‘सड़क दुर्घटनाओं में वाहन चालकों के साथ-साथ’ ‘निर्माण कम्पनियोंं की भी जिम्मेदारी तय हो’

punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2024 - 04:27 AM (IST)

विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और इनमें से भी प्रत्येक 5 में से 1 मौत भारत में होती है। इसी कारण भारत को ‘सड़क दुर्घटनाओं की राजधानी’ भी कहा जाने लगा है। यह समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, यह पिछले 3 दिनों की निम्र घटनाओं से स्पष्ट है :

  • 27 अगस्त को हरियाणा के ‘राई’ में तीन दोस्तों को गलत साइड से आ रही तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी जिससे तीनों की मौत हो गई। 
  • 27 अगस्त को ही बठिंडा-डबवाली हाईवे पर ‘चक्क रुलदु सिंह वाला’ के निकट एक तेज रफ्तार बस के रोड डिवाइडर से टकरा कर उलट जाने के कारण बस में सवार एक महिला की मौत तथा 4 लोग घायल हो गए। 
  • 27 अगस्त को ही पठानकोट से मणिमहेश यात्रा के लिए निकली श्रद्धालुओं की गाड़ी ‘भरमौर-भरमाणि माता’ मार्ग पर 100 फुट गहरी खाई में गिर जाने से गाड़ी में सवार 3 लोगों की मौत तथा 10 लोग घायल हो गए। 
  • 27 अगस्त को ही आंध्र प्रदेश के ‘गुवालाचेरुवु’ में नैशनल हाईवे पर एक ट्रक और कार के बीच टक्कर में 5 लोगों की मौत हो गई। 
  • 28 अगस्त को बेंगलुरू में एक टैम्पो ट्रैवलर तथा कार के बीच सीधी टक्कर के परिणामस्वरूप एक दम्पति और उनके बेटे की मृत्यु हो गई।
  • 28 अगस्त को ही अरुणाचल प्रदेश के ‘अपर सुबानसिरी’ जिले में सेना का एक ट्रक गहरी खाई में गिर जाने से 3 सैनिकों की जान चली गई। 
  • 28 अगस्त को ही राजस्थान में ‘सीकर’ के ‘रींगस’ में एक सीमैंट से लदे ट्रेलर ने अपने आगे चल रही एक कार को कुचल दिया तथा उसके नीचे दब जाने से कार में सवार चारों लोगों की मौत हो गई।
  • 29 अगस्त को दक्षिण कश्मीर के शोपियां में एक वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से एक व्यक्ति की मृत्यु तथा 8 लोग घायल हो गए।
  • 29 अगस्त को ही गोंडा (उत्तर प्रदेश) के कर्नलगंज थाना क्षेत्र में एक ट्रैक्टर-ट्राली की चपेट में आकर मोटरसाइकिल सवार भाई-बहन की मौत हो गई।

इस तरह की घटनाओं को देखते हुए श्री नितिन गडकरी, जिन्होंने पहले महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण मंत्री और अब केंद्र में ‘सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री’ के रूप में देश में सड़कों, राजमार्गों और फ्लाईओवरों का जाल बिछाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ने कहा है कि ‘‘भारत में युद्ध, आतंकवाद और नक्सलवाद से भी अधिक लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश में ब्लैकस्पॉट्स (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) की संख्या बढ़ रही है। अत: दुर्घटनाओं की संख्या कम करने के लिए हमें लेन अनुशासन का पालन करने व सभी राजमार्गों के सुरक्षा आडिट की जरूरत है।’’ नितिन गडकरी  के अनुसार, ‘‘देश में प्रतिवर्ष 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख लोगों की मौत होती है जबकि 3 लाख लोग घायल होते हैं। अधिकांश दुर्घटनाएं सड़क इंजीनियरिंग में खामी के कारण होती हैं।’’

नितिन गडकरी के उक्त बयान के संदर्भ में हम यह कहना चाहेंगे कि  ज्यादातर मामलों में दुर्घटनाओं के कारणों में आगे निकलने की जल्दबाजी में तेज रफ्तार से वाहन चलाना भी एक मुख्य कारण है। आज पहले की तुलना में फ्लाईओवर तथा सड़कें दुगनी-तिगुनी चौड़ी और बेहतर हो गई हैं। इन पर वाहन तेजी से दौड़ते हैं परंतु वाहन चलाने वालों का गति के साथ-साथ वाहनों पर नियंत्रण भी कायम रहना चाहिए।

दोपहिया वाहनों पर तीन-तीन, चार-चार लोगों के बैठने तथा वाहन चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल से भी दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। वाहन चालकों का एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरे हाथ से कान पर मोबाइल लगा होता है। कहीं-कहीं वाहन चालकों की हैडलाइटें और हार्न तक खराब पाए जाते हैं। जब दो कारें आमने-सामने होती हैं तो डिप्पर का इस्तेमाल नहीं होने से बड़े हादसे का खतरा रहता है।  चंद ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी भी न तो ध्यानपूर्वक और न ही पूरी ड्यूटी देते हैं। इससे वाहन चालकों द्वारा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को बढ़ावा मिलता है जिससे दुर्घटना का जोखिम बढ़ता है। 

जैसा कि श्री गडकरी ने सड़क इंजीनियरिंग पर सवाल किया है, इन दुर्घटनाओं में सड़कों में पड़े गड्ढïों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के लिए नगर निगमों और हाईवे अथारिटी को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। सड़क सुरक्षा नियमों को कठोरतापूर्वक लागू करने से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसके साथ ही प्रशासन को चुस्त करने तथा लापरवाही से वाहन चलाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने तथा उन्हें शिक्षाप्रद दंड देने की आवश्यकता है ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाकर परिवारों को तबाह होने से बचाया जा सके। -विजय कुमार 


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