‘गुजरात में पूरी कैबिनेट बदली’ निशाना नगर निगम और विधानसभा चुनाव!
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 03:24 AM (IST)

गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 156 सीटों पर विजयी रही थी जबकि कांग्रेस को 17, आम आदमी पार्टी को 5, समाजवादी पार्टी को 1 व निर्दलीय उम्मीदवारों को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
2022 के विधानसभा चुनाव से लगभग 1 वर्ष पहले सितम्बर, 2021 में भाजपा नेतृत्व ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ‘स्वर्गीय विजय रुपाणी’ एवं उनकी पूरी कैबिनेट से इस्तीफा लेकर ‘भूपेंद्र पटेल’ के नेतृत्व में नई सरकार का गठन किया था। भूपेंद्र पटेल कैबिनेट में ‘विजय रुपाणी’ की सरकार में शामिल अधिकतर पुराने चेहरों को बाहर कर देने के परिणामस्वरूप 2022 के चुनाव में भाजपा के विरुद्ध कोई सत्ता विरोधी लहर दिखाई नहीं दी और लम्बे समय से सत्ता में रहने के बावजूद 2022 में भाजपा ने शानदार जीत हासिल कर ली थी। अब फिर भाजपा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और विधानसभा चुनाव को देखते हुए पूरी तरह से फ्रैश चेहरों के साथ मैदान में उतरना चाहती है।
इसी उद्देश्य के लिए 12 अक्तूबर को नई दिल्ली में राज्य के नेताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक में प्रदेश मंत्रिपरिषद में फ्रैश चेहरे शामिल करने का राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को निर्र्देश दिया गया था। इसी के अनुसार मुख्यमंत्री ‘भूपेंद्र पटेल’ ने भाजपा आलाकमान के निर्देश पर अपनी सरकार के गठन के मात्र 3 वर्ष के भीतर 16 अक्तूबर, 2025 को अपनी पूरी कैबिनेट से इस्तीफा लेकर नई कैबिनेट बनाने का फैसला किया। इसी के अनुरूप 17 अक्तूबर को हुए शपथ ग्रहण में ‘भूपेंद्र पटेल’ ने एक बड़े फेरबदल में अपनी मंत्रिपरिषद में 19 नए चेहरों को शामिल किया तथा पिछली टीम से 6 मंत्रियों को कायम रखा है, जिनके इस्तीफे उन्होंने स्वीकार नहीं किए थे। इसके साथ ही अब ‘भूपेंद्र पटेल’ सहित मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या 26 हो गई है। इस नई कैबिनेट में क्रिकेटर ‘रवींद्र जडेजा’ की पत्नी ‘रिवाबा जडेजा’ को भी शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के कार्यकाल में पहली बार ‘हर्ष संघवी’ को, जो अब तक गृह मंत्री थे, उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। उक्त बदलाव के साथ-साथ भाजपा ने ‘सी.आर. पाटिल’ की जगह ‘जगदीश विश्वकर्मा’ को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बना दिया है जो ‘भूपेंद्र पटेल’ सरकार में सहकारिता मंत्री थे। जानकारों के अनुसार अगले कुछ ही महीनों के दौरान राज्य के प्रमुख शहरों जूनागढ़ और गांधीनगर के अलावा अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट सहित नए नगर निगमों के होने वाले चुनावों में पार्टी की विजय पक्की करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। इस बदलाव का एक अन्य कारण मंत्रिपरिषद में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करना भी है। इसके साथ ही भाजपा नेतृत्व की योजना एक पूरी तरह नई टीम के साथ 2027 के चुनाव में उतरने की भी रही है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में भाजपा शुरू से ही ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में मजबूत रही है। ऐसे में भाजपा इन चुनावों में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। यही कारण है कि इन चुनावों को ‘मिनी विधानसभा चुनाव’ माना जा रहा है, जिनमें अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए भाजपा को विरोधी दलों की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए पार्टी के आलाकमान ने एक बार फिर 2021 वाला प्रयोग दोहराया है। भाजपा इससे पहले कर्नाटक, गोवा, हरियाणा, उत्तराखंड तथा त्रिपुरा में भी यह प्रयोग कर चुकी है और कर्नाटक को छोड़ कर अन्य राज्यों में भाजपा की यह रणनीति सफल रही है, जहां वह 2023 का चुनाव नहीं जीत पाई थी। गुजरात में दोबारा यह प्रयोग कितना सफल होगा इसका जवाब 2027 के विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले जल्द ही होने वाले नगर निगम चुनावों में ही मिल जाएगा।-विजय कुमार