सऊदी अरब और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियां

punjabkesari.in Monday, Dec 12, 2022 - 03:38 AM (IST)

वर्तमान शीत युद्ध 2.0 के दौर में सऊदी अरब, बीजिंग और मास्को के अधिक नजदीक आ जाने की संभावना है जैसा कि 2004 में सऊदी अरब के तत्कालीन विदेश मंत्री सऊद अल फैसल ने एक अमरीकी पत्रकार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि : 

‘‘अमरीका-सऊदी रिश्ता ‘कैथोलिक विवाह’ जैसा नहीं बल्कि ‘मुस्लिम विवाह’ जैसा है जिसमें 4 शादियों की अनुमति है। लिहाजा सऊदी अरब अमरीका से तलाक (अलगाव) तो नहीं ले रहा है, वह सिर्फ दूसरे देशों के साथ विवाह (सम्बन्ध) की कोशिश कर रहा है।’’ इसी पृष्ठभूमि में सऊदी के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के निमंत्रण पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचने पर अब्दुल अजीज व क्राऊन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनका जोरदार स्वागत किया। 

जिनपिंग और मोहम्मद बिन सलमान की मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने निवेश के 34 समझौतों की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि अब चीन अमरीका को पछाड़ कर सऊदी अरब का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। गत वर्ष दोनों देशों के बीच 87 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ था। कुछ जानकारों के अनुसार शी की इस यात्रा का मकसद यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर रूस पर बढ़ते प्रतिबंधों के कारण अपने देश की ऊर्जा आपूर्ति के लिए सऊदी के साथ संबंध मजबूत करना है। वहीं, सऊदी अरब एक तरह से अमरीका को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वह उसे बंधा हुआ न समझे। 

कुछ महीने पहले ही अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी सऊदी अरब को राजी करने सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे कि वह तेल का उत्पादन बढ़ाए लेकिन उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया। उधर, चीन को अपने हथियार भी बेचने हैं और सऊदी अरब को इनकी काफी जरूरत भी है। पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले के कारण सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन में व्यक्तिगत संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं हैं। क्राउन प्रिंस ने कहा है कि उन्हें परवाह नहीं है कि बाइडेन उनके बारे में क्या सोचते हैं। 

अमरीका-सऊदी संबंध की प्रमुख वजह है कि अमरीका को सऊदी तेल की और सऊदी को अमरीकी सुरक्षा गारंटी की जरूरत है। सऊदी अरब वर्षों से चीन के साथ संबंध विकसित कर रहा है लेकिन अब बात काफी आगे बढ़ती नजर आ रही है। बेशक जल्द अमरीका-सऊदी संबंध टूटने वाले नहीं हैं लेकिन एक बात तय है कि दोनों में अब पहले वाले घनिष्ठ संबंध नहीं रहे हैं। मध्य-पूर्व की जुलाई यात्रा के दौरान जो बाइडेन ने सऊदी और अन्य खाड़ी अरब नेताओं से कहा था कि अमरीका कहीं नहीं जा रहा और उसकी मौजूदगी इलाके में बनी रहेगी लेकिन अगर मोहम्मद बिन सलमान की चली, तो शायद चीन और रूस की उपस्थिति भी वहां होगी। 


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