त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव स्थिति पहले जैसी ही

Friday, Mar 03, 2023 - 04:34 AM (IST)

पूर्वोत्तर के 3 चुनावी राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में गत 16 और 27 फरवरी को वोट पड़े थे जिनमें भाजपा, कांग्रेस और वामदलों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई थी। 2018 के चुनावों में त्रिपुरा में भाजपा ने 60 सीटों में से 36 सीटें जीत कर 35 वर्षों के वाम दलों के शासन को समाप्त कर अपनी सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की थी। हालांकि इस बार भी भाजपा तथा आई.पी.एफ.टी. गठबंधन ने अपनी बढ़त कायम रखी है, परंतु उनकी सीटें घट कर 33 रह गई हैं। भाजपा ने 32 तथा आई.पी.एफ.टी ने 1 सीट जीती है।

मेघालय की 59 सीटों में से पिछली बार भाजपा ने 2 सीटें ही जीती थीं और वह 21 सीटों पर विजयी अपनी सहयोगी ‘नैशनल पीपुल्स पार्टी’ (एन.पी.पी.) तथा अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार में शामिल थी। इस बार भी भाजपा 2 सीटें ही जीत पाई है और एन.पी.पी. 26 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। वहां अभी तक त्रिशंकु विधानसभा के संकेत मिल रहे हैं।
नागालैंड में पिछली बार एन.डी.पी.पी. ने 60 में से 18 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने 12 सीटें जीत कर इसके साथ मिल कर सरकार बनाई थी।

इस बार राज्य में एन.डी.पी.पी. 25 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है जबकि भाजपा ने वहां पहले की भांति ही 12 सीटें ही जीती हैं। पूर्वोत्तर के उक्त तीनों ही ईसाई बहुल राज्यों में भाजपा अपना पहले वाला प्रदर्शन कायम रखने में सफल रही है। इसके पीछे अतीत के विकास कार्यों, लोगों को अधिक राशन की उपलब्धता, स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत शौचालय आदि के निर्माण के लिए सामग्री देने आदि का हाथ रहा।

कुल मिला कर जहां ये चुनाव कांग्रेस तथा वामदलों के लिए निराशाजनक सिद्ध हुए वहीं इन चुनावों में ममता बनर्जी की भी परीक्षा हुई जिन्होंने पहली बार पश्चिम बंगाल से बाहर मेघालय में चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस 5 सीटें जीतने में सफल रही। चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि पूर्वोत्तर के उक्त राज्यों की सत्ता पर काबिज किसी हद तक भाजपा अपनी पैठ कायम रखने में सफल हुई है। इन चुनावों के परिणामों ने इसी वर्ष होने वाले 6 अन्य राज्यों के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में हवा के रुख का संकेत भी दे दिया है। -विजय कुमार

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