किसान भाइयों के लिए खाद के बगैर कम पानी, कम बीज और कम कीटनाशकों से भरपूर फसल पाएं

Friday, Sep 23, 2022 - 05:17 AM (IST)

किसानों द्वारा रासायनिक खादों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार जल्दी ही ‘प्राइम मिनिस्टर प्रमोशन ऑफ अल्टरनेट न्यूट्रिएंट्स एंड एग्रीकल्चर मैनेजमैंट’ (प्रनाम) योजना ला रही है। इसका मूल उद्देश्य किसानों को दी जाने वाली ‘रासायनिक खाद सबसिडी’ का सरकार पर बोझ कम करना है जो इस वर्ष बढ़ कर 2.25 लाख करोड़ रुपए हो जाने की संभावना है। यह राशि गत वर्ष से 39 प्रतिशत अधिक है। 

अब जबकि सरकार रासायनिक खादों पर किसानों की निर्भरता व इन पर सबसिडी में कमी लाने के लिए उक्त योजना शुरू करने पर विचार कर रही है, मैं 2 उच्च शिक्षा प्राप्त प्रगतिशील किसानों स. अवतार सिंह तथा रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक डा. चमन लाल वशिष्ठ का उल्लेख करना चाहूंगा। इन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से कम पानी, कम बीज और कम खाद के इस्तेमाल पर आधारित पांच तत्वों अग्नि, हवा, पानी, पृथ्वी व आकाश को बचाने वाली उन्नत व लाभदायक खेती की नई राह निकाली है। इस तकनीक से उगाई फसलें दिखाने के लिए पिछले लगभग 7-8 वर्षों के दौरान वे मुझे 17-18 बार पंजाब और हरियाणा में इस तकनीक को अपना कर खेती करने वाले प्रगतिशील किसानों के फार्मों पर लेकर गए। स. अवतार सिंह तथा डा. वशिष्ठ के अनुसार : 

‘‘ऑर्गेनिक ढंग से विकसित इस तकनीक से एक वर्ष में एक एकड़ में एक साथ पांच पारम्परिक व सब्जी की फसलों की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। इसे ‘कंसैप्ट आफ क्रॉप बायोडाइवॢसटी इन एग्रीकल्चर’ कहते हैं।’’ ‘‘इस तकनीक से खेत में एक साथ गन्ने के साथ टमाटर व मटर, गन्ने के साथ बंदगोभी और मटर, गन्ने के साथ बैंगन और मटर व कपास के साथ गन्ना और खीरा तथा उड़द बोए जा रहे हैं। इस प्रकार फसलें उगाने पर न सिर्फ लागत कम आती है बल्कि पानी, बिजली, खादों व बीजों की भी बचत होती है।’’ 

अवतार सिंह व डा. वशिष्ठ ने बताया कि प्राचीनकाल में पर्यावरण मित्र उपायों के अनुरूप खेती की जाती थी। इससे जैविक और अजैविक पदार्थों में आदान-प्रदान का चक्र निरंतर चलता रहने से भूमि, जल, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा पैदा नहीं होता था पर आज कृषि में विभिन्न रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से वातावरण प्रदूषित होकर किसानों व दूसरे लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। पृथ्वी में पौधों के पालन-पोषण के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व तथा जैविक सामग्री मौजूद होती है। इन्हें सशक्त बनाने का काम सूक्ष्म जीव करते हैं तथा अच्छी फसल के लिए इन सूक्ष्म जीवों को बचाने की अत्यंत आवश्यकता है। 

पानी का मुख्य स्रोत बादल हैं। खेती के लिए पानी अनिवार्य है परंतु खेतों में अधिक पानी विष के समान है जबकि नमी अमृत है तथा फसल को पानी की नहीं सिर्फ नमी की जरूरत होती है, अत: खेती में सिंचाई के समय फालतू पानी से बचने की आवश्यकता है। पौधों को सभी पौष्टिक तत्व अपनी जड़ों से प्राप्त होते हैं जो पानी में घुल कर जड़ों के रास्ते पौधों में प्रवेश करते हैं तथा अपनी जैविक क्रिया जारी रखने के लिए पानी के साथ-साथ पौधे की जड़ों को हवा भी प्रदान करते हैं। 

फसलों को ज्यादा पानी देेने से-1. पौधों की जड़ों को वांछित हवा नहीं मिलती, 2. सूक्ष्म जीवों के लिए बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है और 3. सूक्ष्म जीवोंद्वारा तैयार किया हुआ भोजन पौधों की जड़ों से बहुत दूर चला जाने से पौधे कमजोर रह जाते हैं। इससे बचने के लिए ध्यान रखें कि पानी कभी भी पौधे के तने को स्पर्श न करे। इसके लिए खेती ‘बैड’ बना कर करें और पानी सिर्फ नीचे वाले हिस्से में खालों के माध्यम से केशिका क्रिया द्वारा ही दें। इससे सूक्ष्म जीवों का बैडों की ओर बढऩा यकीनी हो जाता है। सूक्ष्म जीवों द्वारा निर्मित सारा भोजन पौधों को ही मिलने से भूमि उपजाऊ बनती है और किसी प्रकार की रासायनिक खादों की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। 

आज के दौर में जब बढ़े हुए खर्चों और सिर पर चढ़े कर्जे के कारण किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं, इनके बताए हुए पांच तत्वों पर आधारित कृषि अपनाने से निश्चय ही किसानों को अपने खर्च घटाने और आय बढ़ाने में सहायता मिल सकती है। इन्होंने अपनी उपलब्धियों के आधार पर एक ‘एफीडेविट’ तैयार किया है जिसमें दावा किया गया है कि इस विधि को अपनाने से किसानों की आॢथकता मजबूत होगी, पहले वर्ष से ही रासायनिक खादों के इस्तेमाल में 50 प्रतिशत कमी आ जाएगी, स्वरोजगार के मौके पैदा होंगे, लोगों को पौष्टिक भोजन प्राप्त होगा, कीटनाशकों का उपयोग आधा रह जाएगा, भूमि का जलस्तर ऊपर उठेगा और बीजों की बचत होगी। 

अत: केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों की सरकारों को इस विषय में स. अवतार सिंह तथा डा. चमन लाल वशिष्ठजैसे कृषि विशेषज्ञों की सहायता से आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने तथा रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम करने का अभियान चलाना चाहिए। इससे किसानों को भी लाभ होगा और देश को भी।—विजय कुमार 

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