महाराष्ट्र मंत्रिमंडल विस्तार होते ही सहयोगी दलों में असंतोष की ज्वाला भड़की

Thursday, Jan 02, 2020 - 02:21 AM (IST)

28 नवम्बर को 6 अन्य मंत्रियों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद उद्धव ठाकरे को अपने दल शिवसेना के अलावा दोनों गठबंधन सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस की संतुष्टि के अनुरूप मंत्रिमंडल का विस्तार करने में 32 दिनों का लम्बा समय लग गया। 30 दिसम्बर को हुए इस मंत्रिमंडलीय विस्तार में उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट और राज्यमंत्रियों सहित राकांपा, कांग्रेस, शिवसेना और अन्यों सहित कुल 36 नए मंत्री बनाए जिससे मंत्रिमंडल की कुल सदस्य संख्या 43 हो गई। इसमें राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने दूसरी बार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की जो इससे पहले 23 नवम्बर को शपथ ग्रहण करने वाली देवेंद्र फडऩवीस की 72 घंटे चली भाजपा सरकार में भी पाला बदल कर उपमुख्यमंत्री बन गए थे। 

बहरहाल मंत्रिमंडल विस्तार में उद्धव ठाकरे घटक दलों को तो क्या अपनी पार्टी के सदस्यों को भी संतुष्टï नहीं कर पाए जिससे शिवसेना विधायकों के एक वर्ग में रोष भड़क उठा है। इनमें सरकार बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले संजय राऊत के छोटे भाई और विधायक सुनील राऊत भी शामिल हैं जिनका नाम संभावित मंत्रियों की सूची में से अंतिम समय पर काटा गया।

राकांपा के विधायक प्रकाश सोलंके ने भी उन्हें मंत्री पद न देने के विरुद्ध रोष स्वरूप त्यागपत्र दे दिया है। राकांपा के मकरंद पाटिल और राहुल चव्हाण पहले ही मंत्रिमंडल गठन पर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के कोटे से कुछ खास नेताओं को मंत्री बनाया जाना कांग्रेसियों के एक वर्ग को रास नहीं आया। कांग्रेस विधायक संग्राम थोप्टे को मंत्री न बनाने पर 31 दिसम्बर को उनके समर्थकों ने पुणे स्थित पार्टी कार्यालय में तोड़-फोड़ की और पार्टी नेतृत्व के विरुद्ध नारे लगाए। एक युवा कांग्रेस नेता ने अपने खून से पत्र लिख कर इस मंत्रिमंडलीय गठन के विरुद्ध सोनिया गांधी से नाराजगी जताई है। 

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में जगह न पाने वाले विधायकों में आक्रोश का एक कारण यह भी है कि 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 43 मंत्री ही हो सकते हैं और उद्धव ठाकरे द्वारा पहले ही विस्तार में यह संख्या पूरी कर देने के कारण अब जल्दी ही कोई अन्य मंत्री बनाए जाने की संभावना ही नहीं रही। अब देखना यह है कि उद्धव ठाकरे इस असंतोष को शांत करके सहयोगी पार्टियों को साथ रखने में किस प्रकार सफल होते हैं ताकि सरकार 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा करे और राज्य के विकास में योगदान दे सके।—विजय कुमार 

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