सरकारी संस्थानों में ‘सुधार के लिए छापे’ ‘देर से लिया गया सही फैसला’

Wednesday, Jan 13, 2016 - 12:15 AM (IST)

केंद्र और राज्यों में जितनी भी सरकारें आती हैं, यही दावे करती हैं कि उनका उद्देश्य आम जनता की सेवा और उनके कष्टï दूर करना है परन्तु चुनाव जीतने के बाद सभी सरकारें जनता से किए वायदे भूल जाती हैं और इसी कारण आज ‘आम आदमी’ का जीना दूभर हो गया है। 

हालांकि सस्ती और स्तरीय शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छ पानी और लगातार बिजली ये चार आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताएं हैं परन्तु आज भी देश की आम जनता इनके लिए तरस रही है।
 
 इसीलिए हम समय-समय पर राज्य के मुख्यमंत्रियों तथा अन्य अधिकारियों को यह परामर्श  देते रहते हैं कि जब कभी वे सड़क मार्ग से यात्रा करें तो कभी किसी सरकारी स्कूल या अस्पताल में अचानक चले जाएं तो उस इलाके के कई सरकारी स्कूलों व अस्पतालों की हालत स्वत: सुधरने लगेगी।
 
अगस्त 2012 में पंजाब के ‘डायरैक्टर जनरल ऑफ स्कूल एजुकेशन’ के नेतृत्व में 17 टीमों ने लुधियाना जिले के 165 सरकारी स्कूलों में अचानक छापे मार कर अनेक अध्यापकों को ड्यूटी से गैर-हाजिर, लेट, एक शिक्षक को नशे की हालत में और अनेक शिक्षकों को लम्बी छुट्टïी पर पाया था :
 
* 15 जून 2014 को स्वास्थ्य मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने आधी रात को सिविल अस्पताल बरनाला का औचक दौरा किया और फोन न उठाने पर अस्पताल के एस.एम.ओ. को नोटिस जारी किया। 
 
* 24 जून 2015 को श्री ज्याणी ने मोगा के सिविल अस्पताल का औचक निरीक्षण किया और अस्पताल में विभिन्न सेवाओं पर असंतोष व्यक्त किया तथïा पीने के पानी की गुणवत्ता पर भी नाराजगी जताई। 
 
* 01 अगस्त 2015 को एलीमैंट्री शिक्षा विभाग के निदेशक हरबंस सिंह संधू ने भटिंडा जिले में विभिन्न सरकारी स्कूलों का दौरा किया तथा अनेक स्कूलों के कामकाज में कई अनियमितताएं पकड़ीं। 
 
* 06 अगस्त 2015 को शिक्षा मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा ने बनूड़ क्षेत्र के 2 सरकारी स्कूलों का औचक दौरा किया। इस बारे मारे गए अन्य छापों के दौरान राज्य के सरकारी स्कूलों में कई अनियमितताएं सामने आईं। 
 
यह भी पता चला कि विदेशों में नौकरी करने के मोह के कारण 1200 से अधिक सरकारी अध्यापक लम्बी छुट्टिïयों पर हैं जिन्होंने बार-बार नोटिस भेजने पर भी जवाब नहीं दिया। उनके विरुद्ध कार्रवाई शुरू करके कई अध्यापकों की सेवाएं समाप्त भी की गई हैं। 
 
* 17 दिसम्बर 2015 को श्री ज्याणी ने फाजिल्का के खुईखेड़ा स्थित सरकारी अस्पताल पर छापा मारा तो रोगियों ने उन्हें बताया कि अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों का अभाव है जिससे उन्हें परेशानी होती है।
 
* 3 जनवरी 2016 को स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निदेशक डा. गुलशन राय ने डेरा बस्सी और बनूड़ के सरकारी अस्पतालों का दौरा करके विभिन्न वार्डों आदि की सफाई और ‘बायोवेस्ट’ प्रबंधन में सुधार के आदेश दिए।
 
और अब 11 जनवरी 2016 को नगर निगम अमृतसर के कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल ने सुबह 9 बजे अपने कार्यालय में पहुंचते ही अचानक हाऊस टैक्स, लेखा शाखा, जन्म-मृत्यु विभाग तथा लाइसैंस ब्रांच का दौरा करके अधिकारियों, कर्मचारियों की हाजिरी चैक की। 
 
 इस दौरान 9 वरिष्ठ और 19 कनिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी गैर-हाजिर पाने पर कमिश्नर ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। वह निगम की ऐतिहासिक लाइबे्ररी में भी गए और वहां कम रोशनी देख कर अधिकारियों को डांट लगाई कि पर्याप्त रोशनी के बगैर लोग कैसे पढ़ेंगे?  
 
इस समय जबकि देश के अधिकांश राज्यों के  सरकारी विभाग अनियमितता और लापरवाही जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, पंजाब में शुरू किया गया छापेमारी का यह सिलसिला देर से लिया गया एक सही फैसला है तथा इसे अन्य विभागों पर भी लागू करना चाहिए।
 
जितने अधिक छापे मारे जाएंगे, सरकारी कर्मचारियों में उतनी ही चुस्ती और जिम्मेदारी की भावना आएगी। इससे आम जनता को राहत तथा सुविधा प्राप्त होगी। अन्य राज्यों में भी छापेमारी का यह सिलसिला शुरू होना चाहिए ताकि वहां के लोगों को भी राहत मिले।   
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