‘किसानों के रेल रोको कारण’ जरूरी सामान के ‘हजारों कंटेनर डिपुओं में फंसे’

punjabkesari.in Monday, Oct 12, 2020 - 12:33 AM (IST)

केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों के विरुद्ध पंजाब, हरियाणा तथा कुछ अन्य राज्यों के किसान पिछले 18 दिनों से ‘रेल रोको आंदोलन’ कर रहे हैं। इससे पंजाब और हरियाणा में रेल सेवाएं बुरी तरह बाधित हुई हैं तथा अनेक भागों में अनिवार्य सेवाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पंजाब में लगभग 30 किसान संगठनों ने लगभग 5 दर्जन स्थानों पर पक्के धरने लगा रखे हैं। रेल रोको आंदोलन के चलते मालगाडिय़ों को छूट देने के लिए 10 अक्तूबर को बरनाला में आयोजित बैठक 30 में से 7 किसान संगठनों के पदाधिकारियों के शामिल नहीं हो पाने के कारण बिना किसी फैसले के समाप्त हो गई। 

‘रेल रोको आंदोलन’ के चलते बड़ी संख्या में यात्री तथा लगभग 700 मालगाडिय़ां रद्द किए जाने के कारण राज्य में दूसरे राज्यों से डीजल, पैट्रोल, बारदाना, यूरिया और सीमैंट आदि आना बंद हो जाने से अनेक जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढऩे लगी हैं। सीमैंट के दाम में कम से कम 10 रुपए प्रति बोरी की वृद्धि हो गई है। पंजाब से दूसरे राज्यों को आलू, चावल और अनाज की सप्लाई ठप्प हो गई है तथा बड़ी मात्रा में पंजाब से निर्यात किए जाने वाले और दूसरे राज्यों से आयात किए जाने वाले सामान के डिपुओं पर फंस जाने के कारण आयातकों और निर्यातकों में हाहाकार मच गया है। 

इस समय पंजाब में विभिन्न डिपुओं पर कई प्रकार के सामानों से लदे 10,000 से अधिक कंटेनर जमा हो जाने से निर्यातकों ने आगे उत्पादन बंद कर दिया है। धागा एवं अन्य कच्चा माल विदेशों से भारत में नहीं पहुंच पाने से लुधियाना का हौजरी उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गया है। यही नहीं खाद्य तेल, ड्राईफ्रूट तथा अन्य शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के कंटेनर भी जगह-जगह डिपुओं में खड़े हैं जिन्हें धरना लगा कर बैठे किसान बाहर नहीं आने दे रहे। 

अमृतसर के एक व्यापारी के ड्राईफ्रूट के 22 कंटेनर पिछले 10 दिनों से ‘लुधियाना ड्राई पोर्ट’ पर खड़े हैं जिनमें लगभग 22 करोड़ रुपए का ड्राईफ्रूट बताया जाता है। इनमें 18 कंटेनर अमरीका से आयात किए गए ड्राइफ्रूट के हैं। इसी प्रकार साइकिलों के पुर्जे, खेल का सामान, हैंडटूल आदि के भी बड़ी संख्या में कंटेनर फंस जाने से उद्योगपतियों की कुछ दिनों के भीतर करोड़ों रुपए की क्षति हो चुकी है और उनकी अरबों रुपए की पूंजी फंस गई है। 

यह आशंका भी जताई जा रही है कि समय पर डिलीवरी न होने से कहीं विदेशी खरीदार आर्डर रद्द ही न कर दें। ऐसा होने पर उद्योग-व्यवसाय जगत का संकट और भी गम्भीर हो सकता है। यही नहीं, उत्पादन धीमा हो जाने के कारण आने वाले दिनों में बेरोजगारी की समस्या फिर बढ़ सकती है। इस आंदोलन का प्रभाव पड़ोसी राज्यों पर भी पडऩा शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी पैट्रोल-डीजल का संकट महसूस होने लगा है। गत दिवस अधिकांश पैट्रोल पम्प सूख गए तथा पैट्रोल पम्पों पर वाहनों की लम्बी कतारें देखी गईं। 

जम्मू क्षेत्र में राशन, दालों और खाद्य तेलों की आपूर्ति पर भी बुरा असर पड़ा है। सामान न पहुंचने से एक ओर महंगाई बढ़ रही है तो दूसरी ओर सटोरियों ने मुनाफाखोरी करने के लिए सामान की जमाखोरी शुरू कर दी है। मालगाडिय़ां बंद होने से पंजाब के प्राइवेट और सरकारी कोयला आधारित बिजलीघरों के पास कुछ ही दिनों का कोयला रह जाने के कारण आशंका है कि कहीं राज्य में बिजली का संकट ही पैदा न हो जाए। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने मालगाडिय़ां जल्द न चलने पर पूरे राज्य में बिजली की सप्लाई ठप्प होने का अंदेशा जताया है जबकि जरूरी वस्तुओं की सप्लाई पहले ही काफी प्रभावित हो चुकी है। 

कुल मिलाकर इस आंदोलन से किसानों के साथ-साथ आम लोगों का जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। लिहाजा सरकार को तुरंत आवश्यक पग उठाते हुए किसानों का रोष समाप्त करना चाहिए, ताकि किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी पैदा हो रही समस्याओं से राहत मिल सके और सरकार के राजस्व की भी क्षति न हो। यदि आज भी रेल रोको आंदोलन समाप्त हो जाए तब भी उद्योग जगत को अपनी गतिविधियां सामान्य करने में कम से कम 10 दिन लग जाएंगे। अत: जितनी जल्दी इस समस्या का हल निकाला जा सके, देश के लिए उतना ही अच्छा होगा।-विजय कुमार 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News