आतंकी हमले के विरुद्ध देशवासियों में रोष एवं क्षोभ जारी

Sunday, Feb 17, 2019 - 03:25 AM (IST)

14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पाक समर्थित आतंकवादियों के कायरतापूर्ण हमले के चलते सी.आर.पी.एफ. के 44 जवानों की शहादत और 22 जवानों के घायल होने से देशवासियों का हृदय छलनी हो गया है। आज समूचा देश भारी रोष और आक्रोश में है तथा देश के ओर-छोर में एक स्वर से लोग पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग पर बल देने के लिए उठ खड़े हुए हैं। 

15 और 16 फरवरी को राजधानी दिल्ली सहित देश के 20 से अधिक राज्यों में लोगों ने इमरान खान के पोस्टर तथा पाकिस्तान के झंडे जला कर और ट्रैफिक रोक कर अपना विरोध प्रदशर््िात किया। लोगों ने कैंडल मार्च निकाल कर दिवंगत जवानों को श्रद्धांजलि अपूर्ति की और यह सिलसिला अभी भी जारी है। समूचे देश के लोग पुलवामा के शहीदों के परिवारों की सहायता के लिए उमड़ पड़े हैं और विभिन्न राज्यों की सरकारों ने भी अपने शहीद जवानों के परिवारों को सहायता देने की घोषणाएं की हैं। 

अपने शहीद जवानों के परिवारों को महाराष्ट्र सरकार ने 50-50 लाख रुपए, उत्तर प्रदेश सरकार ने 25-25 लाख रुपए और परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी, उत्तराखंड ने 25-25 लाख रुपए और हिमाचल प्रदेश सरकार ने 20 लाख रुपए देने की घोषणा की है। इसी प्रकार तमिलनाडु सरकार ने 20-20 लाख रुपए और पंजाब सरकार ने 12-12 लाख रुपए तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की है। इसके अलावा सी.आर.पी.एफ. नियमानुसार सहायता देगी जो लगभग 1 करोड़ रुपए प्रत्येक बनती है परंतु जो मूल्यवान प्राण चले गए हैं उनके मुकाबले इस रकम की कीमत ही क्या है। 

इस आतंकी हमले के विरुद्ध रोष स्वरूप विश्व के 50 देश भारत के साथ खड़े हो गए हैं। इसी सिलसिले में 15 फरवरी को रूस, स्वीडन, जर्मनी, इंगलैंड, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, स्पेन आदि 25 देशों के राजदूतों ने विदेश मंत्रालय पहुंच कर इस घटना के विरुद्ध भारत सरकार को अपना समर्थन प्रदान किया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन, इसराईल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और सऊदी अरब तथा श्रीलंका के राष्ट्र प्रमुखों ने फोन पर शोक जताया है। अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे कायरतापूर्ण हमला करार देते हुए कहा कि ‘‘कोई देश आतंकवाद को पनाह न दे। भारत को जब भी किसी सहायता की आवश्यकता होगी अमरीका हमेशा इसके साथ खड़ा होगा।’’ 

एक ओर अधिकांश विश्व समुदाय इस आतंकी हमले के विरुद्ध भारत के साथ अभूतपूर्व एकजुटता और पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर रहा है तो दूसरी ओर श्रीनगर के कुछ इलाकों में एक समुदाय के लोगों ने बंद के दौरान अपनी दुकानें खुली रख कर, पटाखे फोड़ कर, जश्न मना कर और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाकर देशवासियों के घावों पर नमक छिड़का है। यही नहीं भारत के अन्य भागों में रह रहे कुछ कश्मीरी युवाओं ने भी इस हमले पर प्रसन्नता व्यक्त करके घोर आपत्तिजनक कार्य किया है। देहरादून में मैडीकल की पढ़ाई कर रहे छात्र कैसर रशीद ने बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए अपने फेसबुक अकाऊंट पर पोस्ट किया कि ‘‘हैप्पी टूडे, आज तो चिकन का डिनर हो गया।’’ 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र बासिम हिलाल ने खुशी जताते हुए ‘हाऊ’ज द जैश ग्रेट सर’ आपत्तिजनक ट्वीट किया है। इसी प्रकार मुरादाबाद के एम.आई.टी. में पढऩे वाले एक कश्मीरी छात्र ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में लिखा ‘पाकिस्तान जिन्दाबाद’, जिसके बाद एम.आई.टी. परिसर में बवाल मच गया है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा ही रहेगा। जब कभी भी बाढ़ या अन्य कोई आपदा आती है तो केंद्र की सरकारों और शेष देशवासियों ने आगे बढ़ कर अपने कश्मीरी बहन-भाइयों की सहायता की है। 

ऐसे में पाकिस्तान तथा उसके द्वारा समर्थित कश्मीरी अलगाववादियों के उकसावे पर आतंकवादियों एवं पत्थरबाज युवाओं द्वारा अपने ही भाई-बहनों की हत्या या सुरक्षा बलों पर हमले करना घोर निंदनीय और नाकाबिले माफी है। आज जबकि समूचा देश सी.आर.पी.एफ. के जवानों की आतंकवादियों द्वारा हत्या को लेकर घोर रोष एवं क्षोभ में है, एक छोटे से वर्ग द्वारा आतंकवादियों के दुष्कृत्य के समर्थन को किसी भी दृष्टिï से उचित नहीं कहा जा सकता। भारत का खा कर शत्रुओं के गलत काम को सही ठहराने वालों को आखिर देशद्रोही नहीं तो और क्या कहा जाए!—विजय कुमार 

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