दलित सांसदों में भाजपा नेतृत्व के प्रति बढ़ रहा आक्रोश

Wednesday, Apr 18, 2018 - 01:46 AM (IST)

देश में दलितों पर अत्याचार के मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। विशेष रूप से भाजपा के अपने सांसदों और सहयोगियों द्वारा दलित मुद्दे पर पार्टी की बढ़ती जा रही है। 

पिछले मात्र लगभग दो सप्ताह के दौरान ही भाजपा के कम से कम 4 दलित सांसदों और सहयोगी दलों के 3 सदस्यों ने दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा नेतृत्व के रवैये की खुलेआम आलोचना की है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक की सिफारिश से बाबा साहेब डा. भीम राव अम्बेदकर के नाम के साथ ‘राम जी’ जोडऩे पर दिल्ली से भाजपा सांसद एवं दलित नेता उदित राज ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘बाबा साहेब के नाम में छेड़छाड़ करके लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम किया जा रहा है और बिना वजह विवाद खड़ा किया जा रहा है।’’ इसी प्रकार बहराइच से भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले ने लखनऊ में आयोजित आरक्षण बचाओ महारैली में भाजपा को दलित विरोधी बताया और कहा : 

‘‘दलितों के सम्मान व उनके अधिकारों की रक्षा के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकती हूं। मुझे इसकी कतई चिंता नहीं है कि मैं लोकसभा की सदस्य रहूंगी या नहीं। दलितों के अधिकार के लिए मेरी लड़ाई जारी रहेगी। केंद्र और राज्य सरकार दलित अधिकारों का हनन कर रही हैं। दलितों के लिए आरक्षित सरकारी पदों को भरा नहीं जा रहा है।’’ राबटर््सगंज से दलित भाजपा सांसद छोटे लाल खरवार ने भी हाल ही में अपने साथ हो रहे दुव्र्यवहार के लिए अपनी पार्टी के सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ‘‘जिले में डी.एम. और एस.पी. मेरी नहीं सुनते। मुझसे भेदभाव करते हैं तथा लखनऊ में मुख्यमंत्री नहीं सुन रहे हैं। मैं क्या करूं?’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे और संगठन मंत्री सुनील बंसल की शिकायत करते हुए कहा है कि योगी आदित्यनाथ उन्हें डांट कर भगा देते हैं। 

छोटे लाल का कहना है, ‘‘हां मैं पार्टी से नाराज हूं क्योंकि मेरे खिलाफ साजिश की गई है। विरोधियों ने मेरे कान पर पिस्टल लगाया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मैं अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष हूं। मेरे साथ ऐसा सलूक हो सकता है तो किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है।’’ इटावा के भाजपा सांसद अशोक कुमार दोहिरे ने भी आरोप लगाया है कि ‘‘भारत बंद के बाद उत्तर प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में प्रदेश सरकार व स्थानीय पुलिस दलितों को झूठे मुकद्दमों में फंसा रही है, निर्दोष लोगों को घरों से निकाल कर मार रही है और दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं।’’ ‘‘पुलिस के इस रवैये से भाजपा का समर्थन करते आ रहे अनुसूचित जाति और जनजाति के समुदाय में भाजपा के विरुद्ध रोष और असंतोष तथा असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। दलितों की शिकायतें नहीं सुनी जा रहीं।’’ 

नगीना के सांसद यशवंत सिंह ने भी प्रधानमंत्री से दलित उत्पीडऩ पर ध्यान देने का अनुरोध करते हुए कहा है कि, ‘‘4 साल बीत जाने के बाद भी देश में दलितों के लिए कोई बिल पेश नहीं हुआ। मौजूदा हालात में भाजपा के दलित सांसद तक अपने समाज की रोज-रोज की प्रताडऩा का शिकार हैं।’’ जहां भाजपा के दलित सांसद पार्टी से अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं वहीं भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के नेता राम विलास पासवान ने भी कहा है कि ‘‘भाजपा के संबंध में यह धारणा है कि यह दलितों के प्रति असंवेदनशील है। अपने कार्यों और प्रचार द्वारा इस धारणा को दूर करने के लिए भाजपा के पास अब केवल एक साल बचा है।’’ ‘‘भाजपा की मुस्लिम विरोधी छवि से भी इसे लोकसभा चुनाव में नुक्सान हो सकता है। इसके लिए भाजपा को अपनी छवि सुधारनी होगी क्योंकि इसकी छवि मुख्य तौर पर अगड़ी जातियों तक ही सीमित है।’’ बिहार के मुख्यमंत्री तथा जद (यू) के नेता नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि ‘‘भाजपा को अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी धारणा बदलनी होगी।’’ 

भाजपा के एक अन्य गठबंधन सहयोगी सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गठबंधन धर्म न अपनाने का आरोप लगाया है। इस समय भाजपा नेतृत्व जहां विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आया हुआ है वहीं दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रश्न पर भाजपा नेतृत्व पर इसके अपने ही उंगली उठा रहे हैं। अत: इस संबंध में व्याप्त भ्रांतियां दूर करने के लिए भाजपा नेतृत्व जितनी जल्दी पग उठाएगा उतना ही भाजपा और उनके लिए अच्छा होगा।—विजय कुमार  

Punjab Kesari

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