कश्मीर में देश विरोधी सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी सही कदम

Saturday, Apr 02, 2022 - 03:45 AM (IST)

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने देश विरोधी गतिविधियों में शामिल तत्वों को शह देने वालों तथा भ्रष्टï व नाकारा सरकारी अधिकारियों को निकालने का अभियान गत वर्ष से चला रखा है। इसी सिलसिले में अब तक आतंकवादियों के 34 मददगारों को नौकरी से निकाला जा चुका है। इसी शृंखला में 30 मार्च को जम्मू-कश्मीर उपराज्यपाल प्रशासन ने 5 सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। 

कांस्टेबल तौसीफ अहमद मीर पर हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करने और अपने 2 साथियों की हत्या करवाने का आरोप है। इसका पिता आतंकवादी था जो 1997 में एक एनकाऊंटर में मारा गया था जिसके बाद तौसीफ ने पुलिस में भर्ती होकर अंदरखाने हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करना शुरू कर दिया। 

उसके अलावा कम्प्यूटर आप्रेटर गुलाम पर्रे को प्रीमपुरा में हिंसक प्रदर्शन आयोजित करने और युवाओं को आतंकवादी गिरोहों में शामिल होने के आरोप में, अध्यापक अरशद अहमद को आतंकवादियों की मदद करने, कांस्टेबल शाहिद हुसैन राठर को आतंकवादियों को हथियार पहुंचाने तथा अर्दली शाहिद अली खान को विभिन्न आतंकवादी गिरोहों के लिए काम करने और जाली नोट बांटने में संलिप्त पाए जाने पर नौकरी से निकाला गया है। 

इसी प्रकार 31 मार्च को प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के आदेश पर  भ्रष्टाचार, कदाचार और अक्षमता के आरोप में 5 वरिष्ठ अधिकारियों को समय से पूर्व रिटायर करने के आदेश जारी किए गए। इनमें सीनियर टाऊन प्लानरों हमीद अहमद वानी और फरजाना नक्शबंदी, यारीपुर नगरपालिका के एग्जीक्यूटिव आफिसर इम्तियाज अहमद डार, फ्रीसल नगरपालिका के एग्जीक्यूटिव आफिसर गुलाम मोहम्मद लोन तथा एग्जीक्यूटिव आफिसर मोहम्मद अशरफ शामिल हैं। 

घाटी में आतंकवाद और भ्रष्टाचार समाप्त करके शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में यह पहल एक सही कदम है जिसे देश के आतंकवाद ग्रस्त उत्तर-पूर्व के राज्यों में भी कठोरतापूर्वक लागू करना चाहिए।—विजय कुमार

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