‘रक्षकों’ की वर्दी में छिपे कुछ ‘भक्षक’ धूमिल कर रहे हैं पुलिस की छवि

Wednesday, Apr 20, 2016 - 12:49 AM (IST)

समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग तथा अन्य सुरक्षा बलों की है परंतु इनमें घुस आई चंद काली भेड़ेंअपने अमानवीय कृत्यों और घटिया करतूतों से समूचे पुलिस विभाग की बदनामी का कारण बन रही हैं। हाल ही की ऐसी चंद खबरें निम्र में दर्ज हैं :

09 मार्च रात को त्रिची में गश्त के लिए निकले स्पैशल सब-इंस्पैक्टर ‘राधा’ और ड्राइवर ‘सर्वनन’ भूख लगने पर केलों के बंटवारे को लेकर आपस में उलझ पड़े और मार-मार कर एक-दूसरे को लहू-लुहान कर दिया। 09 मार्च को ही मुरादाबाद जेल में तैनात सिपाही राकेश कुमार 1000 रुपए की रिश्वत के बदले में इसी जेल में बंद एक हवालाती ‘अकील’ उर्फ ‘टेढ़ा’ को जेल से खिसका कर उसकी गर्लफ्रैंड साइना के साथ एक मल्टीप्लैक्स में  फिल्म ‘नीरजा’ दिखाने ले गया परन्तु अधिकारियों ने तीनों को  पकड़ लिया। 

12 मार्च को पुलिस ने दिल्ली के 2 ट्रैफिक कांस्टेबलों नीरज कुमार तथा ओम प्रकाश को गुडग़ांव के 3 पुलिस कर्मचारियों को ब्लैकमेल करके उनसे  25,000, 30,000 और 80,000 रुपए ऐंठने के आरोप में गिरफ्तार किया। 13 मार्च को अजनाला स्थित बी.एस.एफ. की 70 बटालियन के एक सिपाही सुरेन्द्र कुमार ने एक महिला के साथ चाकू की नोक पर दुराचार किया। 

21 मार्च को गोकुलपुरी पुलिस थाने के एक एडीशनल एस.एच.ओ. ने झगड़ा होने पर पहले तो अपने साथियों सहित एक पैट्रोल पम्प कर्मचारी जितेन्द्र कुमार को पीटा और फिर थाने में लाकर बंद कर दिया जहां अन्य पुलिस कर्मचारियों ने नंगा करके कथित रूप से रात भर बेरहमी से उसकी पिटाई की। 24 मार्च को यू.पी. के मैनपुरी में 14 वर्षीय दलित नाबालिगा से बलात्कार करने के आरोप में कांस्टेबल राजेश यादव को 29 मार्च को गिरफ्तार किया गया।

24 मार्च को ही यू.पी. के हरदोई में कोतवाली पुलिस ने चोरी के आरोप में हवालात में बंद एक नाबालिग को बाहर निकाल कर खम्भे से बांध कर पट्टïे से बेरहमी से पीटा और उस पर थर्ड डिग्री कहर ढाया। 25 मार्च को मुम्बई के जनता नगर में एक चोर मंडली ने  9 मकानों में चोरी की और जब वे 10वें मकान में घुसने वाले थे तभी किसी  के देख लेने पर वे लूट का माल समेट कर भाग निकले। घटना की रिकाॄडग से पता चला कि लुटेरों ने बचने के लिए लूट के माल की गठरी उनकी मदद के लिए आए एक व्यक्ति को सौंप दी जिसकी शिनाख्त कांस्टेबल समीर सोनावले के रूप में हुई।

30 मार्च को मुम्बई शस्त्रागार के कांस्टेबल लक्ष्मण शिरके ने मामूली-सी बात पर एक व्यक्ति को बुरी तरह पीटा जिससे उसकी मृत्यु हो गई। 06 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल श्रीकृष्ण व 5 अन्यों को जुआ खेलते हुए पकड़ कर उनसे 2 लाख रुपए बरामद किए। 07 अप्रैल को बिहार के ‘डेहरी-ऑन-सोन’ में एक सिपाही ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। वह 3 दिनों से शराब न मिलने के कारण ‘दुखी’ था।  

07 अप्रैल को मुम्बई की आरे कालोनी पुलिस चौकी के इंस्पैक्टर दिवाकर सावंत को एक व्यक्ति से 25,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 07 अप्रैल रात को मुम्बई में एक कांस्टेबल नितिन नालवाड़े ने एक होटल में  खूब जम कर शराब पी और भर पेट खाना खाया लेकिन मैनेजर द्वारा 458 रुपए का बिल मांगने पर उलटा उसी को पीट-पीट कर घायल कर दिया। 07 अप्रैल को ही दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल रविन्द्र कुमार यमुना घाट के निकट एक महिला मैट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट से अभद्र व्यवहार व गाली-गलौच करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

09 अप्रैल को संगरूर जेल में तैनात सिपाही रमिन्द्र सिंह की तलाशी में उसके अंडरवियर से 55 ग्राम सुल्फा और 290 नशीली गोलियां बरामद हुर्ईं। 10 अप्रैल को नई दिल्ली में 2 छात्रों को एन.डी.पी.एस. कानून के अंतर्गत ‘बंद’ करने की धमकी देकर उनसे 28,000 रुपए ऐंठने के आरोप में  हैड कांस्टेबल राज सिंह पकड़ा गया।

 शॄमदा करने वाली उक्त घटनाओं से स्पष्टï है कि पुलिस की ज्यादतियां किसी एक क्षेत्र तक सीमित न रह कर देशव्यापी रुझान बन चुकी हैं और ऐसी कौन-सी बुराई है जो इनमें न आ गई हो। अत: जरूरत इस बात की है कि पकड़े गए पुलिस कर्मियों को कठोरतम व शिक्षाप्रद दंड दिया जाए ताकि दूसरों को भी नसीहत मिले और वे ऐसी करतूत करने से पूर्व सौ बार सोचें। 
     —विजय कुमार  
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