बुलेट ट्रेन के चक्कर में अन्य रेल गाडिय़ों को न भूल जाना

Friday, Sep 15, 2017 - 12:02 AM (IST)

13 सितम्बर को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2 दिन के भारत दौरे पर अहमदाबाद पहुंचे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी की बल्कि श्री आबे और उनकी धर्मपत्नी अक्की आबे को खुली जीप में 8 किलोमीटर लम्बा रोड शो करके साबरमती आश्रम लाए।

शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने विशेष सामरिक, वैश्विक एवं द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण  ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमत हुए।

परंतु शिंजो आबे की भारत यात्रा का मुख्य आकर्षण रहा जापान के सहयोग से बुलेट रेल परियोजना का 14 सितम्बर को अहमदाबाद में शिलान्यास। कुल 1.10 लाख करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना के अंतर्गत 15 अगस्त 2022 तक अहमदाबाद और मुम्बई के बीच बुलेट ट्रेन सेवा शुरू कर देने का लक्ष्य रखा गया है। श्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा :

‘‘एक तरह से बुलेट ट्रेन का प्रोजैक्ट भारत में मुफ्त में बन रहा है। जापान ने इस परियोजना के लिए 88 हजार करोड़ रुपए का ऋण मात्र 0.1 प्रतिशत ब्याज पर भारत को दिया है जिसे 50 वर्षों में चुकाना होगा। लोगों को ऐसे बैंक नहीं मिलते लेकिन हमें जापान जैसा देश मिला है।’’

शिंजो आबे ने इस दिन को दोनों देशों की दोस्ती के लिए ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए इ‘छा व्यक्त की कि अगली बार वह जब भारत आएं तो उन्हें बुलेट ट्रेन में बैठने का मौका मिले। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘जापान द्वारा निर्मित बुलेट ट्रेन जापान में जब से शुरू हुई है तब से एक भी दुर्घटना नहीं हुई।’’

ई-5 शिंकासेन शृंखला की अनेक सुविधाओं से युक्त देश की पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद से मुम्बई की 508 कि.मी. की दूरी 2 से 3 घंटे में तय करेगी। इस समय यह दूरी तय करने में 7 से 8 घंटे लगते हैं।

बिल्कुल नई शैली की शौचालय प्रणाली व अनेक सुविधाओं से युक्त इस ट्रेन में महिलाओं तथा पुरुषों के लिए गर्म पानी के साथ पश्चिमी शैली के अत्याधुनिक अलग-अलग शौचालय होंगे जिसमें मेकअप के लिए तीन-तीन आइने लगे होंगे। ब"ाों के लिए भी चेंजिंग रूम होगा जिसमें शौचालय, डायपर फैंकने की व्यवस्था और कम ऊंचाई वाले सिंक होंगे।

10 कोच वाली इस हाई स्पीड ट्रेन में व्हीलचेयर पर आश्रित यात्रियों के लिए विशेष सुविधायुक्त शौचालय होंगे। भारतीय रेलों के इतिहास में पहली बार इन रेलगाडिय़ों में अलग आरामकक्ष की सुविधा भी होगी।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बुलेट ट्रेन परियोजना का शिलान्यास निश्चय ही भारत के लिए गौरव का क्षण है परंतु अभी इसके आने में समय लगेगा लिहाजा भारत सरकार को वर्तमान में चल रही रेलगाडिय़ों और भारतीय रेलों के बुनियादी ढांचे में तत्काल सुधार करना चाहिए। इस समय तो रेलवे का बुनियादी ढांचा इस कदर जर्जर हो चुका है कि मात्र गत एक महीने में आधा दर्जन के लगभग रेल ‘दुर्घटनाएं’ हो चुकी हैं।

इसका उल्लेख करते हुए हमने अपने 26 अगस्त के संपादकीय ‘खस्ता हाल पटरियों पर रेलगाडिय़ां सुरक्षित दौड़ें तो कैसे’  में लिखा था कि ‘‘प्रति वर्ष कम से कम 4500 किलोमीटर रेलपटरियों की मुरम्मत की जानी चाहिए परंतु मात्र 2700 किलोमीटर की मुरम्मत ही हो रही है...रेल मंत्रालय बुनियादी ढांचा उन्नत करने के लिए धन और विशेष रूप से सुरक्षा विभाग से संबंधित स्टाफ की कमी का भी शिकार है।’’

बुनियादी ढांचे के अभाव में न सिर्फ रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं बल्कि बड़ी संख्या में रेलगाडिय़ां अपने निर्धारित समय से कई-कई घंटे लेट चल रही हैं और यह बात भी ध्यान में रखने वाली है कि अकेली ‘बुलेट ट्रेन परियोजना’ पर 1.10 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे जबकि समूची भारतीय रेलवे में सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत बनाने पर मात्र 40000 करोड़ रुपए ही खर्च आएंगे।

अत: बुलेट ट्रेन के साथ-साथ इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है कि जहां बुलेट ट्रेन समय की जरूरत है वहीं पारंपरिक रेलगाडिय़ां देश की बहुसंख्यक जनता की जरूरत हैं।

निश्चय ही बुलेट ट्रेन से भारतीय रेलवे का गौरव बढ़ेगा परंतु बुलेट ट्रेन के साथ-साथ उन पारंपरिक रेलगाडिय़ों में भी ढांचागत सुधार करके उनमें यात्रा को सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है जिनमें देश की आम जनता यात्रा करती है।     —विजय कुमार  

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