विश्व-व्यापी आपदा की घड़ी में भी ‘छल-कपट’ से बाज नहीं आ रहा चीन

punjabkesari.in Friday, Apr 10, 2020 - 02:10 AM (IST)

शुरू से ही भारत सहित विश्व के अधिकांश देशों के कड़े व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी रहे चीन ने घटिया सस्ती वस्तुओं का निर्यात करके विश्व के अनेक देशों के लघु उद्योगों को तबाह कर दिया है। यहां तक कि चीनी शासकों ने अपने ‘परम मित्रों’ पाकिस्तान और नेपाल को भी नहीं बख्शा। हालांकि चीन में बड़े पैमाने पर मैडीकल सामग्री का निर्माण होता है फिर भी इसके शासकों ने इस वर्ष जनवरी में अपने वुहान शहर से महामारी बन कर विश्व में फैलने वाले ‘कोरोना’ संक्रमण से पैदा होने वाला संकट भांपते ही एक चाल चल डाली। 

उन्होंने अपनी कम्पनियों के जरिए दुनिया भर के बाजारों से मास्क, PPE यानी Personal protective equipment (निजी सुरक्षा परिधान या कवच), कीटाणुनाशक दवाएं, आक्सीजन मशीन, वैंटीलेटर, गॉगल्स, सर्जिकल दस्ताने आदि पैसा देकर या दान के बहाने खरीद कर इनकी विश्वव्यापी कमी पैदा कर दी और अपने देश से दूसरे देशों को इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे अब इनकी मांग बढऩे पर चीन को दूसरे देशों को लूटने और ब्लैकमेल करने का मौका मिल गया। हालांकि चीन निर्मित चिकित्सा उपकरणों के खरीदार देश स्पेन, क्रोएशिया, नीदरलैंड, तुर्की और फिलीपींस आदि इनकी गुणवत्ता पर प्रश्न उठा रहे हैं परंतु सहायता के नाम पर चीन सबको लूट रहा है और 50 से अधिक देशों को 4 अरब मास्क और लगभग इतने ही PPE का निर्यात करके अरबों डालर कमा चुका है। 

चीन के सबसे करीबी दोस्त पाकिस्तान के मीडिया ने चीन पर एन-95 मास्क के नाम पर अंडरगार्मैंट्स से बने घटिया क्वालिटी के मास्क देने का आरोप लगाया है जिन्हें डाक्टरों और पैरामैडीकल स्टाफ ने मजाक करार दिया है। इसी प्रकार चीन ने अपने एक अन्य मित्र नेपाल को 6 लाख डालर मूल्य के 75,000 रैपिड टैस्ट किट भेजे जो किसी काम के न होने के कारण नेपाल सरकार ने इनके प्रयोग पर रोक लगा दी है। नेपाल सरकार द्वारा विशेष चार्टर्ड विमान भेज कर मंगवाई इन किटों में से एक भी काम की नहीं निकली।

नीदरलैंड सरकार ने चीन को 13 लाख मास्क भेजने का आर्डर दिया था जिनमें से 6 लाख मास्क कुछ दिन पूर्व वहां पहुंच गए लेकिन ये सभी बेकार और घटिया पाए जाने पर नीदरलैंड सरकार ने इन्हें लौटाने और बाकी मास्कों का आर्डर रद्द करने का फैसला किया है। ये मास्क पूरी तरह चेहरा नहीं ढंकते थे और इसमें लगा हुआ ‘फिल्टर मैम्ब्रेन’ भी सही ढंग से काम न करने के कारण अस्पतालों ने इनका इस्तेमाल करने से इंकार कर दिया। ‘कोरोना’ का महाप्रकोप झेल रहे स्पेन ने भी ‘कोरोना’ वायरस की तेजी से जांच के लिए चीन से जांच किट खरीदीं जिनमें से साढ़े 6 लाख ‘कोरोना’ वायरस टैस्ट किट दोषपूर्ण पाई गईं। इनकी स्टीकता 30 प्रतिशत से भी कम थी और ये ‘ कोरोना’ पाजीटिव के रोगियों को पकड़ ही नहीं पा रही थीे। 

फ्रांस ने भी चीनी निर्माताओं को एक अरब मास्क का आर्डर दिया था परंतु चीन ने इसके लिए शर्त लगा दी कि चीन की ‘हुआवेई 5-जी तकनीक’ खरीदने पर ही उसे मास्क दिए जाएंगे। हद तो यह है कि चीन में जब ‘कोरोना’ का संक्रमण शुरू हुआ तो इटली ने इसकी सहायता के लिए इसे सुरक्षा परिधान अथवा कवच (पी.पी.ई.) दान स्वरूप दिए थे और अब जबकि इटली को अपने यहां ‘कोरोना’ के महाप्रकोप के चलते इनकी जरूरत पड़ गई है तो चीन ने उसे ये परिधान दान स्वरूप देने की बजाय इनकी कीमत वसूल की। 

चीन की इस ठगी का नवीनतम शिकार कनाडा बना है। कनाडा को इसने 60,000 से अधिक नकली मास्क भेज दिए जो मुंह पर लगाते ही फट जाते थे। कनाडा अब ये नकली मास्क चीन को लौटा रहा है और जांच कर रहा है कि एक सप्ताह पहले ही टोरंटो के अस्पतालों में भेजे इन मास्क की वजह से उसका हैल्थकेयर स्टाफ ‘कोरोना’ से संक्रमित तो नहीं हो रहा! यह हालत तब है जब चीन स्वयं को विकासशील और विकसित देशों का हमदर्द होने का दावा कर रहा है। इस घटनाक्रम से एक बार फिर चीनी शासकों का असली चेहरा बेनकाब हो गया है जो इस महासंकट के दौर में भी विश्व भाईचारे की सहायता के नाम पर उसके साथ छल कर रहे हैं। इससे कैसे निपटना है इस पर विश्व समुदाय को सोचने की जरूरत है।—विजय कुमार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News