दम तोड़ रहा : हिमाचल पर्यटन उद्योग सरकार तुरंत ध्यान दे

Friday, May 28, 2021 - 05:41 AM (IST)

हिमाचल प्रदेश के पर्यटन उद्योग का राज्य की जी.डी.पी. में 10 प्रतिशत के लगभग योगदान है और इस उद्योग में लगभग 6 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ था परंतु 2020 से जारी कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उद्योग से जुड़े अधिकांश प्रतिष्ठानों द्वारा अपने कर्मचारियों की छुट्टी कर देने के कारण बड़ी सं या में कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। 

इस वर्ष अप्रैल में पर्यटन सीजन शुरू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा बाहरी राज्यों के पर्यटकों पर कोरोना टैस्ट करवाने की शर्त भी लगा देने से होटलों में लगभग शत-प्रतिशत धंधा ठप्प हो गया है और जो खुले हैं वे भी सुनसान ही पड़े हैं। अगले कुछ महीनों के लिए बुकिंग शत-प्रतिशत रद्द हो गई है जिस कारण स्थिति सुधरने की कोई आशा नजर नहीं आने से इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए अस्तित्व बनाए रखना अब मुश्किल हो गया है। इसी कारण ट्रैवल एजैंटों और टैक्सी चालकों का धंधा भी ठप्प हो गया है। एक मोटे अनुमान के अनुसार प्रदेश में 52,000 टैक्सी चालक हैं। इनके अलावा निजी तथा सरकारी टूरिस्ट बसें भी पर्यटकों के इंतजार में खड़ी हैं। 

अधिकांश ट्रैवल एजैंटों ने अपनी टैक्सियां तथा बसें बैंकों से फाइनांस करवा रखी हैं परंतु आमदनी बंद हो जाने के कारण अपने वाहनों के कर्ज की किस्तें भरना तो एक ओर, कर्ज पर मासिक ब्याज देने में भी स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं और बैंकों द्वारा अपनी टैक्सियां तथा बसें जब्त करने का डर भी उन्हें सताने लगा है। आफिस व दुकानों का किराया, परमिट फीस तथा अन्य टैक्सों के अलावा वाहन चालकों और अन्य स्टाफ को वेतन देना भी मुश्किल हो गया है। इनमें रैस्टोरैंट, मनोरंजन पार्क, रोपवे, वाटर स्पोटर््स तथा एडवैंचर स्पोर्ट्स से जुड़े व्यवसायी, घोड़े और टैक्सी वाले, फोटोग्राफर, टूरिस्ट गाइड आदि भी शामिल हैं। 

बैंक लोन तथा अन्य देनदारियां न चुका पाने के कारण टैक्सी, कारों आदि के मालिकों ने या तो इन्हें गैराजों में बंद कर दिया है या सेल पर लगा दिया है, परंतु कोई खरीदार ही नहीं। होटल वालों द्वारा अपनी इमारतों के किराए आदि देने में विफल रहने के कारण कानूनी लड़ाई की नौबत तक आ गई है। प्रदेश के मुख्य पर्यटन केंद्र डल्हौजी में प्रतिवर्ष 2.5 लाख से 3 लाख तक पर्यटक आते थे परंतु इस वर्ष कोविड प्रतिबंधों के कारण मार्च महीने के अलावा यहां एक भी पर्यटक नहीं आया। 

उल्लेखनीय है कि शिमला, कुल्लू, च बा, धर्मशाला, मंडी और सोलन जिलों में हजारों शिक्षित बेरोजगार युवक टैक्सी चलाकर अपना और अपने परिवार वालों का पेट पाल रहे थे जो अब बेरोजगार हो जाने के कारण सब्जी बेचने जैसे काम करके गुजारा कर रहे हैं। इस तरह के हालात में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि एक ओर तो पर्यटन उद्योग घोर आॢथक संकट से जूझ रहा है तथा दूसरी ओर सरकार द्वारा विभिन्न टैक्सों व अन्य शुल्कों के बिल लगातार भेजे जा रहे हैं जिनका भुगतान कर पाना इनके लिए मुमकिन नहीं है। 

प्रदेश सरकार को आगे आकर इस उद्योग की सहायता करनी चाहिए ताकि इससे जुड़े लाखों लोग अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकें। इसके साथ ही इनके द्वारा लिए हुए ऋण की अवधि आगे बढ़ाने तथा ऋण पर लगने वाले ब्याज पर छूट भी देनी चाहिए। 

निश्चय ही यह आपदा भी पहले आई आपदाओं की भांति ही चली जाएगी, फिर भी इससे हुई क्षति की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ठप्प हुए पर्यटन उद्योग को फिर से पैरों पर खड़ा होने में जल्द और पूरी सहायता देनी चाहिए। ऐसा करने से ही पर्यटन उद्योग से जुड़े होटलों, ट्रैवल एजैंटों, टैक्सी, कैब और टूर आप्रेटरों, मनोरंजन पार्क, रोपवे, वाटर स्पोटर््स तथा एडवैंचर स्पोर्ट्स और घोड़े एवं टैक्सी वालों, फोटोग्राफरों, टूरिस्ट गाइडों आदि का जीवन पटरी पर आ पाएगा। इसके साथ ही पर्यटन उद्योग द्वारा प्रदेश की जी.डी.पी. में दिए जाने वाले  10 प्रतिशत के योगदान में और वृद्धि होने के परिणामस्वरूप प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।—विजय कुमार 

Advertising