भारी वर्षा से हुआ फिर देश का आपदा प्रबंधन फेल

Thursday, Oct 03, 2019 - 12:40 AM (IST)

इस वर्ष देश में पहली बार 125 वर्षों का रिकार्ड तोड़ते हुए मानसून 107 प्रतिशत बरसा है और अभी भी 10 अक्तूबर से पहले इसकी वापसी के संकेत नहीं हैं जिस कारण यह आंकड़ा बढ़ कर 110 प्रतिशत हो सकता है। वर्षा से देश में इस वर्ष 1700 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है तथा गत एक सप्ताह के दौरान जाती बार की वर्षा का सबसे बुरा असर उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तराखंड आदि में देखने को मिला। इसके परिणामस्वरूप बिहार में पिछले वीरवार के बाद से 1 अक्तूबर तक मरने वालों की संख्या बढ़ कर 55 तथा उत्तर प्रदेश में 93 हो गई है। 

झारखंड के दुमका और गुजरात के राजकोट में 3-3 तथा उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 13 लोगों की मृत्यु हुई। हिमाचल और पंजाब में भी वर्षा होशियारपुर के एक गांव में 5 झुग्गियां बहा ले गई जिससे एक महिला की मृत्यु और उसकी बेटी लापता है। सर्वाधिक तबाही बिहार की राजधानी पटना में हुई जहां लगभग 20 लाख लोग इस आसमानी आपदा से प्रभावित हुए और 85 प्रतिशत घरों, अस्पतालों, स्कूलों, व्यापारिक और सरकारी प्रतिष्ठानों आदि में पानी भर गया। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का राजेंद्र नगर स्थित निवास भी भारी बाढ़ में घिर गया और उनके परिवार के सदस्य 3 दिनों तक बाढ़ में फंसे रहे जिन्हें 30 सितम्बर को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की टीम ने बाहर निकाला।

हालांकि अब वर्षा तो थम गई है परंतु लोगों को अनिवार्य जीवनोपयोगी वस्तुओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और इनके दाम कई गुणा बढ़ गए हैं। इस बार के मानसून से जहां देश में जान-माल की भारी क्षति हुई है वहीं एक बार फिर यह हमारी आपदा प्रबंधन प्रणाली की नाकामी और प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर कर गया। न सिर्फ राहत के प्रबंध अधूरे रहे बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जब पत्रकारों ने बाढ़ की स्थिति बारे पूछा तो वह भड़क कर बोले, ‘‘क्या सिर्फ पटना के कुछ मोहल्लों में ही बाढ़ की समस्या है? आप लोगों के मन में जो आए कहिए हमें आपकी जरूरत नहीं।’’ 

आज शहरों का विस्तार हो जाने के कारण वहां जनसंख्या भी बढ़ गई है परंतु फालतू पानी की निकासी के लिए सक्षम प्रणाली न होने के कारण पानी का जमाव होने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होती है। लिहाजा पानी की निकासी के सही प्रबंधन और आपदा प्रबंधन को मजबूत करके ही ऐसी घटनाओं से होने वाले नुक्सान को रोकना संभव होगा।—विजय कुमार 

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