हरियाणा विधानसभा में जैन मुनि के प्रवचन ‘जो बार-बार क्षमा करे वह हिंदुस्तान’

punjabkesari.in Sunday, Aug 28, 2016 - 01:44 AM (IST)

श्री तरुण सागर एक दिगम्बर जैन मुनि हैं जिन्होंने देश में व्याप्त विभिन्न कुरीतियां मिटाने के लिए अनेक अभियान चलाए। इनमें देश से मांस व चमड़े के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए चलाया गया  ‘अहिंसा महाकुंभ’ अभियान भी शामिल है। इनके ‘कड़वे प्रवचन’ विश्व के 100 देशों में टी.वी. पर प्रसारित होते हैं। 

26 अगस्त को हरियाणा सरकार ने पहली बार राज्य विधानसभा में इनका भाषण करवाया तथा इन्हें विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुज्जर तथा राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के आसनों से भी ऊंचा आसन दिया। 
 
सबसे पहले उन्होंने नरेन्द्र मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नारे की चर्चा करते हुए रियो-डी-जनेरियो ओलिम्पिक में देश की लाज बचाने वाली भारत-पुत्रियों साक्षी मलिक और पी.वी. सिंधू की प्रशंसा की।
 
इन्होंने राष्ट निर्माण में महिलाओं को शामिल करने का कड़ा समर्थन किया और कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि ‘‘देश की स्वतंत्रता से लेकर अभी तक बहुत कम नेताओं ने ही देश के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम किया है।’’ 
 
उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या को देश के लिए एक बड़ी समस्या बताया और कहा, ‘‘इससे समाज का संतुलन बिगड़ रहा है जिससे अपराधों एवं बलात्कारों में वृद्धि हो रही है। इस बुराई से निपटने के लिए :
 
‘‘ सरकार फैसला करे कि जिन लोगों की बेटियां नहीं हैं, उन्हें लोकसभा तथा विधानसभाओं के चुनाव लडऩे की अनुमति नहीं होगी।’’
 
‘‘ लोगों को उन परिवारों में अपनी बेटियों की शादी नहीं करनी चाहिए जहां सिर्फ बेटे ही हों और संतों को निर्णय लेना चाहिए कि वे ऐसे घरों से भिक्षा नहीं लेंगे जिनमें बेटियां न हों।’’
 
‘‘इन नियमों के पालन से आशातीत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। आज लड़के-लड़कियों में भेदभाव होता देख कर मुझे ऐसा लगता है कि जैसे हम 21वीं शताब्दी में नहीं बल्कि 14वीं शताब्दी में रह रहे हैं।’’ 
 
‘‘संसद की स्थापना देश की समस्याओं का समाधान करने के लिए की गई थी परन्तु आज संसद ही सबसे बड़ी समस्या बन गई है। 160 सांसदों के विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज हैं।’’
 
‘‘लिहाजा ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जिससे यह सुनिश्चित किया जाए कि अपराधी तत्व संसद और विधानसभाओं की सीढिय़ों पर कदम न रख सकें। आज हर ओर पतन हो रहा है और समाज से खुशी उसी तरह गायब हो गई है, जैसे चुनाव जीतने के बाद राजनीतिज्ञ गायब हो जाते हैं।’’’
 
आतंकवाद को एक बड़ी समस्या बताते हुए वह बोले,‘‘कोई भी धर्म आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। सरकारें जो धन हथियार खरीदने पर खर्च करती हैं वही धन यदि शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य की देखभाल पर खर्च किया जाए तो देश का चेहरा बदला जा सकता है।’’ 
 
 भारत के लिए लगातार समस्याएं पैदा कर रहे पाकिस्तान की चर्चा करते हुए जैन मुनि श्री तरुण सागर ने कहा, ‘‘हमारा पड़ोसी देश आतंकवाद को ‘आसन’ दे रहा है...भस्मासुर पैदा कर रहा है...भारत को परेशान करने के लिए...जो एक बार गलती करे वह अज्ञान है, दो बार गलती करे वह शैतान, तीन बार गलती करे वह हैवान है, जो बार-बार गलती करे वह पाकिस्तान और जो बार-बार क्षमा कर दे वह हिंदुस्तान है।’’
 
धर्म और राजनीति के सुमेल की जोरदार वकालत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मुख्यमंत्री से कहा है कि आपके पास ‘मंत्रिमंडल’ है और हमारे पास ‘कमंडल’ है। यदि ये दोनों आपस में मिल जाएं तो दुनिया बदली जा सकती है और एक मजबूत राष्ट बनाया जा सकता है।’’
 
 ‘‘राजनीति को धर्म का अनुशासन स्वीकार करना चाहिए। राजनीति पर धर्म का अंकुश आवश्यक है। धर्म पति है, राजनीति पत्नी। हर पति की ड्यूटी है कि वह अपनी पत्नी को संरक्षण दे और हर पत्नी का धर्म है कि वह पति के अनुशासन को स्वीकार करे। यदि राजनीति पर धर्म का अंकुश न हो तो वह ‘मगन, मस्त हाथी’ की तरह बेकाबू हो जाती है।’’
 
बेशक जैन मुनि तरुण सागर की बातें लोगों को कुछ कड़वी लगें परन्तु यह बात भी सर्वविदित है कि गहराई से जड़ें जमा चुकी किसी भी बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई की ही जरूरत पड़ती है। 
 
आज भारत कन्या भ्रूण हत्या, सामाजिक मूल्यों और राजनीति के स्तर में गिरावट और अपराधीकरण तथा सीमा पार से खतरे जैसी समस्याओं से जूझ रहा है जिनसे छुटकारा पाने के लिए मुनि श्री तरुण सागर के सुझावों पर विचार अवश्य करना चाहिए। 

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