‘किसानों की ट्रैक्टर रैली’ उग्र विचारों के लोगों द्वारा हिंसा की भेंट चढ़ी

Thursday, Jan 28, 2021 - 03:55 AM (IST)

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार के साथ 41 किसान संगठनों के नेताओं की 11 बैठकों के बावजूद कोई फैसला नहीं हो सका। 20 जनवरी को 10वें दौर की बैठक में सरकार ने नए कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित रखने की पेशकश की थी जिसे किसान नेताओं ने 21 जनवरी को रद्द कर दिया। इसके साथ ही किसानों ने 26 जनवरी को अपनी ट्रैक्टर रैली निकालने का संकल्प दोहरा दिया। 22 जनवरी को 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही और उसमें दोनों ही पक्षों द्वारा अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहने के कारण अगली बैठक के लिए कोई तारीख भी निश्चित नहीं हो पाई। 

इसी दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि ‘‘हमने किसानों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रस्ताव दे दिया है परंतु किसान आंदोलन के पीछे ऐसी कोई ताकत है जो इसे लम्बा खींचना चाहती है और कुछ लोग किसानों का फायदा उठाना चाहते हैं।’’ इसके साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की थी कि किसान यूनियनें जल्द ही इस पर पुनॢवचार करके सरकार को अपना फैसला बताएंगी। ट्रैक्टर रैली निकालने बारे पुलिस के साथ 5 दौर की बातचीत के बाद किसानों को 26 जनवरी को एन.सी.आर. में परेड निकालने की अनुमति दे दी गई जिसके लिए दिल्ली से लगे 5 बार्डरों से अलग-अलग रूट प्लान तैयार किया गया जिस पर किसान नेताओं ने सहमति व्यक्त कर दी थी। 

यह भी निर्णय लिया गया कि रैली शांतिपूर्ण रहेगी और ट्रैक्टर व इनमें सवार लोगों की जिम्मेदारी किसान संगठनों की होगी परंतु 26 जनवरी को रैली जब शुरू हुई तो कुछ भी तय कार्यक्रम के अनुसार नहीं हुआ। रैली पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गणतंत्र दिवस का समारोह समाप्त होने के बाद 12 बजे शुरू होनी थी लेकिन किसानों के अनेक धड़ों ने रैली निर्धारित समय से पहले ही शुरू कर दी व इसमें शामिल गर्म विचारधारा के लोगों ने निर्धारित रूटों और एंट्री प्वाइंट्स का उल्लंघन करके बैरिकेड आदि तोड़ कर दूसरे रास्तों से बढऩा शुरू कर दिया तथा कई जगह तोडफ़ोड़ भी की। इस बीच आई.टी.ओ. पर ट्रैक्टर पलटने से एक किसान की मौत हो गई जबकि कड़ी सुरक्षा वाले लाल किले में घुस कर शरारती तत्वों ने पुलिस से बुरी तरह मारपीट करके लाल किले पर कब्जा करने के बाद अपना झंडा लहरा दिया। 

इस घटनाक्रम में कम से कम 394 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जाती है जो आई.सी.यू. में हैं। लाल किला परिसर में उपद्रवियों की मारपीट से जान बचाने के लिए गड्ढों में छलांग लगा देने के परिणामस्वरूप अनेक सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। इस घटना के चलते न सिर्फ दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में हाई अलर्ट घोषित किया गया है बल्कि किसान नेताओं के विरुद्ध 25 से अधिक एफ.आई.आर. भी दर्ज की गई हैं तथा अनेक लोगों को हिरासत में लिया गया है और राजधानी में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। 

आंदोलन के 62वें दिन अर्थात 26 जनवरी सुबह तक सब ठीक चल रहा था और रैली में शामिल ट्रैक्टरों पर बड़ी संख्या में लोगों ने आंदोलनकारी किसानों पर सुबह के समय फूल भी बरसाए। इसी बीच कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान नेताओं से दोबारा बातचीत शुरू होने का संकेत देते हुए जल्दी ही हल निकल आने की आशा व्यक्त की थी परंतु शुरू हुई हिंसा ने सब कुछ बदल दिया है। आंदोलन में गर्म दलीय और उग्र विचारधारा के लोगों की घुसपैठ के समाचार तो पहले ही आने लगे थे जिसके बारे में गहन जांच करने की जरूरत है। सभी वर्गों के लोगों ने इस घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। जहां समाजसेवी अन्ना हजारे ने इसे देश के लिए कलंक बताया है वहीं कई लोग इस घटना की तुलना हाल ही में ट्रम्प समर्थकों द्वारा अमरीका की संसद कैपिटल हिल पर किए गए हमले के साथ कर रहे हैं। 

इस बीच आंदोलन में हिंसा के कारण दो किसान संगठन इससे अलग हो गए हैं तथा 27 जनवरी को रेवाड़ी के 20 गांवों के ग्रामीणों ने पंचायत कर ङ्क्षहसा पर नाराजगी जताते हुए आंदोलनकारियों को हाईवे खाली करने की चेतावनी दे दी जिसके बाद आंदोलनकारी मसानी बैराज, दिल्ली-जयपुर हाईवे तथा एन.एच. 8 से हट गए हैं। आगे क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। अभी तो यही कहा जा सकता है कि सरकार ने आगे भी बातचीत जारी रखने तथा किसानों ने आंदोलन अङ्क्षहसक रखने का सकारात्मक संदेश दिया है। अब तक शांत चल रहे आंदोलन को कुछ शरारती तत्वों और उग्र विचारों वाले लोगों ने बदनाम करने की कोशिश की है। 

दिल्ली पुलिस ने भी अपने ऊपर गंभीर हमलों के बावजूद जान जोखिम में डाल कर अधिकतम संयम बरता जिससे इतने बड़े पैमाने पर हुए उपद्रव के बावजूद प्राण हानि टाली जा सकी। इस सम्बन्ध में हमारा मानना है कि किसानों को सरकार के साथ बातचीत करके शांतिपूर्ण तरीके से जल्द से जल्द इस समस्या का हल निकाल लेना चाहिए।—विजय कुमार 

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