रिटायर हो चुके जनप्रतिनिधियों व नौकरशाहों द्वारा सरकारी आवासों पर ‘कब्जे’

punjabkesari.in Saturday, Aug 14, 2021 - 06:18 AM (IST)

देश में बड़ी सं या में पूर्व सांसदों, विधायकों और नौकरशाहों ने रिटायर हो जाने के बाद भी सरकारी आवासों पर कब्जा कर रखा है। इनमें से कई तो दशकों से वहां बिना किराया दिए रह रहे हैं। कई तो इन्हें आगे किराए पर चढ़ा कर इनसे मोटी कमाई भी कर रहे हैं तथा अनेक नौकरशाह तबादले के बाद दूसरी जगह पर ड्यूटी ले लेने के बावजूद अपना पुराना आबंंटित आवास खाली नहीं कर रहे। सरकारों द्वारा सरकारी आवासों पर अवैध कब्जाधारियों को मुफ्त आवास, बिजली और पानी देने के लिए समय-समय पर न्यायपालिका द्वारा फटकार लगाने के बावजूद स्थिति ज्यों की त्यों है। 

इसी को देखते हुए 5 फरवरी, 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने 576 सरकारी आवासों में सेवानिवृत्त अधिकारियों और पूर्व सांसदों के गैर कानूनी रूप से रहने पर आवास मंत्रालय को फटकार लगाई और इसे मंत्रालय की अक्षमता तथा इसके अधिकारियों के रवैये को साजिश के समान बताया था।

अब एक बार फिर सुप्रीमकोर्ट के न्यायामूॢत हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना पर आधारित पीठ ने सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकारी आवास पर कब्जा जमाए बैठे पूर्व अधिकारियों से सरकारी आवास खाली करवाने के लिए कार्रवाई करने का केंद्र सरकार को आदेश देते हुए कहा कि : ‘‘सरकारी आवास सेवारत अधिकारियों के लिए हैं, परोपकार और उदारता के रूप में सेवानिवृत्त लोगों को ब शीश के रूप में देने के लिए नहीं। ये किसी व्यक्ति को हमेशा रहने के लिए नहीं दिए जा सकते।’’ 

अदालत ने केंद्र सरकार को सरकारी आवासों में रह रहे उन कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट 15 नव बर तक देने का आदेश भी दिया है जिन्होंने रिटायर होकर भी सरकारी आवास खाली नहीं किए। अत: सुप्रीमकोर्ट का यह आदेश जितनी जल्दी लागू किया जा सके उतना ही अच्छा होगा। इसके साथ ही सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए रखने और उन्हें आगे किराए पर चढ़ाने वाले अधिकारियों से ब्याज सहित किराया वसूल करने और उन्हें जुर्माना करने के अलावा उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई भी की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस सिलसिले पर रोक लग सके।—विजय कुमार 


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