हिमाचल में नशे को फैलाने के लिए फ्री डोका और सैक्स का लालच

Saturday, Sep 08, 2018 - 02:21 PM (IST)

युवाओं में नशे की बढ़ती लत को लेकर मचे देशव्यापी कोहराम और नशा तस्करों द्वारा नशे की सप्लाई के लिए बच्चों को कोरियर के रूप में इस्तेमाल करने के समाचारों के बीच नशा तस्करों की गिरफ्तारियों के बावजूद वे अपना नैटवर्क लगातार फैलाते चले जा रहे हैं।

पंजाब के बाद सिंथैटिक नशे का धंधा पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी अपने पैर पसार चुका है। हैरोइन के साथ कुछ कैमिकल मिला कर तैयार किए जाने वाले सिंथैटिक नशे ‘चिट्टे’ के लिए पंजाब बदनाम है तो हिमाचल प्रदेश ‘मलाना क्रीम’ यानी चरस तथा भांग और अफीम जैसे नशों के लिए बदनाम रहा है परंतु अब हिमाचल में भी इनकी जगह ‘चिट्टे’ ने ले ली है।

चूंकि ‘चिट्टा’ सोने से भी अधिक महंगा है, नशे के सौदागरों के लिए यह पैसे कमाने का सबसे आसान धंधा बन गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विधानसभा में कह चुके हैं कि कई युवा अपने दोस्तों की देखा-देखी नशे के आदी हो रहे हैं। उनके अनुसार ‘चिट्टे’ के दाम बढ़ते जा रहे हैं इसका एक ग्राम 6 हजार रुपए में बिक रहा है और सबसे खतरनाक बात यह है कि कुछ बार ही इसे लेने पर व्यक्ति पूरी तरह से इसकी लत का शिकार हो जाता है।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे पर हुई चर्चा में सरकाघाट से भाजपा के विधायक इंद्र सिंह ने कहा था कि 2016 में जहां प्रदेश में केवल 250 ग्राम हैरोइन पकड़ी गई थी वहीं 2017 में इसकी मात्रा बढ़ कर अढ़ाई किलो हो गई तथा इस साल 31 जुलाई तक ही 8 किलो ‘चिट्टा’ पकड़ा जा चुका है। बेशक पंजाब में गत वर्ष पकड़ी गई 189 किलो हैरोइन की तुलना में यह मात्रा कम हो, परंतु अधिकतर विधायकों को चिंता है कि यदि इस सिंथैटिक ड्रग की राज्य में बढ़ रही तस्करी पर समय रहते नकेल न कसी गई तो मामला हाथों से पूरी तरह निकल सकता है।

पंजाब में नशा तस्करों पर बढ़ी सख्ती के चलते हिमाचल में सिंथैटिक ड्रग्स की खपत 32 प्रतिशत बढ़ गई है। विधायकों ने कहा कि राज्य में नशों की ओवरडोका से हो रही बच्चों की मौत पर सर्वे करने की भी जरूरत है क्योंकि परिवार अपने बच्चों की नशे से हुई मौत को हार्ट अटैक बता कर अक्सर छुपा जाते हैं जिससे इस संबंध में असली आंकड़े सामने नहीं आ पा रहे। बताया जाता है कि युवाओं को नशों से जोडऩे के लिए तस्कर ‘पिरामिड मार्कीटिंग’ से लेकर सैक्स का लालच उन्हें देने लगे हैं। चंडीगढ़ के नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व सुपरिंटैंडैंट ओ.पी. शर्मा के अनुसार हिमाचल में अधिक से अधिक युवाओं को नशे का आदी बना कर अपना जाल फैलाने के लिए नशा तस्कर विभिन्न तरीके अपना रहे हैं। उनके अनुसार ‘चिट्टा’ हैरोइन से अधिक जानलेवा है क्योंकि इसमें हैरोइन, अफीम और एसैटिक एनहाइड्राइड जैसे कैमिकल भी होते हैं। चूंकि इस धंधे में जोखिम अधिक है इसलिए तस्कर ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए युवाओं को अपने साथ और लड़कों को लाने को कहने लगे हैं।

दून से भाजपा विधायक परमजीत सिंह पम्मी का दावा है कि तस्करों ने यह स्कीम भी चलाई है कि तीन लड़कों को नशा खरीदने के लिए फुसला कर अपने साथ लाने वाले को ‘चिट्टे’ की एक डोज फ्री दी जाएगी। उनके अनुसार पहले से ‘चिट्टे’ की लत के शिकार हो चुके युवाओं को अच्छे परिवारों के अपने दोस्तों को साथ लाने के लिए कहा जा रहा है। ओ.पी. शर्मा के अनुसार युवाओं को नशे का आदी बनाने के लिए उन्हें सैक्स का भी लालच दिया जाने लगा है और कई युवाओं को पता ही नहीं होता कि वे किस चीज का इंजैक्शन ले रहे हैं। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि जिन्हें नशे की लत लग जाती है वे इसलिए भी इसे आगे बढ़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें खुद इस महंगे नशे के लिए पैसों की जरूरत होती है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस ने प्रदेश की सीमा के साथ लगते राज्यों की पुलिस से सम्पर्क साध कर एक संयुक्त रणनीति बनाई है ताकि नशा तस्करों पर शिकंजा कसा जा सके। हालांकि, हर दूसरे दिन पकड़े जा रहे नशों से जाहिर है कि प्रदेश में तस्करों के नैटवर्क को तोडऩे के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। साथ ही राज्य में नशे की लत के शिकार युवकों की बढ़ रही संख्या के चलते शीघ्र ही नए नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना करनी चाहिए।

-विजय कुमार
 

Vijay Kumar

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