राष्ट्रपति का चुनाव विपक्ष के लिए संगठित होने का अच्छा मौका

Friday, Jun 23, 2017 - 10:48 PM (IST)

यह वर्ष भारत के लिए चुनावों का वर्ष कहा जा सकता है। अभी कुछ ही समय पूर्व देश में पांच राज्यों के चुनाव सम्पन्न हुए और इन दिनों राष्ट्रपति के चुनाव के लिए राजनीतिक गतिविधियां जोरों पर हैं। 

अब जबकि श्री प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, राजनाथ सिंह तथा वेंकैया नायडू ने 16 जून को सोनिया गांधी और सीताराम येचुरी से अलग-अलग भेंट करके भाजपा प्रत्याशी के लिए उनका समर्थन चाहा लेकिन दोनों ने सरकार की ओर से कोई नाम आने तक कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। इसके चंद ही दिनों बाद 19 जून को भाजपा ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए दलित कार्ड खेलते हुए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को नामित करके सबको चौंका दिया। 

जहां भाजपा के सहयोगी दलों टी.आर.एस., बीजद, लोजपा आदि ने आनन-फानन में श्री कोविंद के समर्थन की घोषणा कर दी वहीं बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार ने भी अपने गठबंधन सहयोगियों राजद व कांग्रेस से अलग राय रखते हुए उन्हें समर्थन दे विपक्षी एकता को झटका दे दिया जिसे लालू ने नीतीश की ऐतिहासिक भूल बताया। आरंभिक ना-नुकुर के बाद शिव सेना ने भी कोविंद के नाम पर हामी भर दी है और मुलायम सिंह यादव ने तो भाजपा द्वारा श्री कोविंद का नाम घोषित करने से पहले ही भाजपा प्रत्याशी को अपने समर्थन की घोषणा कर दी थी। 

राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए दलित कार्ड खेल कर भाजपा नीत राजग ने विपक्षी दलों को चित्त करने की कोशिश की तो कांग्रेस नीत यू.पी.ए. ने भी इससे निपटने के लिए दलित कार्ड ही खेल दिया। बेशक राजग के राष्टï्रपति पद के उम्मीदवार के समक्ष विपक्ष बंटा हुआ नजर आ रहा था परंतु कोविंद के मुकाबले पर अपने उम्मीदवार के नाम पर विचार करने के लिए बुधवार को 17 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। इसमें राकांपा नेता शरद पवार ने सुशील कुमार शिंदे, बालचंद्र मूंगेकर और मीरा कुमार के नाम प्रस्तावित किए। लालू यादव तथा बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने मीरा कुमार के नाम का तथा माक्र्सी पार्टी ने प्रकाश अम्बेदकर और गोपाल कृष्ण गांधी के नामों का समर्थन किया। 

अंतत: बैठक में ‘बिहार की बेटी’ मीरा कुमार के नाम पर सहमति होने पर सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, तृणमूल कांग्रेस के डैरेक ओ’ब्रायन, माकपा के सीताराम येचुरी आदि ने मीरा कुमार के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। विपक्ष ने एकता दर्शाते हुए मीरा कुमार को रामनाथ कोविंद के मुकाबले पर उतार कर राजग को राष्ट्रपति चुनाव में वाकओवर मिलने से रोक कर विपक्ष की एकता का अच्छा संकेत दिया है। दोनों ही उम्मीदवार उच्च शिक्षा प्राप्त और राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। जहां भाजपा नीत राजग के प्रत्याशी श्री रामनाथ कोविंद पेशे से वकील रह चुके हैं तथा उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में 16 वर्ष वकालत की है वहीं 2 बार राज्यसभा के सांसद रहने के अलावा सरकार की अनेक संसदीय समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं। 

इसी प्रकार विपक्ष की प्रत्याशी श्रीमती मीरा कुमार पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की बेटी हैं। वह भी एक वकील और कूटनीतिज्ञ के अलावा पांच बार लोकसभा की सदस्य, केंद्र में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री तथा लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी हैं। इस समय जबकि सिवाय भाजपा के अन्य अधिकांश दलों के साथ ही देश की ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ कांग्रेस केंद्र और अधिकांश राज्यों में सत्ता गंवाने के बाद हाशिए पर आ कर कई हिस्सों में बंट चुकी है, ऐसे में राष्ट्रपति के चुनाव ने कांग्रेस नीत यू.पी.ए. तहत बिखरे विपक्ष को इकट्ठा होने का एक मौका दिया है। 

विपक्ष के मजबूत होने पर ही सत्तारूढ़ दल सही रास्ते पर चलने को विवश होता है परंतु विपक्ष को सत्तारूढ़ दल के सही कार्यकलापों में बाधक न बन कर उसका सहायक बनना चाहिए जिससे देश को लाभ हो। राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम जो भी हो, कोविंद अथवा मीरा कुमार में से कोई भी जीते, इसने विपक्ष को संगठित होनेे का एक अच्छा अवसर प्रदान किया है।—विजय कुमार 

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