विभाजनकारी शक्तियों को सफल नहीं होने देंगे भाईचारे के ऐसे बंधन

punjabkesari.in Thursday, Oct 22, 2015 - 02:32 AM (IST)

इस समय देश में साम्प्रदायिक घटनाओं के कारण वातावरण अत्यंत तनावपूर्ण बना हुआ है परंतु अनेक लोग अपने सद्प्रयासों से देशवासियों को भाईचारे के बंधन में बांधे रखने का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं।

राजस्थान के जोधपुर के निकट बगोरिया गांव की पहाड़ी पर मां दुर्गा का एक प्राचीन मंदिर धार्मिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश कर रहा है। इस मंदिर के पुजारी हिन्दू धर्म से संबंधित नहीं बल्कि पाकिस्तान से आए हुए सिंधी मुसलमान हैं। मंदिर के निकट ही एक पवित्र जल की बावड़ी और मदरसा भी है जहां मुसलमान बच्चे शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं। 
 
मध्यप्रदेश के गुना में किशन लाल हल्दिया का परिवार 60 वर्ष से मोहर्रम के ताजिए अपने हाथों से बना कर उन्हें जलूस में शामिल करता आ रहा है। किशन लाल के बाद यह सेवा उनका बेटा राम बाबू कर रहा है और इन दिनों पूरी श्रद्धा से ताजिए बनाने में व्यस्त है।
 
आंध्र प्रदेश में जलील खान विजयवाड़ा स्थित श्री ‘दुर्गा मल्लेश्वरा स्वामीवरला देव स्थानम’ में कनक दुर्गा माता की प्रतिमा पर 10 वर्षों से नियमित रूप से रेशम की साड़ी चढ़ाते हैं तथा मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। 
 
आज जब देशभर में विजय दशमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है, सौहार्द और आपसी भाईचारे की मुंह बोलती तस्वीर बनी, कुछ राम लीलाओं का यहां उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा।
 
उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में मुमताज नगर की रामलीला भाईचारक सद्भावना का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करती है। वहां रामलीला का प्रबंध मुस्लिम भाईचारे द्वारा किया जाता है। इस रामलीला के लिए चंदा भी मुसलमान ही इक_ा करते हैं और रामलीला कमेटी के प्रधान भी एक मुसलमान मजीद अली हैं। 
 
मांसाहारी होने के कारण 2 वर्षों से मुसलमानों ने राम, लक्ष्मण व सीता जी की मुख्य भूमिकाएं निभाना तो बंद कर दिया है पर वे इनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं व वानर सेना के सदस्यों आदि की भूमिकाएं निभाते हैं।
 
आगरा की सबसे प्रसिद्ध और पुरानी रामलीलाओं में से एक, रेलवे द्वारा  आयोजित की जा रही रामलीला में मुसलमान भाई विभिन्न भूमिकाएं निभा कर विगत 44 वर्षों से दर्शकों को अभिभूत करते आ रहे हैं। आयोजकों के अनुसार इस रामलीला में प्रतिदिन लगभग 8 हजार दर्शक आते हैं जबकि अंतिम दिन दर्शकों की संख्या 60,000 के आसपास पहुंच जाती है। 
 
इस वर्ष रामलीला में 6 मुसलमानों को भी शामिल किया गया है जिनका चयन उनकी योग्यता के आधार पर परीक्षा लेकर किया गया। इनमें 55 वर्षीय नवाजुद्दीन ने शांतनु और ऋषि अत्री की भूमिकाएं तथा मो. सैफ ने भरत की भूमिका निभाई। उसने यह भूमिका 5 हिन्दू उम्मीदवारों को परास्त करके प्राप्त की। 
 
आगरा की डीजल लोको शैड में काम करने वाले अशरफ ने कलाकारों का मेकअप किया और कपड़े सीने का काम इकराम नामक टेलर मास्टर ने किया। इससे पहले भी यहां आयोजित रामलीलाओं में 2 मुसलमान युवक हनीफ मोहम्मद तथा शाहरुख सीता जी की भूमिका निभा चुके हैं।
 
जहां उत्तर प्रदेश की अनेक रामलीलाओं में मुस्लिम भाईचारे के सदस्यों का सक्रिय सहयोग रहता है वहीं हरियाणा में कुरुक्षेत्र स्थित विष्णु कालोनी में श्री लक्ष्मी ड्रामाटिक क्लब द्वारा 44 वर्षों से मंचित की जा रही रामलीला का संचालन व निर्देशन एक सिख श्री कुलवंत सिंह भट्टी कर रहे हैं। 
 
वह 44 वर्षों से दाढ़ी-मूंछों के साथ रामभक्त हनुमान जी की भूमिका निभा रहे हैं और अब उनका बेटा साहब सिंह भी उनके क्लब में शामिल होकर हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज की भूमिका निभाता है। श्री भट्टी इस दौरान पूरे 40 दिन पृथ्वी पर सोते और सात्विक जीवन बिताते हैं।
 
आज अपने पाठकों को विजय दशमी की बधाई देते हुए हम आशा करते हैं कि जब तक हमारे देश में इस प्रकार की सकारात्मक सोच के लोग मौजूद हैं तब तक विभाजनकारी शक्तियां हमारे भाईचारक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की कुचेष्टाओं में सफल नहीं हो सकेंगी और सदा ही असत्य पर सत्य की विजय होती रहेगी।  
 

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