‘रामलीलाओं में’ दिखाई दे रही ‘धार्मिक सद्भाव की झलकियां’

Thursday, Oct 19, 2023 - 05:06 AM (IST)

विजयदशमी पर्व से पूर्व नवरात्रि आरंभ होते ही रामकथा के मंचन के लिए देश भर में रामलीलाओं के आयोजन शुरू हो जाते हैं। इनमें भगवान श्री राम के बचपन से लेकर सीता स्वयंवर, वन गमन, सीता हरण, हनुमान जी द्वारा लंका दहन, श्री राम द्वारा लंका पर चढ़ाई और कुम्भकर्ण, मेघनाद के अलावा रावण वध का मंचन किया जाता है। रामलीलाओं में पिछले वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी हिन्दुओं के अलावा मुस्लिम, जैन व सिख समुदाय के लोग भी भाग लेकर धार्मिक सौहार्द और भाईचारे को मजबूत कर रहे हैं। 

* लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में मो. साबित खान का परिवार तीन पीढिय़ों से रामलीला का मंचन करता आ रहा है और उनके निर्देशन में इसी परिवार के सदस्य भगवान श्री राम, लक्ष्मण एवं रावण की भूमिकाएं निभाते हैं। 
‘मो. साबित खान’ का कहना है कि भगवान न तो किसी को हिन्दू बनाकर भेजता है और न ही मुसलमान। यहां सब एक हैं। 
* अलमोड़ा (उत्तराखंड) के दशहरा पर्व का देश में मैसूर व कुल्लू के दशहरे के बाद तीसरा स्थान है। यहां की रामलीलाओं के लिए रावण परिवार के पुतलों का निर्माण हिन्दू व मुसलमान कलाकार मिल कर करते हैं। 
* सीकर (राजस्थान) जिले के ‘रीगस’ में स्व. गोगराज शर्मा और स्व. सलीम कायमखानी द्वारा स्थापित ‘श्री सूर्य मंडल सेवा समिति’ के तत्वावधान में 1976 से रामलीलाएं आयोजित की जा रही हैं। 

* राजस्थान के उदयपुर में शाकिर अली नामक कलाकार अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लगभग 35 वर्षों से मथुरा आकर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले तैयार करते हैं।  
वह अपना गुरु महाराजा अग्रसेन को मानते हैं और काम शुरू करने से पहले विधिवत अपनी आस्था के देवता के सामने पुतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री तथा औजारों की पूजा करते हैं।
* अमरोहा (उत्तर प्रदेश) के कस्बा ‘नौगावां सादात’ में समाजसेवी एहसान अख्तर और गुलाम मुस्तफा के बाद अब शिफाल हैदर के नेतृत्व में रामलीलाओं का आयोजन पिछले 50 वर्षों से किया जा रहा है।
* बरेली (उत्तर प्रदेश) के विंडर मेयर थिएटर की रामलीला में महाराज दशरथ, भगवान श्रीराम, शत्रुघ्न, मेघनाद तथा अंगद की भूमिका क्रमश: रईस खान, दानिश, कैफी, मोहसिन एवं सादिक निभाते हैं। इसमें कलाकारों के परिधान मुनव्वर तैयार करते हैं। 

* वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में 1992 में स्थापित ‘नवचेतना कला एवं विकास समिति’, फुलवारिया कैंट की स्थापना डा. एस.के. गुप्ता और निजामुद्दीन ने की थी, जिसके आयोजनों में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग भाग लेते हैं। 
* वाराणसी के चौबेपुर की चंद्रपुरी में ‘चंद्रावती रामलीला समिति’ द्वारा  1978 से आयोजित की जा रही रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम और जैन समाज के लोग सहयोग करते हैं और मेकअप एक मुस्लिम परिवार ही करता है। 
* बागपत (उत्तर प्रदेश) के टटीरी में आयोजित रामलीला में लक्ष्मण का किरदार शेरखान तथा राम भक्त हनुमान का किरदार यूनुस खान निभाते हैं। 

* फरीदाबाद (हरियाणा) में ‘श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी’ द्वारा आयोजित की जाने वाली रामलीला में कलाकारों का मेकअप मुम्बई की फिल्म नगरी के मेकअप आर्टिस्ट शमीम आलम और उनकी टीम के सदस्य करते हैं। 
* इसी प्रकार कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में ‘लक्ष्मी रामलीला ड्रामाटिक क्लब’ की ओर से आयोजित रामलीला में हिन्दू-सिख भाईचारे के प्रतीक कुलवंत सिंह भट्टी 52 वर्षों से भगवान हनुमान का किरदार निभा रहे हैं जबकि उनके पोते हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज का किरदार निभा रहे हैं। यही नहीं, कुछ स्थानों पर मंचित की जाने वाली रामलीलाओं में खालिस उर्दू के संवादों का इस्तेमाल होता है और पात्र शायरी की भाषा में बात करते हैं। इसी तरह की एक रामलीला में रावण को सीता जी से यह कहते हुए सुना गया कि ‘‘तेरा तसव्वुर मुझे तड़पाता है।’’ आशा है कि जब तक देश में इस प्रकार की सकारात्मक सोच के लोग मौजूद हैं, तब तक विभाजनकारी शक्तियां हमारे भाईचारे के पारंपरिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने में सफल नहीं हो सकेंगी।—विजय कुमार 

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