शन देने और मीटर बदलने आदि के काम में व्यवधान पडऩे से लोगों को परेशानी हुई। 
 
श्रमिक नेताओं के अनुसार कर्मचारियों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन के निर्णय के बावजूद ‘एस्मा’ लागू करके सरकार अकारण ही उन्हें डराना चाहती थी परंतु इसके बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर अडिग रहे। उन्होंने जिला मुख्यालयों व अन्य स्थानों पर धरने, प्रदर्शन किए और सरकार के विरुद्ध नारे लगाए।
 
प्रदेश में इस समय कुल 260 सब-डिवीजन हैं जिनसे राज्य को 2700 करोड़ रुपए की आमदनी होती है और जिन 23 सब-डिवीजनों  का निजीकरण किया जा रहा है उनमें से कोई भी घाटे में नहीं है।
 
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि मामला अभी भी सुलझ सकता है यदि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर स्वयं हस्तक्षेप करें और सरकार 23 सब-डिवीजनों के निजीकरण का फैसला वापस ले ले क्योंकि इससे सरकार को कोई लाभ नहीं होगा और उलटे उस पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
 
दूसरी ओर अतिरिक्त मुख्य सचिव बिजली विभाग राजन गुप्ता का कहना है कि मात्र 23 सब-डिवीजनों की देखरेख का काम प्रयोगात्मक आधार पर ही निजी कम्पनियों को देने का प्रस्ताव है। इसका किसी भी कर्मचारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और न ही किसी को हटाया जाएगा। यह प्रयोग सफल रहने पर ही अन्य सब-डिवीजनों पर इसे लागू किया जाएगा। 
 
जहां राज्य के मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी के अनुसार सरकार ने इस संबंध में ‘नो वर्क नो पे’ का नियम लागू करने का फैसला किया है वहीं उन्होंने यह भी कहा कि यथासंभव ‘एस्मा’ का इस्तेमाल टाला जाएगा। 
 
उनके अनुसार बुधवार को 36 प्रतिशत कर्मचारी छुट्टी पर रहे, 2 जगहों के सिवाय अन्य सब जगह बिजली सप्लाई सामान्य रही तथा राज्य के मात्र 5 जिले हिसार, गुडग़ांव, फरीदाबाद, अम्बाला व कुरुक्षेत्र ही प्रभावित हुए। 
 
जहां इस हड़ताल का न्यूनाधिक शांतिपूर्ण रहना सुखद है वहीं इससे होने वाली सरकारी कामकाज की क्षति से इंकार नहीं किया जा सकता। इन दिनों भारी गर्मी पड़ रही है बल्कि धान की बुवाई का सीजन भी चल रहा है अत: इस मामले का न लटकना ही अच्छा है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर स्वयं हस्तक्षेप करके इस समस्या के समाधान की पहल करें तो विभाग में सद्भावना का वातावरण बनेगा और आम लोगों तथा कृषकों को भी परेशानी नहीं होगी।
 

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