‘घनश्याम तिवारी’ और ‘चंदन मित्रा’ ने भाजपा नेतृत्व को किया सतर्क

punjabkesari.in Wednesday, Oct 10, 2018 - 04:32 AM (IST)

आज भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है परंतु इसमें समय-समय पर उभरने वाले असहमति के स्वर इसकी विकास यात्रा को रोक रहे हैं। अपनी आवाज न सुनी जाने के कारण ही पार्टी के कई नेता इससे जुदा हो गए हैं। 

हाल ही में भाजपा से जुदा हुए वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवारी ने राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सभी 200 सीटों पर अपनी ‘भारत वाहिनी पार्टी’ (बी.वी.पी.) के उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा करते हुए कहा है कि, ‘‘7 दिसम्बर को होने वाले चुनावों में भाजपा को ऐतिहासिक पराजय का मुंह देखना पड़ेगा तथा भाजपा द्वारा राजस्थान में उच्च जातियों से ‘विश्वासघात’ करने के कारण इसका वोट बैंक इसके हाथों से खिसक गया है।’’ 

इसी प्रकार हाल ही में भाजपा से अलग होने वाले पूर्व सांसद श्री चंदन मित्रा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के इस बयान को बेतुका बताया कि आम चुनावों में बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से भाजपा 22 सीटें जीत जाएगी। मित्रा के अनुसार तृणमूल कांग्रेस की सीटें घटने की कोई संभावना नहीं है। भाजपा छोडऩे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी के अंतर्गत पार्टी की नई संस्कृति के साथ तालमेल न बिठा पाने के कारण लम्बे समय से उनका पार्टी में दम घुट रहा था। 

उनके अनुसार ‘‘आज भाजपा वैसी नहीं रही है जैसी श्री अटल बिहारी वाजपेयी और अडवानी जी के दिनों में थी। जब मैं उनके मार्गदर्शन में इससे जुड़ा था।’’ अत: भाजपा नेतृत्व को ऐसे उद्गारों का संज्ञान लेते हुए गंभीरतापूर्वक सोचना चाहिए कि कभी इसके साथ रहे लोग आज असहमति भरी बातें क्यों कह रहे हैं।—विजय कुमार 


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Pardeep

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