पुलिस हिरासत से लगातार हो रही कैदियों की फरारी

Sunday, Sep 03, 2017 - 02:53 AM (IST)

देश भर की जेलें घोर अव्यवस्था की शिकार हैं। वहां से कैदियों के भागने और जेल के अंदर हर तरह के अपराध होने की घटनाएं आम हैं और यहां तक कि हाई सिक्योरिटी जेलें भी इस समस्या से मुक्त नहीं। 

एक ओर तिहाड़ जेल से चाल्र्स शोभराज द्वारा अधिकारियों को नशीली मिठाई खिलाकर फरार होने जैसी घटनाओं ने जेलों में सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं तो दूसरी ओर जेलों से अदालतों में पेशी के लिए ले जाए जाने वाले विचाराधीन कैदियों की फरारी और उनके सहयोगियों द्वारा उन्हें पुलिस की हिरासत से निकाल ले जाने की घटनाएं भी आम हो गई हैं जो मात्र एक महीने में हुई निम्न में दर्ज घटनाओं से स्पष्ट है : 

03 अगस्त को उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद जिला जेल से पेशी पर लाए गए एक कैदी को कचहरी स्थित सैशन अदालत के बाहर पुलिस कर्मचारी की आंख में मिर्च झोंक कर दिन-दिहाड़े उसके साथी छुड़ा ले गए। 12 अगस्त को रामपुर जेल से मऊ पेशी पर लाया गया डी-9 गैंग का कुख्यात सरगना ‘सुजीत सिंह बुढ़वा’ जिसे 6 मास पूर्व 30 लाख रुपए की लूट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, पेशी से वापस ले जाते समय आजमगढ़ में शौच के बहाने पुलिस कर्मचारी को धक्का देकर भाग निकला। 13 अगस्त को रायपुर जेल से ‘राकेश दुर्गा’ नामक विचाराधीन बंदी अम्बेदकर अस्पताल से इलाज के दौरान फरार हो गया। 

20 अगस्त को बिहार की फुलवारी जेल में बंद चोरी का आरोपी कैदी ‘गौतम राम’ उर्फ ‘चार्ली’ दोपहर के समय दानापुर जी.आर.पी. कोर्ट से पुलिस कर्मचारी का हाथ झटक कर फरार हो गया। उसे पकडऩे के लिए पुलिस कर्मी काफी दूर तक पीछे दौड़ते रहे लेकिन वह हाथ नहीं आया। 21 अगस्त को बिहार के पटना सिविल कोर्ट में बेऊर जेल से पेशी के लिए लाया गया हत्या के चार मामलों में बंदी चंदन शर्मा झटके से हथकड़ी छुड़ा कर तथा हवलदार को धक्का देकर पैदल ही निकल भागा। दोपहर डेढ़ बजे हुई इस घटना में अदालत में बड़ी संख्या में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद वह किसी के हाथ नहीं आया। 

24 अगस्त को इंदौर इंटरसिटी ट्रेन द्वारा उज्जैन में पेशी के बाद फरीदाबाद लाया जा रहा अरशद उर्फ राणा टायलैट जाने के बहाने मथुरा के निकट मध्य प्रदेश पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। 29 अगस्त को उत्तर प्रदेश की गाजीपुर जिला जेल से कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया शार्प शूटर कैदी राजेश दुबे, जिस पर कई मामले दर्ज हैं, हवालात परिसर से दिन-दिहाड़े गायब हो गया। और अब 1 सितम्बर को दोपहर पौने एक बजे पेशी के लिए अमृतसर लाए जा रहे एक दर्जन से भी अधिक मामलों में वांछित गैंगस्टर शुभम सिंह को कार में आए 8-10 सशस्त्र व्यक्ति पुलिस हिरासत से छुड़ा कर ले गए। 

उसे एक केस के सिलसिले में जालंधर की पुलिस पार्टी कपूरथला से बस में ला रही थी। जैसे ही यह बस कस्बा रैया के नहरी बस स्टैंड पर जाकर सवारियां लेने के लिए रुकी तो शुभम के साथियों का एक दल बस में चढ़ गया और कुछ सैकेंड में ही शुभम को पुलिस के कब्जे से छुड़ा कर ले गया। बताया जाता है कि शुभम सिंह के साथ ‘एस.एल.आर.’ से लैस 2 कांस्टेबल थे और जब शुभम ने भागने की कोशिश की तो कांस्टेबल सज्जन सिंह ने गोली चलाने का प्रयास किया लेकिन गोली राइफल के बैरल में ही अटक गई जिससे गैंगस्टरों को भागने का मौका मिल गया। पुलिस पार्टी द्वारा पीछा करने पर गैंगस्टर के साथियों द्वारा फायरिंग शुरू कर दी गई। एक गोली ए.एस.आई. सुखजिन्द्र सिंह की टांग में लगी जिससे वह घायल हो गए। 

बंदी अपराधियों का अस्पतालों, अदालतों और पुलिस कर्मचारियों के कब्जे से फरार होना मुख्यत: उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों की चूक और लापरवाही का ही प्रमाण है। अत: ऐसी घटनाएं रोकने के लिए अपराधियों के मामलों की सुनवाई या तो जेलों के अंदर वीडियो कांफ्रैंसिंग से की जाए या कचहरियों में शौच आदि के पक्के प्रबंध किए जाएं। यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो कैदी इसी तरह पुलिस हिरासत से फरार होते रहेंगे। कानून व्यवस्था का मजाक उड़ता रहेगा और अन्य अपराधियों के हौसले बढ़ते रहेंगे।—विजय कुमार 

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