पूर्व केन्द्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष डा. बलराम जाखड़ का निधन

Thursday, Feb 04, 2016 - 01:30 AM (IST)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, समाज सेवी और कृषि प्रेमी श्री बलराम जाखड़ का 3 फरवरी को दिल्ली में अपने निवास स्थान पर सुबह 7 बजे 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह मस्तिष्काघात के कारण 1 वर्ष से अस्पताल में भर्ती थे।

 
23 अगस्त, 1923 को तत्कालीन पंजाब में वर्तमान फाजिल्का जिले के अबोहर उपमंडल के पंजकोसी गांव में जन्मे श्री जाखड़ ने 1945 में फोरमैन क्रिश्चियन कालेज लाहौर से संस्कृत में डिग्री ली। उन्हें संस्कृत के अलावा अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू तथा ङ्क्षहदी भाषा का अच्छा ज्ञान था। ऊंचा कद, गोरा रंग, दमकता चेहरा और तेजमयी आंखें उनके व्यक्तित्व की विशेष पहचान थी।
 
इंदिरा गांधी के अत्यन्त करीबी रहे श्री जाखड़ के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1972 में पंजाब विधानसभा का सदस्य चुने जाने से हुई और वह 1973 से 1977 के बीच पंजाब में सिंचाई एवं ऊर्जा राज्यमंत्री रहे और 1977 में दोबारा विधायक चुने जाने के बाद उन्हें विपक्ष के नेता का पद मिला। 
 
वह 1980 में फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र से 7वीं लोकसभा के लिए और 1984 में 8वें लोकसभा चुनावों में सीकर संसदीय लोकसभा क्षेत्र से चुने गए और 
 
22 जनवरी, 1980 से लेकर 27 नवम्बर, 1989 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने सदन के कार्यों के स्वचालन एवं कम्प्यूटरीकरण तथा संसद की दस्तावेजीकरण प्रणाली को बेहतर बनाने आदि के लिए बहुत काम किया। संसद संग्रहालय की स्थापना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। 
 
वह 1991 और 1998 में भी सांसद चुने गए। उन्हें 1990 में कांग्रेस का महासचिव बनाया गया और 1992 में वह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बने। उन्हें 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में केन्द्र में कृषि मंत्री बनाया गया और 30 जून, 2004 से 30 मई, 2009 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। 
 
श्री बलराम जाखड़ राजनीतिज्ञ होने से भी पहले एक किसान और बागवानी के माहिर गिने जाते थे। बागवानी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1975 में राष्टï्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने उन्हें ‘उद्यान पंडित’ की उपाधि से सम्मानित किया था। श्री बलराम जाखड़ एशियाई मूल के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें राष्टï्रमंडल सांसद कार्यकारी मंच का सभापति चुना गया। 
 
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अलावा हिसार एवं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें कृषि और बागवानी के क्षेत्र में योगदान के लिए क्रमश: ‘डाक्टर ऑफ साइंस’ तथा ‘विद्या मार्तंड’ उपाधियों से सम्मानित किया गया। 
 
खेलों और लिखने-पढऩे में भी वह अत्यधिक रुचि लेते थे तथा उन्होंने ‘पीपुल, पाॢलयामैंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन’ नामक पुस्तक भी लिखी। कृषि उपज बढ़ाने के लिए उन्होंने कृषि में अनेक वैज्ञानिक तकनीकों का समावेश करने में योगदान दिया। आजीवन कृषि में दिलचस्पी लेने वाले श्री बलराम जाखड़ ‘भारत कृषक समाज’ के आजीवन अध्यक्ष और ‘जलियांवाला बाग मैमोरियल ट्रस्ट मैनेजमैंट कमेटी’ के अध्यक्ष थे।
 
श्री जाखड़ के हमारे परिवार के साथ पारिवारिक संबंध थे और हम कई बार उनके घर गए तथा खाना खाया जिसमें घर के जमाए हुए दही, मक्खन व चाटी की लस्सी का समावेश अवश्य होता था। 16 जून, 1985 को, जब वह लोक सभा के अध्यक्ष थे, पंजाब केसरी द्वारा आयोजित शहीद परिवार फंड सहायता वितरण समारोह में भी भाग लेने आए थे। उनकी स्वच्छ छवि और निष्पक्ष विचारधारा के दृष्टिïगत उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। 
 
वह एक लोकप्रिय नेता और प्रभावशाली वक्ता थे जिन्होंने संसदीय लोकतंत्र को समृद्ध बनाया। सोनिया गांधी ने उनके निधन पर अपने शोक संदेश में कहा है कि ‘‘डा. जाखड़ ने अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में विशेषकर किसान समुदाय के हित के लिए जो योगदान दिया है उसे पूरा देश हमेशा याद रखेगा।’’
 
डा. बलराम जाखड़ के बड़े बेटे सज्जन कुमार जाखड़ पंजाब के मंत्री रह चुके हैं। उनके दूसरे बेटे सुरेन्द्र कुमार जाखड़ की 17 जनवरी, 2011 को फिरोजपुर में मृत्यु हो गई थी। उनके सबसे छोटे पुत्र सुनील जाखड़ पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और अब भी पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 
 
श्री बलराम जाखड़ ने एक विधायक, सांसद, मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यपाल जैसे हर पद पर अपनी सेवाएं देते समय कृषि और किसानों संबंधी समस्याओं को आगे रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।   
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