‘कोरोना’ महासंकट राधा स्वामी सत्संग ब्यास द्वारा पेश निर्णयों की अनुकरणीय मिसाल

punjabkesari.in Friday, Sep 04, 2020 - 01:41 AM (IST)

1891 में स्थापित ब्यास स्थित ‘राधा स्वामी सत्संग’ का उद्देश्य लोगों को धार्मिक संदेश देना और समाज हितकारी कार्य करना है। यह संस्था इंगलैंड, अमरीका, स्पेन आदि सहित 90 से अधिक देशों में फैली हुई है। डेरे के पास 4000 एकड़ से अधिक भूमि है जिसमें लगभग 48 एकड़ भू-भाग में लंगर स्थल फैला हुआ है। समय-समय पर आयोजित होने वाले भंडारे के दिनों में यहां तीन से चार लाख तक संगत पहुंचती है। राधा स्वामी सत्संग ब्यास को यदि ‘श्रद्धा का महासागर’ और नि:स्वार्थ सेवा का प्रतीक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि यहां हर ओर नि:स्वार्थ सेवा और श्रद्धा का सागर उमड़ता दिखाई देता है। 

डेरा की शिक्षाओं में विश्वास रखने वाले अनेक जाने-माने लोग भी अपने जीवन की संध्या व्यतीत करते हुए श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं। लंगर अनवरत जारी रहता है और यह डेरा नि:स्वार्थ सेवा का प्रतीक बन चुका है। डेरे में संगत के रहने के लिए सराय, गैस्ट हाऊस और शैड बने हुए हैं जहां एक साथ लोगों के रहने का इंतजाम है। लोगों के मुफ्त इलाज के लिए 3 अस्पताल भी बनवाए गए हैं तथा डेरे के 35 किलोमीटर क्षेत्र में रहने वाले लोगों के इलाज की मुफ्त सुविधा दी गई है। इन अस्पतालों में नवम्बर महीने में आंखों के आप्रेशन के लिए कैम्प भी लगाए जाते थे। बाद में यह व्यवस्था डेरे के अस्पताल में कर दी गई। ब्यास स्थित मुख्य डेरे के अलावा इस संस्था के सत्संग गृह देश के अनेक राज्यों के छोटे-बड़े शहरों और कस्बों तक में फैले हुए हैं और वहां भी लंगर, सत्संग-प्रवचन आदि के कार्यक्रम साल भर जारी रहते हैं।

कोरोना प्रकोप के पहले तक सब ठीक चल रहा था परंतु देश में 20 मार्च को लॉकडाऊन घोषित किए जाने के बाद डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंद्र सिंह जी ने अपने सभी केंद्रों में सत्संग और प्रवचनों के कार्यक्रम स्थगित करके अनेक सेवा केंद्रों को पलायन कर रहे मजदूरों को ठहराने और कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिए आईसोलेशन केंद्रों में बदल देने के अलावा पीड़ितों को पौष्टिïक भोजन के पैकेट भिजवाने का आदेश दे दिया। 

यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि बाबा गुरिंद्र सिंह जी ने कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए न सिर्फ आठ राज्य सरकारों को 8 करोड़ रुपया भिजवाया बल्कि प्रवासी मजदूरों और कोरोना संक्रमितों के लिए पकाए जाने वाले भोजन की विभिन्न राज्यों के सेवा केंद्रों में जाकर स्वयं निगरानी की और वहां रहने वाले लोगों तथा सेवादारों का हौसला बढ़ाया और बड़ी संख्या में पलायन करने के लिए विवश प्रवासी श्रमिकों को पलायन करने से रोका। पहले ब्यास डेरे से 20 मार्च को 30 जून तक साप्ताहिक सत्संग स्थगित करने की घोषणा की गई थी। फिर इसे 31 अगस्त तक बढ़ाया गया और अब कोरोना प्रकोप जारी रहने के चलते सुरक्षा उपाय के रूप में राधा स्वामी सत्संग डेरा ब्यास के विभिन्न शहरों में स्थित सत्संग घरों में 31 दिसम्बर तक सत्संग का आयोजन नहीं करने की सूचना जारी कर दी गई है। 

जहां कुछ धार्मिक संस्थाओं ने भीड़ जुटा कर कोरोना संकट बढ़ाने में भूमिका निभाई वहीं राधा स्वामी डेरा ब्यास के प्रबंधकों ने अपनी तमाम सामूहिक धार्मिक गतिविधियां स्थगित कर अपने डेरों को कोरोना पीड़ितों के एकांतवास के लिए समॢपत करके एक उदाहरण पेश किया है। इस लिहाज से राधा स्वामी सत्संग ब्यास के बाबा गुरिंद्र सिंह जी का निर्णय सराहनीय और अनुकरणीय है। अन्य सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं को भी इसका अनुसरण करना चाहिए क्योंकि आज के माहौल में सत्संग में भीड़ जुटाने से उतना लाभ नहीं होगा जितनी सुरक्षा के उपायों का पालन न हो सकने के कारण कोरोना संक्रमण से हानि हो सकती है।—विजय कुमार 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News