महाराष्ट्र में सरकार तो बनी, लेकिन सवाल अब भी कायम

Saturday, Nov 23, 2019 - 11:56 PM (IST)

महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा का गठबंधन टूटने और किसी भी दल के सरकार बनाने में विफल रहने के बाद लगाए गए राष्ट्रपति शासन के दौरान राकांपा, शिवसेना व कांग्रेस के बाहरी या भीतरी समर्थन से सरकार बनाने की चर्चा के दौरान 22 नवम्बर को उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाकर शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की संयुक्त सरकार बनाने पर सहमति हो गई थी। परंतु 23 नवम्बर को सुबह सवेरे भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने ही राज भवन में एकाएक आयोजित समारोह में सुबह 8 बजकर 1 मिनट पर मुख्यमंत्री पद की और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सबको चौंका दिया। 

प्रारंभिक समाचारों में कहा गया कि शरद पवार पलटी मार कर भाजपा के साथ जा मिले हैं परंतु बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अभी भी शिवसेना और कांग्रेस के साथ हैं। भाजपा सरकार में शामिल होने का फैसला अजीत पवार का निजी है। हम इस फैसले के विरुद्ध संघर्ष करेंगे और जीतेंगे। राकांपा के नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि ‘‘हमने उपस्थिति के लिए विधायकों से हस्ताक्षर लिए थे जिसका शपथ ग्रहण के लिए धोखे से दुरुपयोग किया गया है।’’

यही आरोप संवाददाता सम्मेलन में शरद पवार ने भी लगाया और कहा है कि अजीत पवार पार्टी तोडऩे में सफल रहे। शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि ‘‘अजीत पवार ने जेल जाने से बचने के लिए भाजपा से हाथ मिलाया है और भाजपा ने उन्हें ब्लैकमेल किया है। बीती रात (जब तीनों दलों में निर्णायक बातचीत हो रही थी) अजीत पवार हमारे साथ थे लेकिन बीच में उठ कर अचानक गायब हो गए। अजीत पवार ने अंधेरे में डाका डाला है और अंधेरे में सिर्फ पाप कर्म ही होते हैं।’’ 

उल्लेखनीय है कि करोड़ों के घोटाले में संलिप्त अजीत पवार जब 2013 में उप-मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने सूखे से जूझते महाराष्ट्र के किसानों की पानी की मांग पर मजाक उड़ाते हुए कहा था कि, ‘‘जब बांध में पानी है ही नहीं तो क्या पेशाब करके पानी दें?’’ भाजपा ने इस बयान को खूब उछाला था और अंतत: अजीत पवार को इसके लिए माफी मांगनी पड़ी थी। शरद पवार के अनुसार ‘‘सुप्रिया सुले (शरद पवार की बेटी) के आगे बढऩे से अजीत पवार नाराज थेे।’’ उन्होंने यह भी प्रश्र किया था कि ‘‘सुबह 5.47 बजे राष्ट्रपति शासन हटाने की घोषणा करने की राज्यपाल की क्या मजबूरी थी? हमारे पास 170 विधायकों का समर्थन था। अजीत पवार का यह फैसला राकांपा की विचारधारा के विरुद्ध है। हम सरकार बना सकते थे और सरकार बनाएंगे। हमें ऐसी परिस्थितियों से निपटना आता है।’’ 

उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर जोड़-तोड़ की राजनीति कर सत्ता हासिल करने का आरोप लगाते हुए कहा ‘‘पहले ई.वी.एम. का खेल चल रहा था और अब यह नया खेल है। यह लोकतंत्र के नाम पर खिलवाड़ है।’’कांग्रेस ने अलग से प्रैस कांफ्रैंस की परंतु इसमें कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने राकांपा और शिवसेना के साथ एकजुटता प्रर्दशित करते हुए कहा ‘‘बिना बैंड बाजा बारात और जांच के फडऩवीस ने शपथ ली। कहीं न कहीं कुछ गलत हुआ है और संविधान के नियमों की अवहेलना हुई है।’’ इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला ने यह ट्वीट किया है : मत देखो मुझे यूं उजाले में लाकर, सियासत हूं मैं, कपड़े नहीं पहनती। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार यह 2 भतीजों शरद पवार के भतीजे अजीत पवार और गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे की रणनीति का नतीजा है जिसके विरुद्ध जनता में भारी रोष है तथा 23 नवम्बर को शरद पवार के समर्थकों ने अजीत पवार के विरुद्ध ‘अजीत मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए। 

अभी तक जो हुआ वह तो सैमीफाइनल था फाइनल तो बहुमत परीक्षण के समय 30 नवम्बर तक होगा परंतु यह बात ध्यान रखने योग्य है कि देवेंद्र फडऩवीस के लिए कुछ विधायकों को तोड़े बिना बहुमत का लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं लगता चाहे वे निर्दलीय हों या शिवसेना या कांग्रेस से तोड़े गए विधायक हों। इस बीच जहां महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध शिवसेना सुप्रीमकोर्ट चली गई है वहीं राकांपा की चल रही बैठक में यह लेख लिखने तक 50 विधायक वापस पहुंच गए थे और यदि दल बदली करने वाले किसी पार्टी के विधायक दो-तिहाई से कम होंगे तो वे अयोग्य करार दे दिए जाएंगे।—विजय कुमार 

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