जेलों में नशे की तस्करी - पुलिस द्वारा ‘रक्षक ही बन रहे भक्षक’

Tuesday, Oct 10, 2023 - 05:41 AM (IST)

अव्यवस्था की शिकार भारतीय जेलों में नशों, मोबाइल तथा अन्य प्रतिबंधित वस्तुओंं आदि की बरामदगी लगातार जारी है, जिनमें कई मामलों में जेलों का स्टाफ भी शामिल पाया जा रहा है। पिछले चार दिनों के उदाहरण निम्र हैं :

* 8 अक्तूबर को मुम्बई की हाई सिक्योरिटी आर्थर रोड जेल में तैनात एक कांस्टेबल ‘विवेक नायक’ को कैदियों को नशा पहुंचाते हुए पकड़ा गया। वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में उसकी तलाशी लेने पर उसके अंडरवियर में एक प्लास्टिक की थैली में छिपा कर रखे हुए 8 कैप्सूल बरामद हुए, जिनमें 70 ग्राम हशीश थी। 
* 7 अक्तूबर को चंडीगढ़ पुलिस ने जिला अदालत में पेशी के दौरान एक विचाराधीन कैदी को 14 ग्राम चरस उपलब्ध करवाने के आरोप में सीनियर कांस्टेबल ‘प्रवेश’ को गिरफ्तार किया। उस पर 1000 रुपए रिश्वत की रकम अपने  बैंक खाते में ट्रांसफर कराने का भी आरोप है। 

* 5 अक्तूबर को सहरसा (बिहार) जेल में ‘राजेश कुमार’ नामक गार्ड को 2 मोबाइलों, एक पैकेट सिगरेट और 200 ग्राम नशीली गोलियों आदि प्रतिबंधित सामान के साथ पकड़ा गया, परंतु माफीनामा लिखने के बाद वह फरार हो गया, जिसके विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई।

* 5 अक्तूबर को ही लुधियाना की ब्रोस्टल जेल में कैदियों को वर्जित वस्तुएं सप्लाई कर उनसे मोटी रकम वसूल करने वाले वार्डन अमित कुमार को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि वह जेल में बंद कैदियों से यू.पी.आई. के जरिए अपने खाते में पैसे डलवाकर उन्हें ये चीजें उपलब्ध करवाता था। उक्त मामलों से स्पष्ट है कि जिन लोगों पर जेलों में अवैध वस्तुओं की तस्करी रोकने और कानून व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी है, उन्हीं में से अनेक लोग जेलों में बंद कैदियों को नशीले पदार्थों की सप्लाई करके जेलों में अनुशासनहीनता को बढ़ावा दे रहे हैं। अत: ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि रक्षकों को ही भक्षक बनने से रोका जा सके और जेलों में अनुशासन बहाल हो।—विजय कुमार 

Advertising